मेरी हर कहानी में समाज का आईना हो
जीवन के हर पहलुओं का अपना मायना हो।।
मेरी कहानी में गाँव की खुशबू समायी हो
पात्र ने अपनी सुंदर भूमिका निभाई हो।।
मेरी कहानी में रीति रस्म सभी तीज त्योहार हो
राजनिति की कुनीतियों पर तीखा व्यंग प्रहार हो।।
मेरी कहानी में हर रिश्तों का घुला मीठा प्यार हो
भ्रष्टाचार,अपराधों पर चलती कलम की तलवार हो।।
मेरी कहानी में प्रेम, वात्सल्य, हास्य का उदगार हो
मानवता के सुकर्मों का हर जगह जय जयकार हो।।
मेरी हर कहानी में विचारो का सुन्दर सा सेज हो
विवादित वैमनस्य लेखों से सदा ही परहेज हो।।
मेरी कहानी हर बच्चे, युवा के लिये प्रेरणादायी हो
हर प्राणी मात्र के लिए वो कहानी सुखदायी हो।।
मेरी हर कहानी मेरे पाठको के दिल की करीब हो
माँ शारदे विनती तुमसे, मुझे शब्द व्यंजना नसीब हो।।
©®@ हरीश कंडवाल मनखी की कलम से।