*इस धराधाम पर जन्म लेने के बाद मनुष्य जीवन भर मूल्यवान से मूल्यवान वस्तुओं का संग्रह करने में लगा रहता है जबकि इस धरती पर मनुष्य का जीवन ही मूल्यवान है , क्योंकि जब ईश्वर की दी हुई सांसे समाप्त हो जाती है तो लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी एक क्षण का अतिरिक्त समय नहीं मिल पाता | मानव जीवन में यदि सबसे अधिक मूल्यवान कुछ है तो वह है समय | इसलिए प्रत्येक मनुष्य को बहुत ही सोच समझकर मूल्यवान समय का सदुपयोग करना चाहिए | गया हुआ धन दोबारा कमाया जा सकता है परंतु गया हुआ समय कभी भी लौट कर नहीं आ सकता | जीवन भर में अर्जित जो कुछ भी संपत्ति है वह सारी अर्पण कर दें फिर भी मनुष्य अपने जीवन में बीता हुआ समय वापस नहीं पा सकता | समय की अमूल्यता यह है कि सब कुछ अर्पण करने के बाद भी एक दिन का जीवन अधिक नहीं मिल सकता इसीलिए कहा गया है कि जीवन में समय अमूल्य है | कोई कितना ही मूल्य क्यों न दे दे परंतु समय नहीं मिल सकता | जिस प्रकार एक कृपण (कंजूस) एक - एक रूपये बहुत सोच समझकर खर्च करता है और उसे यह खर्च करने में भी अपार कष्ट होता है उसी प्रकार प्रत्येक मनुष्य को अपनी एक-एक क्षण का सदुपयोग कंजूसी के साथ करना चाहिए | अपने समय को सदैव सद्कार्यों में लगाते हुए उसका सदुपयोग करना चाहिए , निरर्थक बिताया हुआ समय बाद में मनुष्य को पछतावे के अलावा और कुछ नहीं दे सकता | जो भी समय मिला है उसे इस जीवन को सुधारने के लिए लगाने का प्रयास करना चाहिए जिससे कि अंत समय में पश्चाताप न करना पड़े | यह वही कर सकता है जो समय की कीमत को जानता है और जो समय को निरर्थक व्यर्थ कार्यों में बिताता रहता है वह अंत में पछताने के अलावा और कुछ नहीं कर पाता इसलिए प्रत्येक मनुष्य को समय का मूल्य पहचान कर उसका उपयोग करना चाहिए |*
*आज हम अपने जीवन को आधुनिकता को समर्पित कर चुके हैं | आज लोग समय की कीमत नहीं पहचान पा रहे हैं और दिन भर व्यर्थ के कार्यों में इधर उधर भटक कर समय को व्यतीत कर रहे हैं | मनुष्य कहता है कि अभी तो जीवन बहुत लंबा है जीवन को सुधारने के लिए अंत समय में कार्य किया जाएगा परंतु विचार कीजिए कि अपना अंत समय आज तक कौन जान पाया है ? शायद इसीलिए कहा गया है "काल करे सो आज कर आज करे सो अब ! पल में प्रलय होएगी बहुरि करोगे कब !!" मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" आज देख रहा हूं कि लोग जीवन भर इधर-उधर भटकते रहते हैं और अंत समय में भगवान की कृपा चाहते हैं | ऐसे लोगों को विचार करना चाहिए कि दस वर्ष तक अनेकों प्रयास करने के बाद भी भगवान की कृपा नहीं प्राप्त की जा सकती परंतु यदि कुछ समय श्रद्धा एवं भक्ति के साथ भगवान को समर्पित कर दिया जाय तो कुछ क्षणों में ही भगवान के दर्शन हो सकते हैं , परंतु मनुष्य समय के मूल्य को ना पहचान करके अंत समय की प्रतीक्षा करता है | वह शायद यह भूल जाता है कि जो समय को नहीं पहचान पाता समय उसकी पहचान मिटा देता है | समाज में परिवार में अपनी पहचान न मिटने पाए इसके लिए प्रत्येक मनुष्य को अपने प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करते रहने का प्रयास करना चाहिए | जो लोग आज के कार्य को कल पर डालने की वकालत करते हैं उनसे पूछा जाए कि जब प्राथमिक शिक्षा में पढ़ने का समय है तो उसके लिए आगे की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए क्योंकि जिस ने प्राथमिक शिक्षा नहीं पढ़ी वह जीवन में कुछ भी नहीं कर सकता | प्रत्येक कार्य उचित समय पर ही शोभा देता है और यह तभी संभव है जब मनुष्य समय की कीमत को पहचानेगा |*
*मानव जीवन जिस प्रकार अमूल्य है उसी प्रकार इस जीवन में समय मूल्यवान है इसलिए समय के मूल्य को समझकर अपने प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करना ही बुद्धिमत्ता कही जा सकती है |*