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अलग दुनियाँ

20 अक्टूबर 2021

33 बार देखा गया 33
जुलाई 1997 में पाप की ड्यूटी कुंभ मेले में लगने के कारण हम लोग हरिद्वार आ गये थे। पापा का हरिद्वार में दूसरी बार ट्रांसफ़र हुआ था इसलिए यह शहर मेरे लिये नया नहीं था। पर अब यहाँ आकर ऐसा लगा जैसे मैं किसी दूसरे देश में आ गया हूँ। क्योंकि पेपर के कारण हमनें दो महीने से टीवी नहीं देखा था, तो पहला झटका टीवी देखकर लगा। अब डीडी1 पूरे दिन (24घंटे) आने लगा था। इससे पहले शहर में, 1 अप्रैल 1997 को डीडी1 पर फ़िल्म आयी थी उसके गाने "अप्रैल फूल बनाया तो उनको गुस्सा आया" की चर्चा पूरे सप्ताह तक स्कूलों में चली थी। ऐसे ही एक और फ़िल्म आयी थी 'अनाड़ी'। इसके हास्य दृश्यों की चर्चा तो शायद पूरे शहर में सप्ताह भर चली थी। यहाँ भी जाओ किसी के घर, बाजार, किसी दुकान पर उसी फ़िल्म की बात करते हुए लोग मिल जाते थे।
अभी तक हमारी जिंदगी में डीडी1 ही था। पर अब ज्यादातर लोगों ने केवल टीवी लगवा लिये थे। अब टीवी भी ब्लैक एंड व्हाइट या रंगीन (अपट्रोन) नहीं बल्कि बाजार में रिमोट वाले टीवी आ गये थे। जिसमें 12 नहीं बल्कि 99 चैलन होते थे। यहाँ पहले डीडी1 पर हफ्ते में एक या दो कार्टून फ़िल्म देखने को मिलती थी। अब कार्टून नेटवर्क पर पूरे दिन कार्टून आते थे। पर शक्तिमान ने अब भी लोगों को डीडी1 से जोड़ रखा था।
अब सड़कों पर मारुति 800 व मारुति वैन (ओमनी) के अलावा बहुत सारी कारें आ गयी थी जैसे मटीज, सेंट्रो, टाटा सूमो आदि। पूरे शहर में कई बड़े-बड़े गिफ्ट एम्पोरियम खुल गये थे। पहले गिफ्ट के लिए बुक सेलर की दुकान पर ही जाना होता था, यहाँ थोड़े बहुत खिलौने आदि मिलते थे। पर गिफ्ट एम्पोरियम जादुई दुनियाँ जैसा था जहाँ सोच से भी ज्यादा चीजे मिलती थी। जैसे क्रेजी बॉल, जो कई टप्पे खाती थी, माउजर जिसमें पीले रंग की मोती जैसी गोलियां पड़ती थीं, ब्रिक वीडियो गेम, कारे जो पीछे खींचकर छोड़ने पर चलती थी और इनके दरवाजे भी खुल जाते थे, तार वाली रिमोट की गाड़ियाँ। बाजार में कई नये (चाईनीज) खिलौने आ गये थे, जिन्हें मैने पहले कभी नहीं देखा था। अब बच्चे चाभी वाले या घिसने वाले खिलौनों से नहीं बल्कि सेल व रिमोट वाले खिलौनों से खेलते थे।
इससे पहले जब 1985-86 में पापा का नई जगह ट्रांसफर हुआ था तब भी ऐसा ही नया-नया शहर लगा था। पहले यहाँ सारे खिलौने टीन के आते थे अब वो बिकने बंद हो गए थे। जैसे लड़ते हुए पहलवान या मुर्गे, कमल का फूल, चू-चूँ करती पंख वाली चिड़िया आदि। ब्लैक एंड व्हाइट की जगह रंगीन फोटो खिंचने लगे थे। निगेटिव भी बड़े की जगह छोटे हो गये थे। एलबम भी काले कागज की जगह सफेद, प्लास्टिक की आ गयी थी। घरों में रेडियो के अलावा लकड़ी के शटर वाले टीवी आ गये थे। मैं स्कूल के बच्चों को स्टील या अल्युमिनियम के संदूक ले जाते हुए देखता था। पर मुझे कपड़े का बस्ता (बैग) मिला था। जिसे दोनों कन्धों पर टाँग के ले जाया जाता था।
जब मैंने होश सँभाला तब टीवी पर रामायण आती थी। मुझसे पहले की पीढ़ी का बचपन मुझसे बिल्कुल अलग था और मेरे बाद पैदा हुये लोगों का बचपन मिला जुला रहा। 1997 के बाद के बदलावों में मुख्य रूप से केवल टीवी , गिफ्ट एम्पोरियम व कुछ घरों में कम्प्यूटर का आना था। इस तरह तकनीकी रूप से मैं बिल्कुल शुद्ध पीढ़ी का बच्चा रहा हूँ 
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कम्प्यूर से सामना

