*मानव जीवन में विश्वास सा बहुत बड़ा महत्व है या यह कहा जाय कि विश्वास के बल पर ही यह संसार चल रहा है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी | एक दूसरे पर विश्वास करके संसार का कार्य सम्पादित हो रहा है | जब मनुष्य का विश्वास टूटता है तो क्षति दोनों पक्ष की होती है परंतु टूटने वाले की क्षणिक तथा तोड़ने वाले के लिए आजीवन का अभिशाप बन जाता है | महाराज दशरथ को अपनी तीनों रानियों में सबसे प्रिय कैकेयी थीं , कैकेयी का अपने एवं राम के प्रति प्रेम देखकर महाराज दशरथ यह कभी सोंच ही नहीं सकते थे कि कैकेयी इतना बड़ा विश्वास घात करेंगी कि मेरे प्राणों की भी चिन्ता नहीं रह जायेगी | महाराज दशरथ जी को तो कुछ दिन का कष्ट हुआ परंतु महारानी कैकेयी के लिए जीवन भर का अभिशाप बन गया | मनुष्य जब किसी पर विश्वास करता है तो उसके लिए सर्वस्व निछावर करने को तैयार हो जाता है परंतु वही विश्वाय जब टूटता है तो मनुष्य पश्ताताप की अग्नि में जलने लगता है | प्रत्येक मनुष्य एक दुकानदार है जहाँ वह विश्वास का सौदा लेकर बेंच रहा है ! जब तक उसका सौदा खरा है तब तक तो ग्राहक उसके पास आते रहते हैं परंतु जैसे ही उसके विश्वास रूपी सौदे में खोट आ जाता वैसे ही ग्राहक उसकी दुकान को छोड़ देते हैं | इसमें क्षति ग्राहकों की नहीं होती है वे तो दूसरी दुकान पकड़ लेंगे परंतु दुकानदार की बन्द हो जाती है | इसलिए प्रत्येक मनुष्य को अपना विश्वास बनाये रखना चाहिए जिससे कि आजीवन सम्बन्धों में खटास न आये | इस जीवन में जितने भी सम्बन्ध हैं चाहे पिता - पुत्र हों , माता - पिता , पति - पत्नी , सास - बहू , या मित्र - सम्बन्धी सब के सब विश्वास पर ही चलते हैं जहाँ यह विश्वास खिसकता है वहीं जीवन में अनेक प्रकार की विकृतियाँ उत्पन्न होकर मानव जीवन में विष घोलने लगती हैं | मनुष्य की मूल पूँजी विश्वास ही है अपनी मूल पूँजी को बचाकर रखने का प्रयास सबको ही करते रहना चाहिए |*
*आज आधुनिक युग में मनुष्य ने बहुत विकास कर लिया है | आज के युग में एक दूसरे से जुड़ने या जोड़ने का सबसे सशक्त माध्यम बनकर सोशल मीडिया उतरा है | सोशल मीडिया पर फेसबुक एवं व्हाट्सएप के माध्यम से लोग एक दूसरे से मित्रता कर रहे हैं | यहां एक दूसरे को पहचान पाना असंभव है , मात्र वार्तालाप करके ही एक दूसरे पर मनुष्य विश्वास करके मित्रता कर रहा है , अब यह विश्वास कितना मजबूत होता है या इसका क्या फल मिलेगा इसको कोई भी नहीं जान सकता है | मैं "आचार्य अर्जुन तिवारी" देख रहा हूँ कि आज समाज में विश्वास बनाकर विश्वासघात कुछ अधिक ही दिखाई देने लगा है | मुख्य बात यह है कि विश्वासघात का जन्म विश्वास से ही होता है | मनुष्य जब किसी के ऊपर अति विश्वास करने लगता है तभी उसके साथ विश्वासघात होता है | आज लगभग प्रतिदिन धोखाधड़ी , छलावा आदि की खबरें देखने एवं सुनने को मिलती रहती हैं | किसी ने किसी से नौकरी दिलाने के नाम पर धन ले लिया तो कहीं पत्नी ने पति की हत्या करवा दी , मित्र ने मित्र के साथ विश्वासघात करके उसके प्राण हरण कर लिए | आज किसी के भी ऊपर विश्वास करने का वातावरण ही नहीं दृष्टिगोचर होता है | ऐसे में मानव जीवन तो प्रभावित होगी रहा है साथ ही एक दूसरे पर विश्वास करने की परंपरा भी समाप्त होती दिख रही है | आज के युग में अपना विश्वास जमा करके कौन कब विश्वासघात कर देगा यह जान पाना बहुत ही कठिन कार्य है | अनेक सावधानियां रखने के बाद भी मनुष्य विश्वासघात का शिकार हो रहा है इसका यही अर्थ है कि आज मनुष्य ने अपनी मानवता को तिलांजलि दे दी है | किसी के विश्वास के साथ खेलना आज का चलन हो गया है जबकि यह स्वयं विश्वासघात करने वाले के लिए भी घातक होता है परंतु यह उसको बाद में समझ में आता है | मानव जीवन बहुत ही कठिनता से प्राप्त होता है इसलिए इस जीवन में प्रेम विश्वास बना करके ही मनुष्य को जीवन यापन करने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि जो लोग आज आपको मिले हैं वह शायद कल ना मिले परंतु लोग अपने अहम व चतुरता में अपने संबंधों का गला घोट देते हैं ऐसा करने पर उन्हें क्षणिक तो मिल सकता है परंतु यह भी सत्य है कि ऐसे लोग जीवनभर पश्चाताप करते रहते हैं |*
*विश्वास करने वाले के साथ विश्वासघात करना किसी की हत्या करने के बराबर पाप है परंतु लोग आज स्वयं को इतना बड़ा बुद्धिमान समझते हैं कि वे ऐसा करके स्वयं की विजय मानने लगते हैं जबकि यह उनकी बहुत बड़ी पराजय होती है |*