9 जुलाई 2015
अगर भारतीय बापूजी के सिखाए रास्ते पर चल पड़ें तो उनकी अनेकों तकलीफें दूर हो जाएंगी । बहुत ही ज्ञानवर्दक रचना
10 जुलाई 2015
सही कह रहे है , क्योकि मेरे घर के आस पास जहा सबमर्सिबल लगे है वो लोग अपने गार्डन के पेड़ों की पत्तियों की धुल भी पानी से साफ़ करते है ... और पूरी रोड में पानी से तरावट करना होता है जो की 5 या 10 मिनट में सूख जाता है ... लेकिन पानी उनको बर्बाद ज़रूर करना होता है ...
10 जुलाई 2015
जी आप सभी गुनी जनो का आभार , बस हाँथ में लोटा ले, बाल्टी से नहाये , सड़कों को धोना बंद करें तो भी दिन में ५० लीटर पानी बचा सकते हैं.
9 जुलाई 2015
आशीष जी बहुत अच्छी प्रस्तुति है ...आज जिस तरह जल का दुरूपयोग हो रहा उससे तो लगता है की हमारी आने वाली पुश्तों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है!
9 जुलाई 2015
आशीष जी, समझ नहीं आता कि जल का दुरुपयोग करने वाले लोगों को कैसे समझाया जाए...सुन्दर प्रसंग प्रस्तुति हेतु आभार !... आभारी होना चाहता हूँ उन सभी सुधी जनों का जो जल संरक्षण की महत्ता को समझते हैं।
9 जुलाई 2015
मसीहा गाँधी जी यूँ ही नहीं आजाद हों गए उनकों निभना और निभाना का सार पता था और हमें उनका वादा ही भूल गया फिर गंगा और हिमालय तो सबको हर दिन दिख ही रहा है मान्यवर आशीष श्रीवास्तव जी, बहुत खूब याद दिलायी बापू की आप ने.....आभार.......
9 जुलाई 2015