एक साल बाद 1998 में मैं टाइप करने दुकान पर गया तो दुकानदार ने बताया कि अब इस टाइप राइडर को कोई नहीं पूछ रहा है। कई दुकानदारों ने कम्प्यूटर ले लिये हैं। उसके प्रिंट इससे अच्छे आते हैं और उसमें गलती होने पर उसे हाल की हाल ठीक भी किया जा सकता है।
इसी साल मैनें कम्प्यूटर कोर्स सीखना शुरू किया था जिसमें वर्ड स्टार, लोटस, फोक्स प्रो का कोर्स कराया जाता था। यहीं पर मैंने 5.5 इंच की फ्लॉपी देखी थी। घर पर मैं कम्प्यूटर रेपिडेक्स व कम्प्यूटर संचार सूचना मैगजीन लाता था। इस समय (1998 में) कम्प्यूटर की कीमत शायद एक लाख के आसपास हुआ करती थी। इस समय 386, 486 प्रोसेसर आता था। कम्प्यूटर के लिए ए.सी. की जरूरत पड़ती थी। उसमें c v t (स्टेब लाइजर) लगता था। कम्प्यूटर एम सी ए के छात्रों, अखबारो या कुछ लोगों पर ही होता था।