कहते हैं कि पहला सुख निरोगी काया। लेकिन जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, उसके शरीर में कई तरह की बीमारियां लग जाती है। झुककर चलना, नजर कमजोर होना, जोड़ों में दर्द, हमेशा थकान रहना, कमजोर याददाश्त, नींद में परेशानी, बालों का सफेद होना व त्वचा में झुर्रियां कुछ ऐसी समस्याएं हैं, जो इस उम्र में आम मानी जाती है। आमतौर पर देखा जाता है कि लोग इस समस्याओं से निजात पाने के लिए दवाईयों का सहारा लेते हैं, लेकिन अगर आप युवावस्था से ही योगाभ्यास शुरू कर दें तो फिर आपको बुढ़ापे में बीमारियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। तो चलिए आज हम आपको ऐसे ही कुछ योगासनों के बारे मंे बता रहे हैं, जो बुढ़ापे में आपकी समस्या को कम करने में मदद कर सकते हैं-
वृक्षासन
चूंकि बढ़ती उम्र में व्यक्ति के शरीर का संतुलन प्रभावित होता है। उम्र के इस दौर में व्यक्ति के हाथ-पैर कांपते हैं। ऐसे में पैरों को मजबूती प्रदान करने और संतुलन को बनाए रखने के लिए वृक्षासन का नियमित अभ्यास करना चाहिए। इस आसन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले एकदम सीधे सावधान मुद्रा में खड़े हो जाएं। अपने बाएं पैर के घुटने को सीधे रखें और दाएं हाथ से दाएं पैर को उठाकर बाएं पैर के घुटने के जोड़ पर रखें। इसके बाद अपने दाएं पैर को हल्का सा मोड़ते हुए बाएं घुटने के जोड़ पर आराम से रखें। आपसे जितना संभव हो सके अपने दाएं पैर की एड़ी को बाएं जंघे पर ऊपर की ओर रखें। आपके पैरों की उंगलियां नीचे की ओर झुकी होनी चाहिए। आपके दाएं पैर की एड़ी का दबाव बाएं जांघ पर पड़ना चाहिए। इसके बाद बाएं पैर से अपने शरीर का बैलेंस बनाने की कोशिश करें। इसके बाद दोनों हाथों को उपर ले जाते हुए हाथ को नमस्कार मुद्रा में रखें। इस दौरान शरीर का संतुलन बनाए रखें और जितना देर संभव होए इस मुद्रा में रखें। इसके बाद प्रारंभिक अवस्था में लौट आएं। अब दूसरे पैर से भी यही प्रक्रिया दोहराएं।
विपरीतकर्णीआसन
यह एक ऐसा आसन है, जिसमें रक्त का प्रवाह पूरे शरीर में बेहतर तरीके से होता है और जब शरीर में आॅक्सीजन व रक्त सही मात्रा में पहुंचता है तो खुद ब खुद कई बीमािरयां दूर हो जाती हैं। इस आसन का अभ्यास करने के लिए पीठ के बल लेटकर दोनों पैरों को मिलाकर एड़ी-पंजे आपस में मिलाएं। साथ ही हाथ बगल में, हाथों की हथेलियाँ जमीन के ऊपर और गर्दन सीधी रखें। धीरे-धीरे दोनों पैरों को 30 डिग्री के कोण पर पहुँचाएं। 30 डिग्री पर पहुँचाने के बाद कुछ सेकंड रुकते हैं, फिर पैरों को 45 डिग्री कोण पर ले जाते हैं, यहाँ पर कुछ सेकंड रुकते हैं। उसके बाद फिर 90 डिग्री कोण पर पहुँचने के बाद दोनों हाथों को जमीन पर प्रेस करने के बाद नितंब को धीरे-धीरे उठाते हुए पैरों को पीछे ले जाते हैं, ठीक नितंब की सीध में रखते हैं।दोनों हाथ नितंब पर रखते हैं और पैरों को सीधा कर देते हैं।
पर्वतासन
बढ़ती उम्र में व्यक्ति न सिर्फ शारीरिक रूप से कमजोर हो जाता है, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है। लेकिन अगर आप पर्वतासन का नियमित रूप से अभ्यास करते हैं तो शारीरिक और मानसिक तनाव को आसानी से दूर कर सकते हैं। वहीं जिन लोगों को कंधे में दर्द की शिकायत रहती हैं, उन्हें भी यह आसन करना चाहिए। इस आसन को करने के लिए पहले किसी हवादार जगह पर पद्मासन में बैठ जाएं। इसके बाद चैकड़ी मारते हुए पैरों को एक के उपर दूसरा रखें। इसके बाद धीरे-धीरे सांस भरे और कुछ देर सांस को रोक कर रखें। अब दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं और सांसों को कुछ क्षण रोकने का प्रयास करें। हाथ जब ऊपर ले जाएंगे तो दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में इंटरलॉक कर दें। कुछ समय बाद सामान्य स्थिति में आ जाएं इसके लिए आप धीरे-धीरे सांस छोड़े और हाथों को नीचे घुटनों तक लाएं। इस आसन को करने के दौरान आपको कमर को सीधा रखना है और शरीर को तानकर रखें।
बालासन
यह आसन न सिर्फ शरीर की चर्बी को दूर करने में मदद करता है, बल्कि इसके जरिए शरीर की मांसपेशियों को भी मजबूती मिलती है। यही कारण है कि इस आसन को बढ़ती उम्र में करने की सलाह दी जाती है। इस आसन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले फर्श पर घुटनों के बल बैठ जाएं। इस दौरान आपका पंजा बाहर की तरफ होना चाहिए। अब कमर को आगे की तरफ लाते हुए हाथ को बिल्कलु सीधा रखें। आगे की तरफ झुकते समय आपका माथा फर्श से टच होना चाहिए। इस पोजीशन में 10 गिनने तक रहें। उसके बाद धीरे से सांस छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में वापिस लौट आएं।
शंशाकासन
शंशाकासन को रैबिट पोज भी कहा जाता है। यह आसन न सिर्फ शरीर के विभिन्न भागों खासकर जोड़ों में होने वाले दर्द से मुक्ति दिलाता है, बल्कि व्यक्ति के प्रतिरक्षा तंत्र को भी मजबूत करता है। जिससे व्यक्ति बार-बार बीमार नहीं पड़ता। शंशाकासन पाचनतंत्र संबंधी परेशानियों को दूर करने में भी कारगर है। इस आसन का अभ्यास करने के लिए पहले आप व्रजासन में बैठें। इसके बाद अपने हाथों से एड़ियों को पकडे़ें। अब अपने सिर को धीरे-धीरे आगे ले जाते हुए उसे घुटने से टच करवाने का प्रयास करें। कुछ देर इसी अवस्था में रहें और फिर बेहद आराम से प्रारंभिक अवस्था में लौट आएं।
नोटः चूंकि हर व्यक्ति की शारीरिक समस्या अलग होती है, इसलिए किसी भी योगासन को योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें। साथ ही इन योगासनों का अभ्यास खाली पेट करें। वैसे योगाभ्यास के लिए सुबह का समय सर्वाधिक उचित माना गया है।