नारी
औरत तो अपना फर्ज़ खूब निभाती रही,और ये दुनिया मासूम पर ज़ुल्म ढाती रहीन मालूम कितनी कुर्बानियां दी हैं अब तलक,वो बेक़सूर होकर भी ताउम्र सज़ा पाती रहीबेटी, माँ, सास का किरदार सलीके से निभाया,इनाम तो न हुआ हासिल ज़िल्लत ही पाती रहीउसे इल्म ही न था कुछ सीखने समझने का,यही एक कमी थी दुनिया बेवक़ूफ बनाती रह