बेचारी में अब तक आपने पढ़ा -प्रदीप की आत्मा अपने परिवार से मिलती है ,वहां पता चलता है, कि प्रदीप को मारा तो नितिका ने था किन्तु वो बच गया था ,रही सही कसर उसकी अपनी पत्नी सुलेखा ने पूरी की क्योंकि वो राकेश के लिए ,अपने पति को धोखा दे रही थी। जब उसके पति ने ,उसे एक दिन क्रोध में आकर सुलेखा को ,''वेश्या ''कह दिया।इस बात का सुलेखा को अपने पति सुबोध पर क्रोध था, जब नीतिका ने प्रदीप की जान लेने का प्रयास किया किंतु उसके प्रयास से प्रदीप की जान नहीं गयी ।तब सुलेखा को मौका मिल गया ,इस मौके का उसने लाभ उठाया, उसको प्रदीप पर पहले से ही क्रोध था।राकेश के उनके रिश्ते के मध्य में आ जाने के कारण प्यार भी नहीं रहा , तब प्रदीप की जान लेकर सुलेखा ने उससे अपना बदला लिया। अब तो बच्चों पता चल गया -कि उनकी अपनी माँ ने ही उनके पिता को मारा। प्रदीप यही सच्चाई ,अपने बच्चों के सामने लाता है और बाबा के वचनानुसार वो उनके पास आ जाता है किन्तु वहां उसे पता चलता है -कि हाइवे पर दुर्घटनाएं हो रही हैं ,और कोई है ,जो इन दुर्घटनाओं को अंजाम दे रहा है ,जो भी पता लगाने का प्रयत्न करता है ,वह जिन्दा नहीं रह पाता है। अब आगे -
बाबा की परेशानी देखकर ,प्रदीप की आत्मा उनसे कुछ इशारा करती है ,जिसे बाबा ने समझा -कि वो कह रहा है -मैं पता लगाकर ,आ सकता हूँ ,बाबा ने इंकार किया क्योंकि वो एक कमजोर आत्मा है और किसी ताकतवर आत्मा का यदि ये काम हुआ ,तो वो प्रदीप को भी अपने वश में कर सकती है।
बाबा कैसे पता चलेगा ?वो दुर्घटनाएँ क्यों और कैसे हो रही हैं ?ऋचा ने पूछा।
प्रदीप की आत्मा बताती है -बाबा, मैंने अपनी शक्ति से पता लगाने का प्रयत्न भी किया किन्तु मेरी शक्ति भी एक सीमा तक जाकर वापस आ गयी। समझ नहीं आ रहा ,वो कौन सी ऐसी ताकतवर , बुरी आत्मा है ?जो लोगों को इस तरह से मार भी रही है , जिनके मरने के पश्चात् उनकी आत्मा को तो अपने वश में करती ही है, उनकी लाशों को भी नहीं छोड़ती है कितनी बुरी तरह से दुर्गत करती है ? उनकी लाश के टुकड़े ,वहाँ भटकती आत्माओं का भोजन बनती हैं । जिनके साथ दुर्घटना होती है , उनके रिश्तेदार अपने प्रियजनों की लाश लेने के लिए भी तरस जाते हैं। है तो ,ये किसी आत्मा का ही काम है।
प्रदीप की आत्मा ,ऋचा के माध्यम से ,बाबा से सम्पर्क साधती है ,मैं वहां जाकर पता लगाता हूँ ,कि ये सब किसका कार्य हो सकता है ?
