बहुत अनकही बातों को भी कह देता है मौन
मन की अंतरंग सवालों का जबाब देता है मौन।
चुप रहकर भी बहुत कुछ इशारा कर देता है मौन
मन की बेचैनी को बिना कुछ कहे बता देता है मौन।
मन में चल रहे अंतर्कलह को समझा देता है मौन
कभी शांति तो कभी विद्रोह बन जाता है मौन।
अक्सर चुप रहना भी मुखर बन जाता है मौन
बहुत से फसादों को एक पल में मिटा देता है मौन।
प्रेम की आवाज दिल का साज बन जाता है मौन
जीवन में परिवर्तन में कभी मुखर हो जाता है मौन।
हरीश कंडवाल मनखी की कलम से।