गुरु पूर्णिमा को गुरु का दिन कहा जाता है। वास्तव में यह किसी भक्त द्वारा कृतज्ञता अनुभव करने का एक विशेष दिन है।
यह कृतज्ञता वह उस ज्ञान के लिए व्यक्त करता है जो उसे अपने सद्गुरु से प्राप्त हुआ है। जिस ज्ञान ने तुम्हें भीतर से परिवर्तित कर दिया, उसके लिए कृतज्ञता अनुभव करो।
प्राय: तीन प्रकार के लोग गुरु के पास आते हैं। विद्यार्थी, शिष्य और भक्त।
एक विद्यार्थी गुरु के पास कुछ सीखने-समझने आता है और कुछ जानकारी प्राप्त करने के बाद विद्यालय को छोड़ देता है। यह सब ठीक एक गाइड की तरह ही है, वह आपको कुछ पर्यटन स्थल दिखाता है, उसके बारे में कुछ सूचनाएं दे देता है और अंत में आप उसे धन्यवाद देकर
विदा हो जाते हैं।
विद्यार्थी वह होता है जो जानकारी एकत्र करता है।
उसके बाद आता है, शिष्य। शिष्य सदा गुरु के पदचिह्नों पर चलता है, लेकिन उसका उद्देश्य केवल ज्ञान प्राप्त करना ही होता है। और उस अर्जित ज्ञान से अपने जीवन के स्तर में वह सुधार लाता है। वह थोड़ा और भीतर तक जाता है। उसे कभी बोध हो भी जाए।
फिर, नंबर आता है भक्त का। भक्त का उद्देश्य बोध प्राप्त करना नहीं होता। वह तो बस हर समय अपने प्रेम में डूबा रहता है। उसे तो सद्गुरु से, प्रभु से प्रेम हो जाता है। उसे बोध या बुद्धिमता की चिंता नहीं होती है। वह हर क्षण प्रेममय बना रहता है। आज ऐसे भक्त मिलने बहुत मुश्किल हैं। विद्यार्थी तो बहुत होते हैं, लेकिन भक्त तो विरले ही हो पाते हैं।
भगवान बनना कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन भक्ति कहीं-कहीं पर ही प्रस्फुटित होती है। जहां ऐसी भक्ति नजर आती हो, वही भक्त है।
आकर्षण तो हर जगह होता है, लेकिन प्रेम कहीं-कहीं पर ही होता है, जबकि भक्ति तो बहुत दुर्लभ है। एक विद्यार्थी आंख में आंसू लेकर गुरु के पास आता है, जब वह जाता है तो भी उसकी आंख में आंसू ही होते हैं। वास्तव में ये आंसू प्रेम और कृतज्ञता के होते हैं। प्रेम में रोना बहुत सुंदर होता है। जो प्रेम में रोया हो, वही उसको अनुभव कर सकता है। पूरी सृष्टि का एक ही उद्देश्य है- नमकीन आंसुओं का मीठे आंसुओं में बदल जाना। प्रेम में तो विधाता भी आनंद मनाता है।
तुम जितना अधिक प्रभु को चाहते हो, वे भी उतना ही तुम्हें चाहते हैं। वे भी तुम्हारे भीतर आने को उतने ही आतुर हैं जितना
तुम उनके पास जाना चाहते हो। वे भी तुम्हारे पास आने को उतने ही अधीर रहते हैं।
इसी समझ के विकास से भक्ति का जन्म होता है।
इसीलिए गुरु पूर्णिमा भक्त का दिन है। वह भक्त के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
श्रीश्री रविशंकर