*मनुष्य इस धरा धाम पर जन्म लेकर अनेक प्रकार के क्रियाकलाप किया करता है , जो उसके दैनिक जीवन के अभिन्न अंग बन जाते हैं | इन्हीं क्रियाकलापों में एक महत्वपूर्ण क्रिया है मनुष्य का मुस्कुराना | मानव जीवन में मुस्कुराहट का विशेष महत्व है क्योंकि मनुष्य जब किसी बात पर मुस्कुराता है तो उसके आसपास रहने वाले लोग भी मुस्कुराने लगते है | एक मुस्कुराता हुआ चेहरा दूसरों के चेहरों पर भी मुस्कुराहट फैला देने में सक्षम होता है इसलिए मनुष्य को सम विषम दोनों ही परिस्थितियों में सदैव मुस्कुराते रहना चाहिए क्योंकि मुस्कुराने से ना केवल मनुष्य स्वयं आनंदित होता है बल्कि इसके कारण संपर्क में आने वाले दूसरे कई व्यक्ति भी आनंद का अनुभव करते हैं | मनुष्य का मुस्कुराना उसके जीवन में एक अवसर की तरह काम करता है | इसके साथ ही यह एक योगिक क्रिया भी है जिससे मनुष्य के अंग प्रत्यंग स्वस्थ व प्रसन्न रहते हैं | मुस्कुराना एक भावव्यंजना , संवेदनशीलता एवं अनुभूति का विषय है | मुस्कुराता हुआ चेहरा सभी को अच्छा लगता है जिसकी अभिव्यक्ति चारों और सकारात्मकता और प्रसन्नता का प्रसार करती है | वैसे तो मुस्कुराहट एक क्षण में उत्पन्न होती है परंतु इसकी मधुर स्मृति लंबे समय तक मानव जीवन में बनी रहती है इसलिए मनुष्य को किसी भी परिस्थिति में स्वस्थ मन से मुस्कुराने का प्रयास करते रहना चाहिए क्योंकि मुस्कुराने मे कल्याणमयी भावनाओं का खजाना छुपा होता है | इतना ही नहीं अच्छे कार्यों की परिणिति मिलाने वाली मुस्कुराहट संतोष प्रदान करने वाली एवं खुशी की क्षणों में खुशियां बिखेरने वाली होती है | कैसी भी परिस्थिति हो मनुष्य को मुस्कुराने का प्रयास अवश्य करना चाहिए |*
*आज के संघर्षपूर्ण एवं तनावपूर्ण वातावरण में मनुष्य मुस्कुराना ही भूल गया है | जिन परिवारों में जितना अधिक कार्य का दबाव है उतना ही उन परिवारों के चेहरे से मुस्कुराहट गायब होती जा रही है | जब व्यक्ति उदास होता है तो निराशा उसे घेर लेती है और तब उसके चेहरे से मुस्कुराहट भी अपनी एक दूरी बना लेती है , लेकिन जब वह उत्साहित होता है तथा एक नई आशा के साथ उसका मन उल्लास - उमंग से भरा होता है तो उसकी अभिव्यक्ति में सबसे पहले उसके चेहरे पर मुस्कुराहट ही आती है | मेरा "आचार्य अर्जुन तिवारी" का मानना है जब व्यक्ति के जीवन में समस्याएं आती है तो वह गंभीर हो जाता है ! गंभीर होना तो ठीक है परंतु इतनी गंभीरता भी नहीं होनी चाहिए कि मनुष्य नकारात्मक हो जाय | नकारात्मक मनुष्य कभी भी कुछ नहीं प्राप्त कर पाता | यह मानव जीवन परिणिति है कि समस्याओं में गंभीर होने वाला मनुष्य समस्याओं का ही समाधान होने पर स्वयं मुस्कुराने लगता है | समस्या कितनी भी गंभीर हो परंतु मनुष्य को मुस्कुराते हुए उस समस्या का समाधान ढूंढने का प्रयास करना चाहिए | जब मैया जानकी का हरण हुआ तो मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम बहुत विषम परिस्थिति में थे परंतु उन्होंने मैया शबरी , हनुमान जी , सुग्रीव एवं विभीषण आदि से मुस्कुराते हुए हैं वार्ता की तथा अपने लक्ष्य में सफल हुये | कहने का तात्पर्य है कि ना मुस्कुराना या नकारात्मक हो जाना किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता इसलिए मनुष्य को विषम परिस्थितियों में भी मुस्कुराते हुए समस्या का समाधान ढूंढने का प्रयास करना चाहिए |*
*सदैव मुस्कुराते रहने की आदत स्वयं मनुष्य के लिए स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने वाली तो होती ही है साथ ही यह मनुष्य के स्वभाव का एक अंग बन जाता है जिससे आस पास रहने वाले लोग मुस्कुराने की प्रेरणा प्राप्त करते रहते हैं |*