भारतीय वायुसेना अगले साल तक अपने जखीरे में 'अस्त्र' मिसाइल को भी शामिल कर लेगी। हवा से हवा में सटीक निशाना साधने वाली इस हाई टेक्नोलॉजी वाली मिसाइल को सार्वजनिक तौर पर पहली बार दागने की तैयारी हो चुकी है।
10 साल लग गए बनाने में
भारतीय वायुसेना के लिए 'अस्त्र' मिसाइल काफी अहम है क्योंकि इसे बनाने में लगभग 10 साल लग गए। फिलहाल इसका परीक्षण चल रहा है और यह 2016 के अंत तक पूरा हो जाएगा। आईएएफ के एक अधिकारी के मुताबिक, 18 मार्च को राजस्थान के पोखरण में विमान सुखोई 30 एमकेआई के जरिए इस मिसाइल को छोड़ा जाएगा। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यहां मौजूद होंगे।
1. इस मिसाइल की तकनीक बैलिस्टिक मिसाइल 'अग्नि' से बहुत अधिक उन्नत है। इसमें काफी आधुनिक और स्मार्ट यंत्र लगे हैं। यह मिसाइल लक्ष्य को उस जगह से हटा देने पर भी उसे आसानी से ढूंढ लेगी। शायद यही वजह है कि इसे बनाने में रक्षा शोध एवं अनुसंधान संगठन (डीआरडीओ) को इतनी देर लग गई।
2. इसमें लगे अत्याधुनिक यंत्र इसे तेजी से लक्ष्य का पीछा करके उसे समाप्त करने की क्षमता देते हैं। इस मिसाइल ने पैंतरे बदलने वाले लक्ष्यों को भी परीक्षण के दौरान बहुत सटीक ढंग से भेदा है।
3. दुश्मन के विमानों द्वारा इलेक्ट्रो मैग्नेटिक क्षेत्र बना कर मिसाइलों को लक्ष्य से भटकाने की कोशिश करने की स्थिति में उससे निकल कर इसमें सटीक निशाना साधने की क्षमता है। डीआरडीओ की मानें तो यह मिसाइल 20 किलोमीटर से 80 किलोमीटर के तक लक्ष्य को भेदने में सक्षम है।
4. यह मिसाइल 3.57 मीटर लंबी है। इसका व्यास 178 मिलीमीटर है और प्रक्षेपण के समय इसका वजन 154 किलोग्राम रहता है। आम तौर पर इसमें 15 किलोग्राम विस्फोटक रहता है।
5. समुद्र स्तर से दागने पर यह 20 किलोमीटर जाती है लेकिन यह 8 हजार मीटर की ऊंचाई से दागने पर 44 किलोमीटर और 15 हजार मीटर से दागने पर 80 किलोमीटर दूर के लक्ष्य को भेद सकती है। एक बार नाकाम होने की बात छोड़ दें तो यह मिसाइल अब तक के सभी परीक्षणों में सफल रही है।
inextlive Desk