बाबा कहते हैं -तुम एक कमजोर आत्मा हो ,वो आत्मा तुम्हें कैद भी कर सकती है या तुम्हारा कुछ भी अनिष्ट कर सकती है।प्रदीप की आत्मा कहती है -जीते जी ,तो कोई अच्छा कार्य न कर सका , मरने के पश्चात ही शायद कुछ अच्छा कार्य करके ही ,मेरी आत्मा को मुक्ति मिल जाये। उसकी बात सुनकर बाबा एक हवन करते हैं ,और शक्ति प्राप्त करते हैं ,ताकि प्रदीप ,समय पर अपना बचाव कर सके। प्रदीप की आत्मा रात्रि में भटकते हुए ,उसी स्थान के करीब जाती है , और आगे बढ़ने पर ,उसे बहुत सारी नकारात्मक शक्तियों ने आगे बढ़ने नहीं दिया। उन शक्तियों को वो देख पा रहा था। उसने फिर आगे बढ़ने का प्रयत्न किया उन्होंने उसे भगा दिया।क्योंकि वो उनका इलाका बन चुका था । प्रदीप की आत्मा उस ताकत को तो महसूस तक नहीं कर पाई। शक्तियों के कारण ही ,अन्य लोग भी उस तक नहीं पहुंच पाते। वे सभी उसके इशारे पर चलते हैं ,उनका वहशियाना अंदाज देखकर प्रदीप की आत्मा भी काँप उठी।
वो वापस बाबा के पास गया और उसने बताया -उनके मुख्य सरदार को तो वो नहीं ,जान पाया, कि कौन है ?उसने अपने चारों और शैतानी आत्माओं का चक्रव्यूह बना रखा है। वे सभी उसके गुलाम हैं , वो इंसानों को पहले तो मारता या खाता है उसके पश्चात वे सब बांटते हैं ,इसी कारण से उन लाशों की इतनी दुर्गत होती है। इतना ख़तरनाक मंजर. .,पता नहीं, उसकी क्या मंशा है ?उसकी बात का पता चलने पर ,बाबा सोच में पड़ गए और उन्होंने ध्यान लगाया ,वो आत्माओं के देश में घूमने लगे , ताकि कुछ जानकारी मिले किन्तु सारी आत्मायें तो ,वहीं उस आत्मा की सेवा में तत्पर हैं।या यूँ समझो ,उसने उन्हें अपना गुलाम बनाया हुआ है। कोई एक आत्मा, एक कोने में सिसकती सी ,उन्हें दिखी।
बाबा ने पूछा -तुम कौन हो ,और इस तरह क्यों सिसक रहे हो?
उसने बताया -मैं भी एक अतृप्त आत्मा हूँ ,मैं अपने माता -पिता की इकलौती संतान था ,उन्होंने मुझे बड़े प्यार से पाला -पोसा ,बड़ा किया किन्तु हमारे कुछ दुश्मनों ने मुझे ,धोखे से मार डाला। अब मैं यहाँ भटक रहा हूँ ,मुझे अपने धोखा देने वालों से ,बदला भी लेना है और अपने माता -पिता के लिए दुआ करता हूँ कि उनका बुढ़ापा ठीक से कट जाये उन्हें कोई परेशानी न हो।
क्या तुम उन ,''शैतानी आत्माओं '' के संग नहीं हो ?उसने मुझे भी वश में करना चाहा किन्तु मेरा उद्देश्य किसी भी निर्दोष को सताना नहीं ,बस अपने दुश्मनों से बदला लेना है।
बाबा को उससे कुछ उम्मीद जगी और बोले -तुम मेरी मदद करो ,मैं तुम्हारी सहायता करता हूँ। दोनों का काम बन जायेगा। तुम्हें भी ,इससे मुक्ति मिलेगी।
मैं तो ,सिर्फ एक आत्मा हूँ ,मैं कैसे आपकी सहायता कर सकता हूँ ?मुझे तो उस आत्मा ने बांधा हुआ है ,मैंने उसका कहा जो नहीं माना। वो आत्मा रोते हुए बोली।
बाबा ने सुझाया -वो आत्मा ही तुम्हें ,इस बंधन से मुक्त करेगी और उसे समझाया कि उसे क्या करना है ?
अगले दिन वो आत्मा भी, उन लोगों में शामिल थी किन्तु सिर्फ अपनी मुक्ति और बाबा की सहायता के लिए ही ,जो भी उसने देखा बहुत ही वीभत्स था।
बाबा उस आत्मा से मिलने के लिए निरंतर ,हवन -पूजा कर रहे थे क्योंकि दूसरे लोक की आत्माओं से मिलना आसान नहीं होता। बाबा आत्मा की प्रतीक्षा कर रहे थे।
उसने जो भी बताया -सबको हिला देने के लिए काफ़ी था।
उस आत्मा ने बाबा को आखिर ऐसा क्या बताया? क्या वो आत्मा बाबा की सहायता कर पायेगी या फिर ये किसी की चाल है ? प्रदीप चौबे की आत्मा बाबा की सहायता कैसे कर पायेगी ? जानने के लिए पढ़िये - बेचारी