कानपुर
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने हाईटेंशन लाइन की चपेट में आए एक शख्स के दोनों हाथ कटने से बचा लिए। डॉ. प्रेम शंकर का दावा है कि यह दुनिया में अपनी किस्म का पहला ऑपरेशन है। देश में अब तक सिर्फ एक हाथ की ही ऐसी सर्जरी हुई है। मरीज के दाएं पैर से मांस और नसें निकालकर बाएं हाथ में और बाएं पैर से दाएं हाथ में ट्रांसप्लांट की गईं। ऑपरेशन माइक्रो सर्जरी से हुआ।
प्लास्टिक सर्जरी के असोसिएट प्रफेसर डॉ. शंकर के मुताबिक, रामादेवी एरिया में मजदूर महेश (35) 30 सितंबर को काम के दौरान 33 हजार वोल्ट की एचटी लाइन की चपेट में आकर झुलस गया था। जब वह हैलेट हॉस्पिटल आया तो डॉक्टरों ने की टीम ने बुरी तरह झुलसे दोनों हाथों के पंजे काटने का फैसला किया। लेकिन बाद में इरादा बदल दिया गया। माइक्रो सर्जरी के फर्स्ट फेज में दाएं पंजे के लिए बाईं जांघ से मांस और नसें निकालकर ट्रांसप्लांट किया गया। इससे हाथ में सर्कुलेशन शुरू हो गया। 15 दिन बाद बाएं पंजे के लिए दाईं जांघ से मांस और नसें निकाली गईं। महेश ठीक और घर जाने लायक है। 3 महीने बाद उसका एक और ऑपरेशन होगा। फिर वह रुटीन काम कर सकेगा।
डॉक्टरों का दावा
दोनों हाथों का ऐसा ऑपरेशन वर्ल्ड में पहली बार हुआ है। प्राइवेट हॉस्पिटल में इसका खर्च 8-10 लाख रुपये होता, लेकिन यह काम 8-10 हजार रुपये में हो गया। अब तक हुए ऑपरेशन में हाथ को मांस डिवेलप करने के लिए पेट से जोड़ा जाता था, लेकिन इसमें तरीका बदल दिया गया।