🕸️🕸️🕸️वृत्तियों से मुक्ति🕸️🕸️🕸️
मानव के अंदर पनपता पाप,
अमन चैन मानव समाज से जाता है।
जीवन बालक का हीं अच्छा,
छल, कपट, द्वेष भावना से मुक्त रहता है।
बाल सुलभ मन- दिल का सच्चा,
तृष्णा, दंभ और लालच से दूर रहता है।
तरुणाई संग जुटता चिट्ठा कच्चा,
घृणा, दुश्मनी एवं प्रतिशोध सर चढ़ता है।
मानव विकारयुक्त हो पशुवत् होता,
यम-नियम से वृत्तियों पर संयम करता है।
साधना-ध्यान से होता मानव देवसम,
मन बालक बना रहे- हितकारी होता है।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल
बेतिया, बिहार
14 / 06 / 2021