आतंकवाद, निर्दोषों की हत्या
डॉ शोभा
भारद्वाज
ईराक अफगानिस्तान
एवं बर्बाद होते सीरिया से जान बचा कर भागते शरणार्थी योरप के दरवाजे पर शरण के
लिए दस्तक दे रहे थे ईराक में सद्दाम रिजीम के पतन के बाद अस्थिरता , सीरिया में गृह युद्ध यहाँ
के बाशिंदों अपना सोने जैसा देश बर्बाद हो रहा था . किसी देश पर ऐसी मुसीबत न आये वहाँ
के निवासी अपना वतन त्यागने के लिए विवश हो जायें . इनके स्वागत के लिए कई योरोपियन देशों के एनजीओ
पानी की बोतलें लेकर खड़े थे उनके दर्द से लोग
अपने को आत्म सात कर अपने देश की सरकारों से शरणार्थियों को पनाह देने की अपील कर
रहे थे . हैरानी ? इन मुस्लिम शरणार्थियों
के लिए मुस्लिम देशों के दरवाजे बंद थे .ईरान
में सत्ता परिवर्तन हुआ शाह के समय के उच्च अधिकारियों एवं इस्लामिक सरकार के विरोधियों के सिर पर मौत मंडरा रही थी इस्लामिक सरकार ने सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करने
के लिए कालेज बंद कर दिए अपने बच्चों के भविष्य के लिए परेशान ईरानी टर्की के
रास्ते योरोप खासकर फ्रांस जाना चाहते थे ,जा रहे थे .जो गये वहीं बस गये.
संकट की हर घड़ी में फ्रांस ने खुलकर मुस्लिम
शरणार्थियों का स्वागत किया आज वहाँ सबसे अधिक
लगभग 68 लाख मुस्लिम फ्रांस में रहते है इसके बाद जर्मनी ब्रिटेन, इटली, नीदरलैंड, स्पेन और स्वीडन का नंबर आता है
आस्ट्रिया ने भी शरणार्थियों का खुल कर स्वागत किया . प्रश्न उठता है पेट्रो डॉलर के भंडार पर बैठे अरब देशों या 'इस्लामी क्रांति' के
जन्मदाता रहे शिया बहुल ईरान को अपने मुसलमान भाइयों के भले की चिंता क्यों नहीं
सताती ? पाकिस्तान में शिया मुसलमानों पर हमले होते हैं काफी समय से साम्प्रदायिक
हिंसा जारी है तालिबान
समेत ऐसे चरमपंथी गुट कट्टरपंथी सऊदी वहाबी विचारधारा से प्रेरित होकर शियाओं को
मारते हैं .ईरान विरोध जता कर चुप रह जाता है जबकि दुनिया को इस्लाम करने
की इच्छा रखते है अब टर्की के प्रेसिडेंट एर्दोआन
ओटोमन एम्पायर का स्वप्न देखते हुए आर्मीनिया
अजरबेजान की लड़ाई में मुस्लिम देश अजरबेजान का साथ दे रहे है . जबकि कहा जाता है
योरोप एवं अमेरिका इस्लाम के दुश्मन हैं एक दिन धर्म युद्ध
में जीत के बाद योरोप में इस्लाम का राज
हो जाएगा लेकिन अमीर खाड़ी के देशों ने शरणार्थियों को शरण देना दूर सहानुभूति का
एक शब्द भी नहीं कहा यमन पर अपने ही अरब भाईयों पर बमबारी कर रहे हैं .अपनों ने ही
उन्हें शरणार्थी बनने के लिए मजबूर कर दिया ईरान से पासदार ( क्रान्ति दूत ) यमन
में लड़ने के लिए भेज रहे हैं लेकिन पड़ोसी देश में शियाओं पर होने वाले अत्याचार की
चिंता नहीं है .2011 में गृह युद्ध छिड़ने के बाद से, 40 लाख से भी अधिक सीरियाई अपना देश छोड़ जा चुके हैं. लेकिन 'खाड़ी सहयोग परिषद' के छह
देशों ने इन चार सालों में सिर्फ 33 सीरियाइयों को ही अपने यहां शरण दी
है संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग के एक पुनर्वास कार्यक्रम के अंतर्गत वह भी मजबूरी
में, उन्हें भय है शरणार्थी कहीं उनकी सत्ता में सेंध न लगा दें दुख होता है .शरणार्थियों
के नाम पर खाड़ी के अमीर देश सिर्फ फिलस्तीनी शरणार्थियों का साथ देते हैं , क्योंकि इससे इसराइल के खिलाफ गुटबंदी कर दुनिया के मुसलमानों को
प्रभावित किया जा सकता है .
पाकिस्तान एवं टर्की जैसे देशों ने आतंकवाद को नया नाम दे दिया
है ‘इस्लामोफोबिया’ भारत में भी आतंकियों के कृत्य को इस्लामोफोबिया माना जा रहा
है . भारत एवं योरोपियन देश कट्टरवादिता एवं आतंकवादी घटनाओं के शिकार हो रहे हैं भारत
के प्रधान मंत्री ने कई बार यूएन में अपील की आतंकवाद को परिभाषित किया जाए लेकिन
कुछ नहीं हो सका आतंकवाद को भी गुड आतंकवाद बैड आतंकवाद दो हिस्सों में बाँट दिया
विश्व का सबसे बड़ा आतंकी हमला 9/11 जिसमें 3000 लोगों की जान गयी एवं योरोपियन देश
भी आतंकवाद को भुगत रहे हैं जबकि यहाँ प्रजातांत्रिक व्यवस्था एवं धर्मनिरपेक्षता
के आधार पर सभी मतावलम्बियों को अपने धर्म एवं संस्कृति के आधार पर चलने की आजादी हैं .
