किसी को भुलाकर ही
याद आता है कोई
किसी को पाकर ही
कुछ पाता है कोई।।
भूलकर बीते गमगीन जमाने को
थोड़ी खुशी पाता है कोई।।
यादे दिल मे हो किसी की तो
तभी ख्वाबो में हमको बुलाता है कोई
राह भूल जाये जब राहगीर
अजनबी भी राह दिखा देता है कोई।।
आंखों में याद बनकर
दिल मे फरियाद बनकर
दिल को चुपके से
चुरा जाता है कोई।।
युही जुड़ जाता है किसी के
नाम के साथ नाम हमारा
यूँही हमे जमाने की नजरों में
बदनाम कर जाता है कोई।।
जीने की चाहत ना भी दिल मे हो
जिंदगी का हर लम्हा प्यार से
अपना खास बना जाता है कोई।।
वो यादों में रहते है हर पल
दिल के दरवाजों से
नैंनो की खिड़की से ख्वाब
बनकर दस्तक दे जाता है कोई।।
वो फूल है मेरा महकाता है
अपनी खुशबू से हर पल
भूल जायें जमाना भुला दे
जमाने का सितम
वो मेरी यादों से बस,
खुद मेरे दिल का अरमान
बनकर रह जाता है कोई।।
@मनखी की कलम से।