भारतीय त्यौहारों में प्रकृति को बहुत महत्व दिया गया है | प्रकृति को माँ का दर्जा दिया गया है , जिस तरीके से माँ अपने बच्चे का पालन पोषण करती है उसी तरह प्रकृति भी इस संसार का पालती पोसती है | प्रकृति के सम्मान में ही हमारा कल्याण है , उसी को आदि शक्ति कह
भाषा है हर संवाद के लिए जरूरी, फिर क्यों बनें अंग्रेजी जरूरी? अपनी निज भाषा, क्यों बनें तमाशा? शब्दों के अर्थ में बंधकर, बोले जो भी भाषा, वहीं है अपनी आशा संवाद के लिए जरूरी है जितनी भाषा, खुद को सुनाने के लिए भी, जरूरी है अपनी भाषा। चहुंओर लड़ाई है, कहीं क्षेत्रवादिता, कहीं भाषावादिता, वाद, विवा
* प्रकृति और हम *(( वयस्कों केलिए गहरा सन्देश लिए ))जब एक पेड़ बीमार होता है, तो क्या करते हैं ??यदि पेड़ प्रिय है, तो उपाय करते हैं;क्या फिर, उसके तने, डालियों, पत्तों का इलाज करते हैं ??या, उसकी जड़ों पर काम करते हैं;चलो इसकी बात करते हैं, इस दिशा में कार्य करते
हर साल 5 जून को ’विश्व पर्यावरण दिवस’ ( World Environment Day) मनाया जाता है । यह दिन पर्यावरण के ज्वलंत मुद्दों के बारे में आम लोगों को जागरूक करने और इस दिशा में उचित कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र (United Nations) का प्रमुख साधन है ।इतिहास
सुदूर पर्वत परबर्फ़ पिघलेगीप्राचीनकाल से बहतीनिर्मल नदिया में बहेगीअच्छे दिन कीबाट जोहतेकिसान के लिएसौग़ात बन जायेगीप्यासे जानवरों कागला तर करेगीभोले पंछियों कीजलक्रीड़ा मेंविस्तार करेगीलू के थपेड़ों की तासीरख़ुशनुमा करेगीएक बूढ़ा प्यासा अकड़ी
"मृत्यु" "नवीन जीव संरचना की उत्पत्ति का उद्देश्य ,प्रकृति के परिवर्तन का सन्देश जो सारभौमिक सत्य है"
कितना दर्द सहते हो तुम फूल ,कांटों मे भी मुस्कुराते हो तुम फूल ,महक से दिलों में खुशी लाते तुम फूल ,प्रक्रुति को अपने रंगों से, किसी नई दुल्हन सी सजाते तुम फूल । ॥1॥चाहे आए गर्मी जाड़ा या तूफ़ान कोई ,न तुम लडखड़ाते हो ,भौंरे तितली चुसे तुमको ,फिर भी प्यार उन पर लुटाते हो
एण्डले, फ्राँस में एक ऐसा विशाल पत्थर है, जो छोटे-से आधार पर नाचते लट्टू की सी स्थिति में खड़ा है। इसे देखने पर ऐसा लगता है, जैसे यह किसी विद्युत चुम्बकीय शक्ति के प्रभाव से टिका हो। वै ज्ञान िकों ने वहाँ ऐसे किसी बल की सम्भावना की सूक्ष्मता से जाँच-परख की, परखे किसी
तुम कितनी शांत हो गयी हो अब ,बीरान सी भी .वो बावली बौराई सरफिरीलड़की कहाँ छुपी है रे ? जानती हो , कितनी गहरी अँधेरी खाइयों मेंधकेल दी जाती सी महसूसती हूँ खुद कोजब तुम्हारे उस रूप को करती हूँ याद . क्यों बिगड़ती हो यूँ ?जानती हो न ,तु
सूखा , वर्षा, त्रासदी , पानी के सब मूल ।जल का दोहन न करे , प्रकृति होगी प्रतिकूल ।।प्रकृति होगी प्रतिकूल ,पड़ेगा भयंकर सूखा ।वन, पक्षी और मानव , बूँद बूँद को तरसा ।।कहत कवी अनुराग , जल का करो संरक्षण ।प्रकृति होगी खुशहाल , सबका होगा रक्षण ।।
@@@@@@ पपीहा बोले पीहू-पीहू @@@@@@ ********************************************************** जान लिया जीवन का सार ,लोग कहते हैं इसको प्यार | सार बहुत ही गहरा है ,जिस पे हो गये सभी निसार || क्यों बचे फिर मैं और तू ,पपीहा बोले पीहू पीहू | बसन्त की बहारों में,सावन की फुवारों में | गाने वाले गाते गाते
