कैंसर का नाम सुनते ही मन में एक डर समा जाता है। अमूमन लोगों का मानना है कि कैंसर होने के बाद व्यक्ति का बचना काफी मुश्किल होता है। लेकिन सच्चाई इससे अलग है। कैंसर यकीनन घातक है, लेकिन व्यक्ति अपनी जान से तभी हाथ धोता है, जब वह इसके लक्षणों को नजरअंदाज करता है। स्थिति बिगड़ने पर जब व्यक्ति को असलियत का पता चलता है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है। यह परेशानी महिलाओं में अधिक देखी जाती है, क्योंकि वह खुद की सेहत के प्रति बेहद लापरवाह होती है। लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। तो चलिए जानते हैं महिलाओं में होने वाले कैंसर और उसके लक्षणों के बारे में-
स्तन कैंसर
स्तन कैंसर महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर है। इस कैंसर की पहचान स्तनों में हो रहे बदलाव से की जा सकती है। स्तन कैंसर होने पर अक्सर स्तन पर किसी तरह की गांठ, स्तनों का असामान्य तरीके से बढ़ना, बगल में सूजन आना या गांठ बनना, निप्पल का आकार बदलना, उसका अंदार धसना, निप्पल से किसी तरह का डिस्चार्ज, निप्पल व ब्रेस्ट पर घाव हो सकता है। स्तन कैंसर से बचने व इसका पता लगाने के लिए हर माह खुद से अपने स्तनों की जांच करें। इसके लिए अपनी तीन उंगलियां अपने स्तनों पर रखकर स्तनों पर गोलाकार घुमाएं। अगर आपको अपने स्तन या बगल में गांठ का अनुभव हो या फिर स्तनों में किसी प्रकार का अलग बदलाव महसूस हो तो आपको ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है।
स्किन कैंसर
महिलाओं में स्किन कैंसर होने की संभावना काफी अधिक होती है। इस कैंसर का एक मुख्य कारण सूरज की हानिकारक किरणें होती हैं। हालांकि स्किन कैंसर उन क्षेत्रों पर भी हो सकता है, जहां पर सूरज की किरणें न पड़ती हों। त्वचा कैंसर के शुरूआती लक्षण में त्वचा की सतह पर नोड्यूल, दाने या पैच आदि नजर आते हैं। धीरे-धीरे स्किन मास का साइज व आकार बदलने लगता है। इसके अतिरिक्त त्वचा में जलन, खुजली व लालिमा का अहसास, किसी बर्थमार्क या तिल के आसपास की त्वचा में परिवर्तन आना, बार-बार एक्जीमा होना, शरीर के दाग-धब्बों में खुजली या खून निकलना भी स्किन कैंसर का लक्षण होते हैं। स्किन कैंसर से बचाव का एक आसान उपाय है कि आप धूप में बाहर निकलने से पहले स्किन को पूरी तरह प्रोटेक्ट करें। साथ ही स्किन में असामान्य बदलाव होने पर किसी विशेषज्ञ से संपर्क अवश्य करें।
ग्रीवा कैंसर
ग्रीवा कैंसर यौन सक्रिय, एचआईवी व एड्स से पीड़ित महिलाओं को अपनी चपेट में अधिक लेता हैं। वहीं धूम्रपान करने से भी ग्रीवा कैंसर होने होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती हैं। ग्रीवा कैंसर होने पर असामान्य ब्लीडिंग जैसे पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग होना, संभोग के बाद ब्लीडिंग, श्रोणि परीक्षण के बाद ब्लीडिंग, रजोनिवृत्ति के बाद ब्लीडिंग, संभोग के दौरान दर्द, मासिक धर्म का लंबे समय तक होना, योनि स्राव में वृद्धि व उसका रंग व गंध में असामान्य होना, रजोनिवृत्ति के बाद दर्द, श्रोणि या कमर में लगातार दर्द, बार-बार पेशाब जाना और मूत्र त्याग के दौरान दर्द तथा पेल्विक पेन ग्रीवा कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। जिन महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा कैंसर बढ़ जाता है, उनमें वजन घटना, थकान, पैर में दर्द व सूजन, बोन फ्रैक्चर व योनि से मूत्र व मल का रिसाव जैसे लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं।
एंडोमेट्रियल कैंसर
एंडोमेट्रियल कैंसर होने पर महिला को योनि से असामान्य रक्तस्राव, डिस्चार्ज, रजोनिवृत्ति से पहले हैवी व असामान्य पीरियड्स का अनुभव होता है। इसके अतिरिक्त रजोनिवृत्ति के पश्चात योनि से रक्तस्राव, योनि से अधिकतर पानी या रक्त का स्राव, पेल्विक पेन व संभोग के दौरान दर्द भी इस कैंसर के लक्षण होते हैं।
ओवेरियन कैंसर
ओवेरियन कैंसर महिलाओं के लिए काफी घातक माना गया है क्योंकि इसे लक्षण जल्द नजर नहीं आते। जब तक इसके लक्षणों का पता चलता है, तब तक स्थिति काफी बिगड़ चुकी होती है। वहीं अगर ओवेरियन कैंसर के लक्षणों की बात की जाए तो इसमें पेट फूलना, पेट में दबाव या दर्द, खाने में परेशानी या खाना खाने के बाद पेट का जरूरत से ज्यादा भरे होने का अहसास, पेशाब में वृद्धि, थकान, अपच, हार्टबर्न, कब्ज, पीठ में दर्द, अनियमित मासिक धर्म, संभोग के दौरान दर्द आदि लक्षण नजर आ सकते हैं।
कोलोन कैंसर
कोलोन कैंसर होने पर व्यक्ति के बाउल मूवमेंट में बदलाव आता है। इसलिए अगर किसी महिला केा कब्ज, दस्त या मल की कसिस्टेंसी में परिवर्तन चार सप्ताह से अधिक हो, तो तुरंत डाॅक्टर से संपर्क करें। इसके अतिरिक्त मल में रक्त या मलत्याग के दौरान रक्तस्राव, पेट में परेशानी जैसे ऐंठन, गैस या दर्द, कमजोरी या थकान, बिना किसी के कारण के वजन का लगातार घटना या फिर अस्पष्टीकृत एनीमिया भी कोलोन कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।
कारण व बचाव
कैंसर के लक्षण जानने के बाद हर किसी के मन में यही ख्याल आ रहा होगा कि वास्तव में महिला को कैंसर होने के पीछे का कारण व इसका बचाव क्या है। महिलाओं में कैंसर होने के कारणों में धूम्रपान, गलत खानपान, अनियमित दिनचर्या, हार्मोनल बदलाव व हार्मोनल थेरेपी जिम्मेदार होती है। वहीं इसके बचाव के लिए धूम्रपान, तंबाकू व अल्कोहल से दूर रहें। वजन नियंत्रित रखें। इसके लिए शारीरिक व्यायाम से लेकर भोजन पर ध्यान दें। धूप से निकलने से पहले स्किन को अच्छी तरह प्रोटेक्ट करें। नियमित रूप से जांच व कैंसर स्क्रीनिंग टेस्ट करवाती रहें। शरीर में होने वाले किसी भी छोटे से छोटे बदलाव को नजरअंदाज न करें। किसी भी तरह की परेशानी होने पर तुरंत डाॅक्टर से संपर्क करें।