आज पुराने रंजिशों को लिखकर मिटा दिया
जिनसे थी शिकायत, उन्हें भी गले लगा दिया।
आज हमने जो कुछ खोया था उसे भुला दिया
गमो की दुनिया को रेत पर लिखकर मिटा दिया।।
मिले थे जो खत उनके, आज फिर से पढ़ लिया
उनकी यादों को पन्नो में लिखकर सहेज दिया।।
यादों में उनकी छवि को फिर से संवार लिया
दिल मे छूटे अरमानों, को आज यही मिटा लिया।।
अब नही रही उनमें वह बात, इस बात को समझ लिया
दिल तो नादान है, खुद को ही उनसे दूर कर लिया।।
अब किसी को क्या समजाये वफ़ा की परिभाषा
जब वक्त ही बना देता है, प्यार और दोस्ती का तमाशा।
आज उन सब तमाशो को, कब्र में गाड़ दिया
मोहब्बत जिंदा है आज भी, यह दिखा दिया।।
खुली पन्नो की किताब में, जज्बातो को उकेर दिया
बस आखिर में उनका नाम लिखकर मिटा दिया।।
हरीश कंडवाल मनखि की कलम से।