शब्दनगरी के सभी मान्यवरों को प्रणाम! २०१३ की उत्तराखण्ड आपदा के अनुभव आज भी प्रासंगिक हैं| उन अनुभवों को आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ| धन्यवाद|
पर्यावरण के सम्बन्ध में चर्चा करते हुए हमने कई पहलू देखे| वन, पानी और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संवर्धन के कई प्रयासों पर संक्षेप में चर्चा भी की| कई व्यक्ति, गाँव तथा संस्थान इस दिशा में अच्छा कार्य कर रहे हैं| लेकिन जब हम इस सारे विषय को इकठ्ठा देखते हैं, तो हमारे सामने कई अप्रिय प्रश्न उपस्थित ह
"बाग़ बिन पर्यावरण"बुजुर्गों ने अपने हाथों से बाग़ लगाया था गाँव के चारों ओर, याद है मुझे। मेरा गांव बागों सेघिरा हुआ एक सुन्दर सा उपवन था।कहीं से भी निकल जाओं, फलों से मन अघा जाता था। महुआ, जामुन मुफ़्त में मिल जाते थे तोआम, आवभगत के रसीले रस भर देते थे। शीतल हवा हिलोरें मारती थी तो बौर के खुश्बू, हर
इस्राएल की बात हमने पीछले लेख में की| इस्राएल जल संवर्धन का रोल मॉडेल हो चुका है| दुनिया में अन्य ऐसे कुछ देश है| जो देश पर्यावरण के सम्बन्ध में दुनिया के मुख्य देश हैं, उनके बारे में बात करते हैं| एनवायरनमेंटल परफार्मंस इंडेक्स ने दुनिया के १८० देशों में पर्यावरण की स्थिति की रैंकिंग की है| देशों म
एक आकलन के अनुसार, यदि विश्व का प्रत्येक व्यक्ति एक औसत अमेरिकीजितना संसाधन उपभोग करे तो हमारी पृथ्वी जैसे तीन और ग्रहों की ज़रुरत पड़ेगीअर्थात कुल चार ग्रह. ब्रिटेन के टीवी चैनल आईटीवी पर स्टीफन हॉकिन्स ने आगाह कियाकि जलवायु परिवर्तन करीब सात करोड़ साल पहले के क्षुद्र ग्रहों के उस टकराव से भीज
इस्राएल! एक छोटासा लेकिन बहुत विशिष्ट देश! दुनिया के सबसे खास देशों में से एक! इस्राएल के जल संवर्धन की चर्चा करने के पहले इस्राएल देश को समझना होगा| पूरी दुनिया में फैले यहुदियों का यह देश है| एक जमाने में अमरिका से ले कर युरोप- एशिया तक यहुदी फैले थे और स्थानिय लोग उन्हे अक्सर 'बिना देश का समाज' क
पर्यावरण संरक्षण सर्वोत्तम मानवीय संवेदना सुशील शर्मा मनुष्य और पर्यावरण का परस्पर गहरा संबंध है।अग्नि , जल, पृथ्वी , वायु और आकाश यही किसी न किसी रूप में जीवन का निर्माण करते हैं, उसे पोषण देते हैं। इन सभी तत्वों का सम्मिलित , स्वरूप ही पर्यावरण है। पर्यावरण संरक्षण पाँच स्तरों पर सम्भव होगा-1- मान
विश्व का एक मात्र उदारण जो पेड़ों के लिये अपनी कीमती जान देना वह् 363 अमर शहीद विशनोई जो अमृता देवी की अगवाई में हुआ जोधपुर नरेश ने किले की चिनाई के लिए चुना पकाने के लिए लकड़ी लाने का आदेश् दिया उनके सैनिक लकड़ी लेने के लिए निकले तो खेजड़ली गांव में बहुत खेजड़ी के पेड़ देखे तो उसे काटने लगे यह देख विशनोई
दिन पर दिन बढती जा रही हमारी वैज्ञानिक प्रगति और नए संसाधनों से हम सुख तो उठा रहे हैं लेकिन अपने लिए पर्यावरण में विष भी घोल रहे हैं . हाँ हम ही घोल रहे हैं . प्रकृति के कहर से बचने के लिए हम अब कूलर को छोड़ कर किसी तरह से ए सी खरीद कर ठंडक का सुख उठाने लगे हैं लेकिन उ