सच नहीँ है
कह दो कि हम तुमसे प्यार करते हैं, यह सच नहीं है
पल पल पलटकर देखना, शर्माना, यह मोहब्बत नहीं है।
भीड़ में मुझे देखकर,चेहरे पर रौनक आना, प्यार नहीँ है
हर पल मेरा स्टेटस देखना, तस्वीर निहारना, सच नहीँ है।
फोन कॉल या मैसेज नहीं आये, तुम्हारी वो बेचैनी बढ़ना
मेरे लिखे हर एक शब्द को, चुपके चुपके बार बार पढ़ना।
मेरे फोन का व्यस्त बताना, तुम्हारा वो बार बार झुंझुलाना
मुझे किसी से बात करते देख, तुम्हारा उसे देख जलना।।
कह दो कि यह सब झूठ है, इसमें कुछ हकीकत नहीँ
कह दो तुम मेरे बिना रह नहीँ सकते, यह बात सच नहीँ।।
हरीश कंडवाल मनखी की कलम से।