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गीत

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नशा "नाश" का दूसरा नाम है.ये नाश करता है बुद्धि का.ये नाश करता है धन का.ये नाश करता है संबंधों का.ये नाश करता है नैतिक मूल्यों का.नाश नहीं निर्माण की तरफ बढ़ोयुवाओं तुम नशामुक्त समाज बनानेका संकल्प लो.शिल्पा रोंघे

मन की बंजर भूमि पर,कुछ बाग लगाए हैं !मैंने दर्द को बोकर,अपने गीत उगाए हैं !!!रिश्ते-नातों का विष पीकर,नीलकंठ से शब्द हुए !स्वार्थ-लोभ इतना चीखे किस्नेह-प्रेम निःशब्द हुए !आँधी से लड़कर प्राणों के,दीप जलाए हैं !!!मैंने दर्द को बोकर अपने....अपनेपन की कीमत देनी,होती है अब अपनों को !नैनों में आने को, रिश

कहो ना, कौनसे सुर में गाऊँ ?जिससे पहुँचे भाव हृदय तक,मैं वह गीत कहाँ से लाऊँ ?इस जग के ताने-बाने मेंअपना नाता बुना ना जाएना जाने तुम कहाँ, कहाँ मैंमार्ग अचीन्हा, चुना ना जाए !बिन संबोधन, बिन बंधन मैं स्नेहपाश बँध जाऊँ !कहो ना, कौनसे सुर में गाऊँ ?नियति-नटी के अभिनय से

💥💥भौरा जिया 💥💥तुम जो गये हमसे दूर पिया ,दिल के और भी करीब हो गये।यह बात अलग है तुम्हें खो कर, हम मुफलिस और गरीब हो गये।मेरी साँसें, मेरी धड़कन, गाती रहती है इक गीत ।तेरे सिवा न दूजा होगा, तू तो जन्मो का मेरा मीत। दूर मुझे क्यों खुद किया । तुम जो गये हमसे दूर पिया ।।आज जो ये चाँ

🧚🏻‍♂🧚🏻‍♂🧚🏻‍♂🧚🏻‍♂🧚🏻‍♂🧚🏻‍♂🧚🏻‍♂ लोक गीत÷÷÷ बिटिया मेरी हुई सियानी """""""""""""****"""""""""बिटिया रानी अब तो हुई है सियानी।मुझे बोलेगी छोटी परी अब नानी।। होsssss माँ के अंगना में खेली- कूदीकरती रहती थी हरदम ठिठोलीबड़े जतन से पिता पढ़ायेपढ़ा कर उसे राह दिखायेघर की र

विधान---- आल्हा छंद मात्रिक- -- 31 मात्रा (16 , 15)पदान्त- ---21 🌹गीत🌹 """"**""""नारी ही है जननी तेरी, नारी ही तेरी पहचान। नारी का सम्मान करो रे, करो नहीं अपमान ।।नारी माता वो ही त्राता, है तेरी नारी से शान। रखो हमेशा उस नारी का, तुम भी सच्चे दिल से

घर मेरा टूटा हुआ सन्दूक हैहर पुरानी चीज़ से अनुबन्ध है पर घड़ी से ख़ास ही सम्बन्ध हैरूई के तकिये, रज़ाई, चादरें खेस है जिसमें के माँ की गन्ध हैताम्बे के बर्तन, कलेंडर, फोटुएँजंग लगी छर्रों की इक बन्दूक हैघर मेरा टूटा ..."शैल्फ" पे चुप सी कतारों में खड़ी अध्-पड़ी

"गीत"हिंदी हिंद की जान है, आन बान और शान हैभारत के हर वासी का, युग-युग से पहचान हैहर बोली में लहजा हिंदी, हर माथे पर सोहे बिंदीघर-घर में इंसान है, आँगन मुख मुस्कान है.......लिखना रुचिकर पढ़ना रुचिकर, रुचिकर है आठो डाँड़ीहिंदी के हर शब्द में बहती, गंगा यमुना की नाड़ीस्वर व्यंजन की आरती, प्रिय प्रतीक माँ

मैं कई गन्जों को कंघे बेचता हूँएक सौदागर हूँ सपने बेचता हूँकाटता हूँ मूछ पर दाड़ी भी रखता और माथे के तिलक तो साथ रखता नाम अल्ला का भी शंकर का हूँ लेताहै मेरा धंधा तमन्चे बेचता हूँएक सौदागर हूँ ...धर्म का व्यापार मुझसे पल रहा हैदौर अफवाहों का मुझसे चल रहा है यूँ नहीं

"कजरी गीत"मोहन गोकुल नगर सुधारी, मधुवन कीन्ह सुखारी नाजाकर मथुरा डगर निहारी, सुखी कीन्ह महतारी ना......मोहन गोकुल नगर....धारी गोवर्धन गिरधारी, आओ न फिर यमुन कछारी नागाय ग्वाल गोपिन दुख हर्ता, पनघट की सखियाँ न्यारी..... मोहन गोकुल नगर ......रास आस तुमसे बनवारी, गौतम तो रहा अनारी नासावन झूला डाल-डाल प

