वक्त का पहिया जो कभी रुकता नहीं
पता नही क्यूँ तुम बिन वक्त कटता नही।
वैसे सब कुछ होते हुए, वैसा लगता नहीँ
मन समझाता है बहुत, दिल मानता नही।
मालूम है कि तुम हो नहीं, पर ऐसा लगता नहीं
अहसास होता है तुम पास हो, वह सच होता नहीँ।
तुम्हारी अनुपस्थिति में, कुछ अहसास होता नहीँ
क्या कहूँ ऐ प्रियतम, तुम बिन ये दिल लगता नही।
कैसे कह दूं कि हमको अब तुमसे अब प्यार नहीँ
तुम मानो या नहीं मानो, हमें तुमसे कोई शिकवा नहीं।
हरीश कंडवाल मनखी की कलम से।