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तुम भी चुप हो जाते, जब हम गुस्से में थे
तुम भी हाथ बढ़ा लेते, जब हम मुश्किल में थे।
तुम भी कह देते, जब हम मौन थे
तुम भी मना देते, जब हम रुसवा थे।
तुम भी हँस देते, जब हम गुम सुम से थे।
तुम भी सुलझा देते, जब हम उलझनों में थे।।
तुम भी रोक लेते, जब हम मन मौजी से थे
तुम भी साथ चलते, जब हम अकेले राही थे।।
तुम भी सच बोल लेते, जब हम झूठे थे
तुम भी चुप्पी तोड़ देते, जब हम रूठे थे।।
©®@ मनखी की कलम से।