दादा,दादी,नाना नानी,मामा,मामी,काका,काकी,जाने कितने,रिश्ते जीवित होते थे,,जब छुट्टियो के दिन होते थे,।एक मेला सा सजता था,घर घर लगता था,,जब पीढियो के अंतर का नेह प्यार, व संस्कारो का स्
बुरे संग प्रार्थना करने से भले लोगों संग मिलकर डाका डालना भला। सुन्दर वस्त्र पहन नरक जाने से चिथड़े पहनकर स्वर्ग जाना भला।। बेडौल लोहे को हथौड़े से पीट-पीटकर सीधा करना पड़ता है। शेर की मांद में घुसन
जब मनुष्य सीखना बन्द कर देता है तभी से वह भी बूढ़ा होने लगता है। बुढ़ापा चेहरे पर उतनी झुरियाँ नहीं जितनी किसी के मन पर डालता है।। अनुभव से बुद्धिमत्ता और कष्ट से अनुभव प्राप्त होता है। बुद्धिमान
भाग- 11 उदय और बीना का विवाह अब परिवार के सभी लोगों ने सोचा कि उदय का विवाह कर देना चाहिए। दादी तो काफी दिनों से उदय के विवाह की रट लगाई हुई थीं। बीना व सदय की भी यही इच्छा थी कि उदय भैया का शीघ्
भाग-10 उदय का पुनर्जन्म अनीता उदय की स्कूली जीवन की बहुत अच्छी दोस्त थी। वह मन ही मन उदय से बहुत प्यार करती थी...लेकिन उदय की हरकतों से परेशान होकर उसने उदय को तो छोड़ दिया...पर उदय के प्रति अपने
भाग-9 उदय का पश्चाताप बीना रविवार के दिन बहुत देर से सो कर उठी। उठते ही उसने अस्पताल में फोन लगाकर उदय के विषय में पूछा? डॉक्टर उमेश ने बताया कि अब तबियत काफी ठीक है। खाना भी ठीक से खाया है।
किसी कानून से अधिक उसके उल्लंघनकर्ता मिलते हैं। ऊँचे पेड़ छायादार अधिक लेकिन फलदार कम रहते हैं।। शत्रु की मुस्कुराहट से मित्र की तनी हुई भौंहे अच्छी होती है। मूर्ख से लड़ने के बजाय उसकी चापलूसी कर
किधर भटकता इधर उधर, है क्या तुम्हे ये जरा खबर,, यह कोई सौम्य सा बालक नही है ,, यह तो है अशांत मन,,का सफर,। इसकी तो तुम कुछ न पूछो,, यह बच्चा बिगडैल जो बूझो,,, कब किस की जिद्द यह
सखि, आज तो बहुत गजब की बात पता चली है । अब तुम्हारे पेट में भी खलबली मचने लगी होगी ना कि वह गजब की बात क्या है ? सब्र रखो , अभी बताते हैं । आज पता चला है सखि कि कोरोना से याददाश्त भी चली जात
डायरी सखि, बड़ा गजब तमाशा था आज । दिल्ली की सड़कें निहाल हो गई आज तो । एक राजा के कदम चूमने का सौभाग्य आखिर दिल्ली की सड़कों को मिल ही गया । आजकल तो यह सौभाग्य ज्यादातर विदेशी सड़कों को ही नसीब ह
कही धूप कही है छाँव, जिंदगी के मचल रहे है पाॅव, कभी उपर कभी नीचे, यह कैसे कैसे भींचे। वो दरिया का एक किनारा, भला लगे ,भी प्यारा प्यारा। पर उसका क्या फिर करे नजारा, जो उतरकर, म
इक तूफान उठा है भारी, संभल कर बडा ही है विनाशकारी, जाने कब कब किस किस से,, क्या क्या ले जाएगा,, भूखा है बहुत,, देखना,, शायद अमीर बन ,, गरीब की रोटी ले जाएगा,, हो न हो दावानल सा है यह,, देखना,,
सखि, आजकल ईमानदारी का प्रमाण पत्र बंट रहा है । सच कहूं तो यह प्रमाण पत्र वर्ष 2012 से बंट रहा है । पहले उसका स्वरूप दूसरा था । तब यह "भ्रष्टाचार प्रमाण पत्र" हुआ करता था । तब ये प्रमाण पत्र
मां से अदभुत है संसार,जन्मदायिनी मां ही होती।उंगली पकड़ चलना सिखाती,मां ये अदभुत काज सिखाती।।मां से अदभुत है संसार,प्रथम शिक्षिका मां ही होती।पढ़ना लिखना मां ही सिखाती,स्कूल का रास्ता वही दिखाती।।मां
वो पथ का पडा जो पत्थर, तुझको पुकारता है, कहता है मुझे चुपके से, क्या मुझको निहारता है,? आ हटा दे आकर मुझको, तेरा भाग्य पुकारता है, तू देख गम न करना, कि यह पत्थर आ खडा है, यही श्रम तेरे को चुनौती, तू
मौजूद है विचारो मे ,मेरे शब्दो का उमड़ना, घुमडना, रोकू कैसे,इनके संग,, सिमटना, और लिपटना, यह कोई काल्पनिक नही, वास्तविक एक उडान,है,। पंख इनमे छोटे है पर साहित्यिक है , बलवान है, एक
(भाग-8) कालू की गिरफ्तारी सुबह के सात बज चुके थे। चाची ने आवाज दी। बीना...ओ बीना... बेटा...जल्दी उठ जा। आज तो तुझे कालू को गिरफ्तार करना है और...उदय को घर लाना है। चाची की आवाज सुनकर बीना अनमनी सी उ
(भाग- 7)इंस्पेक्टर बीना की योजना अब इंस्पेक्टर बीना को कालू दादा के ठिकाने का पता लग चुका था। बीना ने उसके गैंग को पकड़ने के लिए योजना बनाना शुरू कर दिया। सबसे पहले बीना ने अपने साथियों के स
भाग-6इंस्पेक्टर बीना की खोजअब इंस्पेक्टर बीना ने अपनी पूरी टीम तैयार की...और पूरी मुस्तैदी से कालू दादा और उसके साथियों की गिरफ्तारी के लिए लग गई। हरेक दिन एक-एक गांव का दौरा किया गया...आस-पास के जंगल
(भाग-5) बीना का परिचय जगमोहन और विमला ने उदय, सदय और बीना को सगे बहन भाईयों की तरह ही पाला था। बीना उदय से छोटी व सदय से बड़ी थी। तीन बच्चों से भरा-पूरा परिवार था। साथ में दादी थी