"बाल गीत"चंदा मामा आ भी जाओ, लेकर अपना प्यारमेरी माँ के भाई हो तुम, तारों के सरदारबहुत खिलाया माँ ने कहकर, लाएंगे चंदा मामादूध-भात से भरा कटोरा, रहते घिर बादल श्यामाछुप जाते क्यों आप बताओ, वादा नहीं निभाते होआज छमाछम है सावन की, तुम हो झूला के रखवारचंदा मामा आ भी जाओ, लेकर अपना प्यारमेरी माँ के भाई

"गीत" आंचलिक पुटमोरे अँगने में है तुलसी का चौराएक पेड़ नीम संग आम खूब बौराअड़हुल का फूल लाल केसर कियारीमगही के पतवा तुराये भरि दौरा.....मोरे अँगने मेंगाय संग कुकुरा के रोज रोज कौराधूल और माटी में खेले चंचल छौरागैया के गोबर भल घास दूब मोथाबगिया फुलाए पै उड़े लागल भौंरा.....मोरे अँगने मेंहोखे जब ओसवनी तब

शादी के बाद ससुराल से एक बेटी की अपनी माँ को भावनात्मकपाती -- गीत जिसकी रज ने गोद खिलाया , पैरों को चलना सिखलाया . जहाँ प्यार ही प्यारभरा था - वह आंगन बहुत याद आता है | सुबहसुबह आँखें खुलते ही , तेरा वहपावन सा चुम्बन | फिरदोनों बांहों में भरकर. हल

"भोजपुरी गीत"चल चली वोट देवे रीति बड़ पुरानीनीति संग प्रीति नौटंकी भई कहानी.......लागता न लूह, न शरम कौनो बाति केघूमताटें नेता लोग दिन अउर राति केकेके देई वोट केकरा के गरिआईंउठल बाटें कई जनी हवें अपने जाति केलोगवा के मानी त होई जाई नादानीनीति संग प्रीति नौटंकी भई कहानी.......चल चली वोट.....भागु रे पत

"देशज गीत" सजरिया से रूठ पिया दूर काहें गइलनजरिया के नूर सैंया दूर काहें कइलरचिको न सोचल झुराइ जाइ लौकीकोहड़ा करैला घघाइल छान चौकीबखरिया के हूर राजा दूर काहें गइल..... सजरिया से रूठ पिया दूर काहें गइलकहतानि आजा बिहान होइ कइसेझाँके ला देवरा निदान होइ कइसेनगरिया के झूठ सैंया फूर काहें कइल..... सजरिया स

फिर आज तुम्हारी याद आयी,फिर मैंने तुम पर एक गीत लिखावहीं लिखा जो लिखता आया हूँतुमको फिर अपना मीत लिखा।फिर आज तुम्हारी याद आयी...जिन कदमों की आहट भर से,बढ़ जाती है लय इन सांसों कीउन कदमों को लिखा बांसुरीसांसों की लय को संगीत लिखा।फिर आज तुम्हारी याद आयी....मेरी नजरों से तो हो ओझल तुमपर फिर भी हो मेरे

भोजपुरी गीत, मात्रा भार-24, मुखड़ा समान्त- ए चिरई, अंतरा समान्त- क्रमशः खटिया,जनाना, जवानी,"भोजपुरी गीत"साँझे कोइलरिया बिहाने बोले चिरईजाओ जनि छोड़ी के बखरिया झूले तिरई....... साँझे कोइलरिया बिहाने बोले चिरईदेख जुम्मन चाचा के अझुराइल खटियाहोत भिनसारे ऊ उठाई लिहले लठियागैया तुराइल जान हेराइ गईल बछवाखो

छंद - द्विगुणित पदपादाकुलक चौपाई (राधेश्यामी) गीत, शिल्प विधान मात्रा भार - 16 , 16 = 32 आरम्भ में गुरु और अंत में 2 गुरु "राधेश्यामी गीत" अब मान और सम्मान बेच, मानव बन रहा निराला है।हर मुख पर खिलती गाली है, मन मोर हुआ मतवाला है।।किससे कहना किसको कहना, मानो यह गंदा नाला है।सुनने वाली भल जनता है, कह

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देश भक्ति की भावना को और जोशीला करने के लिए आज हम लेकर आये है चुनिन्दा देश भक्ति गीत, शायरी और गाने | यह देश भक्ति गीत आपमें जोश भर देगी और देश भक्ति के शायरी और सन्देश आप अपने दोस्त और परिवार को भेज उनके अन्दर की देश भक्ति जगा सकते है| न केवल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत

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