20 अक्टूबर 2021
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1997 में (11वी क्लास में) मैंने पहली बार इलेक्ट्रॉनिक टाइप राइडर देखी थी। हमारे घर पर सादा टाइप राइड

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वायरस

20 अक्टूबर 2021
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सन 2000 में मैंने एक फ़िल्म देखी थी-स्टूअर्ट लिटिल टू , जिसमें सफेद चूहा था। मैं कई साल तक इसे असली स

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प्ले स्टेशन

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जून 1999 तक मैने 2डी वीडियो गेम खेले थे। जिसमें मारियो, कॉनट्रा आदि चलते थे। स्ट्रीट फाइटर, फाइनल फा

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सायरन फोन

20 अक्टूबर 2021
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<div>मेरा छोटा भाई (कजन) एक खिलौना लेकर आया था। इसमे एक या दो गानों के बोल (मुखड़े) बजते थे। मेरे पास

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कविता शायरी और sms

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अप्रैल 2004 में रिलायन्स ने 500 रुपये का फोन निकाला था। इसके बाद रिक्शेवालों के पास भी मोबाइल फोन मि

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कॉलेज प्रोजेक्ट

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2004 में मुझे pg1 ईयर के लिए ऐसाइंटमेन्ट बनाकर जमा कराना था। इसके लिये मुझे कई किताबें पढ़नी पड़ी। पुस

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मेरा पहला कैमरा

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1998 के आप-पास कोडेक ने 850 रुपये का कैमरा निकाला था। इसके बाद लोगों ने घरों में फोटो खींचने शुरू क

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नये धारावाहिक

20 अक्टूबर 2021
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साल 1994-95 में दूरदर्शन ने दो नये धारावाहिक की शुरुआत की थी। एक था शान्ति, जो पहले आने वाले पारिवार

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मुलाकात

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अक्टूबर 1997 की बात है मेरा एक सहपाठी मुझे लेकर अपने किसी मित्र से मिलने गया था। उसके घर पर केवल टीव

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अलग दुनियाँ

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जुलाई 1997 में पाप की ड्यूटी कुंभ मेले में लगने के कारण हम लोग हरिद्वार आ गये थे। पापा का हरिद्वार म

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गिफ्ट टेंशन

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अपने भतीजे के खिलौने देखकर लगा कि 2008 तक यह बाजार कितना बदल गया है। 1997 तक कोई इन खिलोनो के बारे म

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दिवाली कम्पटीशन

20 अक्टूबर 2021
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1997 में मैं दिवाली बनाने मौसी के आया था। तब सभी घरों में दिवाली की लगभग एक जैसी सजावट थी। सभी के घर

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मैक डोनल्ड

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<div>फ़रवरी 2020, आज उसी मैक डोनल्ड में जाने का मौका मिला। यहाँ आकर 15 साल पुरानी याद ताजा हो गई। सन

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दूसरी चाभी

20 अक्टूबर 2021
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हरिद्वार में हमने एक छोटा ताला खरीदा था। लगभग डेढ़ साल बाद उसकी चाभी हरिद्वार में कहीं खो गई। फिर वो

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कबाड़ का प्रयोग

20 अक्टूबर 2021
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1990 में दूरदर्शन पर दोपहर में क्राफ्ट बनाने का कार्यक्रम आता था। इसकी लोकप्रियता का पता इसी से चलता

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चूरन वाली लॉटरी

21 अक्टूबर 2021
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बचपन में हमारे पास खेलने के मुख्यतः तीन विकल्प थे चाभी वाले खिलौने, जन्माष्टमी के खिलौने और चूरन की

