मोनोसोडियम ग्लुटामेट को लेकर तर्क वितर्क
प्रयोग करें या न करें यह आपके विवेक पर निर्भर है.
यह पुराने ज़माने से चीनियों का रहस्य नहीं है। माँस को नरम करने के लिए 1950 और 1960 में इसका इस्तेमाल किया जाता था। एम.एस.जी. का आजकल सामान्य रूप से चीनी फास्ट फूड में इस्तेमाल होता है। यह स्वाद को बढ़ाता है, शताब्दियों से इसका इस्तेमाल स्टार्च, र्कान, शुगर बीट, मोलासेस, ईख का खमीर बनाने में होता है। अंतिम उत्पादन ग्लुटामेट है। ग्लुटामेट प्रोटीन का प्राकृतिक रूप है जो चीज़, दूध, माँस, अखरोट और मशरूम में पाया जाता है।
1960 के अंत में एम.एस.जी. के बारे में अध्ययन हुआ, इसके बाद लोगों ने कई प्रकार के लक्षणों के बारे में बताया वह है सरदर्द, गर्दन और दिल के पास त्वचा मं, जलन की अनुभूति, वमनेच्छा, हृदय के धड़कन का तेज़ होना और साँस लेने में मुश्किल होना। इन लक्षणों को एक साथ एम.एस.जी. सिम्प्टम कॉम्प्लेक्स कहते हैं। एम.एस.जी. को लेकर गवेषणा की गई और एफ.एम.जी.सी. सेक्टर और कन्स्यूमर के तरफ से जाँच-पड़ताल की जा रही है।
जबकि
अमेरिकन मेडिकल असोशिएशन और यू.एस. फूड एण्ड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन दोनों ने एम.एस.जी. को साधारण खपत के लिए सुरक्षित बताया है।
एम.एस.जी. को सुरक्षित खाद्द-पदार्थ दिखलाया गया है, लेकिन कुछ लोग एम.एस.जी. वाले उत्पादक से संवेदनशील हैं। इससे लोगों को सरदर्द और साँस लेने में असुविधा होती है (जिन्हें साधारणतः दमे की बिमारी होती है)। इसलिए एफ.डी.ए. ने एम.एस.जी. वाले खाद्द पदार्थ में लेवल करने पर ज़ोर दिया है