भूख में होती है कितनी लाचारी,
ये दिखाने के लिए एक भिखारी,
लॉन की घास खाने लगा,
घर की मालकिन में दया जगाने लगा।
दया सचमुच जागी
मालकिन आई भागी-भागी-
क्या करते हो भैया ?
भिखारी बोला
भूख लगी है मैया।
अपने आपको
मरने से बचा रहा हूं,
इसलिए घास चबा रहा हूं।
मैया ने आवाज़ में मिसरी घोली,
और ममतामयी स्वर में बोली—
मेरे साथ अंदर आओ।
दमकता ड्रॉइंग रूम
जगमगाती लाबी,
ऐशोआराम को सारे ठाठ ।
फलों से लदी हुई
खाने की मेज़,
और किचन से आई जब
महक बड़ी तेज,
तो भूख बजाने लगी
पेट में नगाड़े,
लेकिन मैया ले आई उसे
घर के पिछवाड़े।
भिखारी भौंचक्का-सा देखता रहा
मैया ने और ज़्यादा प्यार से कहा—
नर्म है, मुलायम है। कच्ची है
इसे खाओ भैया
बाहर की घास से
ये घास अच्छी है !