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फ्री गिफ्ट

21 अक्टूबर 2021
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आजकल क्रेक्स के साथ फ्री गिफ्ट मिलते हैं। पहले साल में एक या दो चीजें ही बाजार में आती थी जिनके साथ

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मेले में परीक्षा

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बात मार्च 1998 की है, हरिद्वार में आज कुंभ का शाही स्नान था। इसलिए पूरे मेला क्षेत्र में किसी भी वाह

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दौड़

21 अक्टूबर 2021
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दौड़....मैं अपनी जिंदगी में दो बार दौड़ा हूँ। जिन्हें भूलना थोड़ा मुश्किल है। एक बार 1998 में जब हमें द

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फोन पीसीओ

16 अप्रैल 2022
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Bsnl को छोड़कर सभी फोन कम्पनियों ने अपने रेट बढ़ा दिये। इसी पर चर्चा करते-करते मुझे फोन की पुरानी बातें याद आ गई। 1997 की बात है हमारे घर के पास एक pco खुला। इससे पहले हमें फोन करने के लिए थोड़ी दूर जाना

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सोशल मीडिया

22 अप्रैल 2022
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2011 की बात है मेरे एक दोस्त ने मुझे फोन करके साइबर कैफे पर बुलाया। वो काफी टेंशन में था। मेरे पूछने पर उसने बताया कि 3 दिन से उसके फेसबुक पर कोई कमेंट व लाईक नहीं आया है। 2004 में pg में एसाइनमेंट के

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मुस्काजंलि

25 अप्रैल 2022
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मैं कम्प्यूटर पर काम कर रहा था बगल की खिड़की में मेरी किताबें चुनी रहती थीं। उन क़िताबों के बीच में एक छोटी सी चुहिया झाँक रही थी, वो मुझे ही देख रही थी। मैंने हाथ से उसे भगाया तो वह किताबों के बीच में

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मुफ्त का खाना

29 अप्रैल 2022
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मामा जी की जान पहचान में किसी की शादी थी। मेरा मामा जी का लड़का मुझे जबरदस्ती उस शादी में ले गया। हम दोनों बाईक से वहाँ पहुँचे। वहाँ पहुंच कर थोड़ी देर बाद हम दोनों उस शादी में खाने के मजे लूट रहे थे। म

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प्रिंसीपल और नकल

3 मई 2022
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मेरी बीएड की प्रवेश परीक्षा थी। मेरा सेंटर जी आई सी में पड़ा था। वहाँ में पेपर देने के लिए एक बड़े से हॉल में बैठा था। मेरी बेंच पर दूसरी साईड एक लड़की बैठी थी। पेपर देने के बाद उससे मेरी बात हुई थी। उसन

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रिमोट वाले टीवी

5 जून 2022
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मैंने जब होश संभाला तब हमारे घर में ब्लैक एंड व्हाइट टीवी था। उस समय कई लोगों पर लकड़ी के शटर वाले टीवी थे। कई लोग टीवी पर प्लास्टिक की रंगीन स्क्रीन लगाकर उसे रंगीन टीवी बना लेते थे। ये स्क्रीन पारदर

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संगीत का शौक

13 अक्टूबर 2022
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90s में हमारे पास गानों के लिए दो ही विकल्प थे, गाने देखने हो तो चित्रहार और गाने सुनने के लिए कैसेट। चित्रहार के अलावा गाने देखने के लिए कुछ लोग अपने घर में किराए पर vcr या vcp लाया करते थे। इसके बाद

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3D एनिमेशन का सफर

24 अक्टूबर 2022
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2019 की बात है, मेरा भतीजा मुझे गेम खेलने के लिए दुकान पर ले गया। मैं कई सालों बाद वीडियो गेम पार्लर पर गया था। इससे पहले मैं अपने मामा जी के बच्चों के साथ जाता था जो वहाँ 'टेकन3' खेलते थे। इस दुकान प

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4डी फिल्म

20 फरवरी 2023
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2012 के आसपास की बात है, मेरे ममेरे भाई ने मुझसे कहा कि फिल्म देखने चलेंगे। नुमाइश में 4डी थियेटर आया हुआ है। 1998 में एक फिल्म आई थी छोटा जादूगर। तब स्कूल में बच्चे 3डी फिल्म की बात करते थे। वो बताते

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