एक साल बाद मई 2000 में मैं मामाजी के यहाँ गाजियाबाद गया था। वहाँ मेरा ममेरा भाई मझे गेम पार्लर ले गया। यहाँ मैंने पहली बार प्ले स्टेशन के गेम देखे। इनको देखकर मेरा मुँह खुला की खुला रह गया था। कहाँ पोल पोजीसन गेम और कहाँ नीड़ फॉर स्पीड जैसा ये 3डी गेम। जिसमें असली कारे दौड़ रही थी। सबसे ज्यादा आश्चर्य मुझे wwf का गेम देखकर हुआ। जिसमें रॉक और दूसरे खिलाड़ी थे। ये सब बिल्कुल असली लग थे। जैसे टी वी पर लाईव देख रहे हों। मैं इनकी फाइट देखकर सोच रहा था ये सब टी वी (गेम) के अंदर कैसे घुस गये। इसके बाद टेकन3 आया था। जिसमें मुझे शेर (किंग) को देखना अच्छा लगता था।