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📘📗पुस्तक दिवस📗📘📓
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पुस्तकों का अंबार कहाँ-
अब एण्ड्रॉयड का खेल है।
विमोचन औन लाइन-
'इंटरनेट' एक्सप्रेस-मेल है।।
शीलालेख से भोजपत्र की दौड़-
अब ई पेपर टेल है।
सृजन कर सेयर करलो -
ग्रुप्स की चल रही रेल है।।
बिचारा विद्यार्थी उदास-
लटकाये बस्ता कई सेर है।
तक्षशिला राख हुई-
खुदाबख्श मानो बना जेल है।।
कवि बउराया जब सब लिखा
परन्तु देखा मोबाइल फेल है।
सेभ करो लिखकर-
नाम रहेगा गोगुल में-
दीये का तेल है।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल✍️
DrKavi Kumar Nirmal fb