गणतंत्र दिवस से दो दिन पहले मंगलवार को एक निर्दलीय प्रत्याशी की मंशा जो भी रही हो, पर उसके बोल सुनकर हर कोई सन्न रह गया। प्रत्याशी ने खुलेआम विधायक बनकर पैसा कमाने और जनता को बेवकूफ बनाने की बात कह डाली। इन्होनें कहा कि ''मैं विधायक बनकर जनता को लूटना चाहता हूं।'' जब सवा सौ करोड़ जनता को बेवकूफ बनाकर मोदी, पीएम और करोड़ों लोगों को बेवकूफ बनाकर मुलायम, अखिलेश को सीएम बनवा सकते हैं तो मैं सिर्फ एक विधानसभा के कुछ मुट्ठी भर लोगों को बेवकूफ नहीं बना सकता हूं क्या?
राजनीति की कलई खोलने वाले उसके शब्द नश्तर की तरह चुभते नजर आए। मंगलवार को दक्षिण विस से नामांकन करने के लिए धाकरान निवासी चौ. गोपाल सिंह कलक्ट्रेट पहुंचे। नामांकन के बाद विस चुनाव में मुद्दे क्या होंगे, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि मेरा कोई मुद्दा नहीं। मेरा निजी मुद्दा पैसा कमाकर निवेश करना है। मुझे विधायक बन सुविधाएं हासिल करनी हैं। इस तरह की सोच कैसे बनी, इस सवाल पर कहा कि राजनीति में ऐसा ही हो रहा है। जो आता है, पैसा कमाकर पहले घर भरता है। इसके बाद तमाम पार्टियों पर प्रहार किया, फिर कहा, "पैसा कमाने के लिए ही राजनीति में आया हूं।" यह भी कहा कि सरकारी अधिकारी पैसे कमाने के तरीके बताएंगे।
नोटबंदी से चौपट हुआ धंधा
दरअसल, निर्दलीय प्रत्याशी चौधरी गोपाल सिंह धाकरे आगरा साउथ विधानसभा सीट से नॉमिनेशन करने कलेक्ट्रेट पहुंचे थे। मीडिया ने उनसे उनके मुद्दे पूछे तो कहा, मैं सिर्फ जनता को लूटने के लिए चुनाव लड़ने जा रहा हूं, क्योंकि सवा सौ करोड़ जनता को बेवकूफ बना कर मोदी प्रधानमंत्री और करोड़ों को बेवकूफ बनाकर मुलायम अखिलेश को मुख्यमंत्री बनवा सकते हैं तो मैं सिर्फ एक विधानसभा के कुछ मुट्ठीभर लोगों को बेवकूफ नहीं बना सकता हूं। मोदी की नोटबंदी के बाद मेरा काम-धंधा बिल्कुल चौपट हो गया। अब मैं भी उन्हीं की तरह जनता को बेवकूफ बनाकर विधायक बनूंगा और लोगों को लूट-लूट कर पैसे कमाऊंगा।
गोपाल ने कहा, मुलायम जनता को बेवकूफ बनाकर अपने पूरे खानदान को विधायक, सांसद, ब्लॉक प्रमुख और जिलापंचायत अध्यक्ष बनवा सकते हैं और बेटे-भाई को तो उन्होंने मंत्री भी बनवा दिया, लेकिन जनता उन्हें जीता रही है। ऐसे में हम अगर एक विधानसभा को बेवकूफ बना देंगे तो क्या अपराध हो जाएगा। हां इतना जरूर है की मैं चुनाव जीतूंगा तो आधा पैसा जनता के विकास पर और आधा अपने ऊपर खर्च करूंगा। इतने में तो जनता खुश हो जाएगी। गोपाल ने बताया, मेरा चांदी की चेन बनाने का काम था। नोटबंदी के बाद से धंधा ठप हो गया। अब मैं अपने भाई के साथ उनका काम देखता हूं, तब परिवार चलता है।