अंधविश्वास - जिसका अर्थ है बिना जाने समझे , बुद्धि को निष्क्रिय करके , किसी के बताए हुए गलत मार्ग पर चलना और अपने परिवार को भी उसी मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना है ।अंधविश्वास का शिकार होने पर लोग
शीर्षक--ये अंधविश्वास नही हैहमारे देश में विश्वास को भी लोग अंधविश्वास मानते है, और आधुनिकता और विज्ञान तो और भी उन्हें जहर की भांति हमारे समाज में फैला दिया है।उन्हें क्या? पता उन अंधविश्वास में भी ज
अंधविश्वास का कोई निश्चित कारण न होता है ।यह मन का ऐसा विश्वास है जो व्यक्ति अपने मन में मान बैठता है और उससे निकलना ही न चाहता ।अंधविश्वास का अर्थ ही हैकिसी चीज़ पर आँखें मूँद कर ,बिना विवेक का प्रयो
प्रिय सखी।कैसी हो।हम अच्छे है और देहली शोप पर है।आजकल श्राद्ध पक्ष के कारण लोग कपड़ा कम खरीद रहे है इसलिए काम थोड़ा ढीला है ।ये लोगों का अंधविश्वास नही तो और क्या है । क्या हमारे पूर्वज हमे अच्छे कपड़
डियर दिलरुबा दिनांक-17/9/2222 दिन-शनिवार समय-रात 11:5 डियर दिलरुबा,, कल तो मैं तुमसे मिलने का टाइम ही नहीं निकाल पाई,, कहीं तुम नाराज़ तो नहीं,, चलो कोई बात नहीं हक़ है तुम्हारा,,,,,,। 😊हक़ से या
प्यारी डायरी.. सखी, यह महीना सच में बहुत हीं पावन होता हैं। क्योंकि इस महीने में विशेष रूप अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान और आदर प्रकट करने का स्वर्णिम अवसर हम सभी के पास होता
हर जगह नारीवाद का नारा है यह देश हमारा है यहां होती है हर नारी की पूजा उसके बिना ना हमारा कोई और दूजा सब जगह इन्ही का बोलबोला है यहां हर मर्द इन्ही का रखवाला है जातिवाद ने जब किया इन पर अपना प्रहार तो
👁️नजर ने नजर को नजर भर कर देखा ।👁️👁️मै नजरें झपकाना भूल गई ॥👁️🌹आपके दिल ने मेरे दिल की बातें जो सुनी🌹 ।🌹 मेरे दिल की धड़कनें बढ़ गई ॥🌹🌹आपके इश्क ने मुझे बहकाया ।🌹🌹और मैं बहकती चली गई ॥🌹🌹य
आप चाहों तो मेरी जिंदगी में दुख और दर्द का भंडार लिख देनाबस इतनी सी दया करना हमपेउस दुख और दर्द को सहने की . शक्ति दे देना ।🤗💪🏻✍🏻रितिका🌹❣️
भारत जैसे देश में जहां पत्थर भी पूजे जाते है | उस देश में वीरांगनाओं की भूमिका कितनी अव्वल रही है | इस बात से कोई भी अनजान नही है | "नारी दुर्गा का रुप है |" " जिस प्रकार नो महीन एक शिशु को गर्भ
तेरी ज़रूरत है दुनिया का अस्तित्व रखने को।तेरे हर रूप की महिमा दुनिया की शोभा बढ़ाने को।।तूने संग सदा निभाया है उपवन को सदा सजाया है।तू है फूल एक खिलता तूने मधु सदा लुटाया है।।ममता प्रेम की मूरत तेरी
डियर काव्यांक्षी कैसी हो प्यारी🥰मैं तो मजे में हुं।आज विषय मिला नारीवाद , काव्यांक्षी नारीवादी विचारधारा मुख्य रूप से स्त्री-पुरुष
प्रिय सखी।कैसी हो ।हम अच्छे है और मजे से है ।आजकल देहली शोप पर नही जा रही हूं ।कल बैंक का काम था सोई उसे निपटाते हुए बारह यही बज गये ।फिर देहली गये ही नही। कुछ दिनों से फरीदाबाद में मौसम खराब ही चल रह
मैं नारी हूँ ,हाँ नारी हूँ।मत अबला,समझो मुझको,मैं सबपर ,भारी हूँ।हाँ नारी हूँ।मैं सकल,सृष्टि की उत्पादक,मैं ही ,दया,क्षमा,त्याग,ममता की मूरत,मैं सुता,मैं अर्धांगिनी,मैं ही हूँ पयस्विनी,नर दीपक,तो मैं
17/9/2022प्रिय डायरी, आज का शीर्षक है नारीवाद, नारीवाद अवधारणा का आरंभ इस विश्वास के साथ होता है कि स्त्रियां पुर
नारीवाद~एक इंसान के तौर पर जब हम इस धरती पर आते है तो सबसे पहला सानिध्य जिससे होता है वो एक नारी है, एक बुभुक्षु के तौर पर हमें कराई गयी पहली क्षुधा पूर्ति का माध्यम एक नारी होती है , और तो और हमारे स
तूफानी लहरों सी बनी अब हम लड़कियां रोके अब हमे न कोई रोक पाए ना डरे न घबराए बेझिझक ये आगे बढ़ती जाए अब हारना हमे मंजूर नहीं मुश्किलें जितनी आए हमारे हौसलों से मंजिल अब दूर नहीं कलियां हम फूल
नारी तू ही नारायणी,मां, जननी, जगदम्बा।नारी से होता संसार,नारी की महिमा अपार।।नारी होती है स्वयं शक्ति,होते हैं इसके विभिन्न रूप।जरूरत खुद पहचानने की,होते हैं क्या इसके स्वरूप।।नारी दुर्गा नारी ही शक्त
शीर्षक --पितृपक्ष पितृपक्ष का हमारे पूर्वजों के प्रति आभार व्यक्त करना ही नही हमारे स्वास्थ की दृष्टि से जरुरी है।हम अपने पूर्वजों को सच्चे मन से पिंडदान तर्पण और श्राद्ध करत
सम्राट माही का हाथ पकड़ कर बोला - यह झूठ है तुम इसके बहकावे में मत आना । यह हम दोनों को अलग करना चाहती है । अब आगे ... माहि अपना हाथ छुड