18 वीं शताब्दी में फ्रांस में क्रांति हुई ,जिसका
पूरे विश्व में व्यापक प्रभाव पड़ा .फ्रांसीसी क्रांति में स्वतंत्रता ,समानता और बंधुत्व की भावना का
विकास हुआ स्वतन्त्रता में अभिव्यक्ति की
आजादी का अपना महत्व हैं .फ्रांस के टीचर ने अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के अधिकार को समझाने
के लिए पैगंबर मुहम्मद साहब का कार्टून दिखाने पर एक टीचर की गला काटकर हत्या कर
दी गई थी. इस घटना के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों अभिव्यक्ति की
आजादी के समर्थन में खड़े हो गये . विश्व के अनेक देशों में फ्रांस के विरुद्ध जलूस
निकाले गये ईश निंदा के नाम पर इन्सान का गला काटने का समर्थन किया गया. फ्रांस के
नीस शहर के चर्च में एक हमलावर ने निरपराध एक महिला का गला काट दिया और दो अन्य
लोगों की चाकू मारकर निर्मम तरीके से हत्या कर दी एक पादरी पर चाकू से हमला किया
गया .शहर के मेयर ने इस खौफनाक घटना को आतंकवाद करार दिया .जिस
फ्रांस में पहले भी आतंकी घटनायों हुई थी अबकी बार की घटना ने अभिव्यक्ति की
स्वतन्त्रता की जड़े हिला दी थी अब इस्लामोफोबिया शब्द की आड़ में इस
मुस्लिम कट्टरवाद को सही ठहराने की कोशिश की जा रही हैं .
पिछले एक दशक से यूरोपीय देशों को बार-बार आतंकी
हमलों का सामना क्यों करना पड़ रहा है ? जिन देशों में
जिस तादाद में मुस्लिम आबादी बढ़ती जा रही है उन देशों में उसी तादाद में कानून व्यवस्था
और शांति को खतरा क्यों पैदा हो रहा है ? अब तो
शरणार्थियों को गोश्त हलाला , प्रजातांत्रिक व्यवस्था में शरिया कानून चाहिए .स्वीडन में
बसे शरणार्थियों ने अगस्त में दंगे किये . ऑस्ट्रिया ने शरणार्थियों के लिए अपने देश के दरवाजे खोल दिए
थे वहीं वियाना में छह स्थानों पर बंदूकधारियों द्वारा आतंकी हमले ने शहर को थर्रा
दिया . दूसरे विश्व युद्ध के बाद से ऑस्ट्रिया ने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों
की तर्ज पर किसी भी अन्य देश के आंतरिक मामलों में शायद ही कभी हस्तक्षेप किया हो
. उसकी भारत समेत अनेक देशों ने निंदा की कई देश
संकट की इस घड़ी में फ्रांस के साथ खड़े हैं .भारत में फ्रांस के राष्ट्रपति के
पोस्टर सडकों पर रख कर उन्हें पैरों से रोंदा इससे भी अलग ईरान की इस्लामिक
क्रान्ति के बाद अमेरिका एवं रशिया के झंडो को सरकारी दफ्तरों के दरवाजों पर जमीन
पर पेंट कर दिया लोग उन पर चलते थे किसी भी देश या सर्वोच्च पद पर आसीन व्यक्ति का
अपमान क्या उचित है . भारत के बुद्धिजीवियों की जमात ने निर्दोषों के प्राण लेने
वाले कृत्य पर चुप्पी साध ली अपने आपको शायर कहने वाले मुन्नवर राणा ने फ्रांस में हो
रही हिंसक घटनाओं को जायज ठहराया था. उन्होंने कहा था, किसी भी मजहब के बारे में आप कुछ कहें तो आप तैयार
रहिए कि आप मारे जा सकते हैं. नफरत फ्रांस ने फैलाई है तो आतंकी तो फ्रांस हुआ न.
आतंकी मुसलमान कहाँ से हो गए ? वाह शायर साहब आप प्रजातांत्रिक व्यवस्था कानून के शासन में
रहते हैं ? मलेशिया के वृद्ध पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने
विवादित बयान देते हुए फ्रांस में बेगुनाहों की गला रेत कर की गयी हत्या जिनमें एक
महिला भी थी हत्याओं को सही करार दिया . मुस्लिम
बच्चों को आतंक की तरफ ले जाना क्या उचित है ? उन्हें धर्म के नाम पर उकसाना जबकि कोई भी धर्म इसकी इजाजत नहीं देता . विरोध
के और भी अनेक तरीके हैं .अब योरोपियन देश कट्टरवाद के खिलाफ एक जुट हो रहे हैं
नये नियम बनाये जा रहे हैं .