देवी सती के रूप में
अग्नि को देह समर्पण किया
अगले जन्म में शैलपुत्री के
रूप में जनम लिया
हिमालय की पुत्री ने शिव
शंकर को पुनः वरण किया
प्रथम नवरात्रि आपका,
सबने सर्वप्रथम पूजन किया।
दूसरी माता ब्रहम चारिणी,
जिनके आहवान से मिले तपोबल
दायें हाथ में जप की माला,
बांयें हाथ में लिये कमण्डल,
ब्रहमचारिणी नाम जिनका,
तपस्या का करती हैं आचरण
दूसरा नवरात्रा आपका,
करते श्रद्वा भाव से पूजन।
जिनकी काया है स्वर्ण समान,
माथे पर घण्टे का अर्द्धचन्द्र निशान
दस भुजाये हैं जिनकी, खड़ग,
अस्त्र शस्त्र लिए वह धनुष बाण
मॉ का यह स्वरूप परम शांतिदायक
कल्याणकारी जिनका मन
तीसरा नवरात्रा आपको समपर्ण,
होता उस दिन श्रद्वा भाव से पूजन।
जब सृष्टि नहीं थी,
चारों ओर अंधकार ही अंधकार
आदि स्वरूपा शक्ति ने ईषत
हास्य से ब्रहांड का किया साकार
अष्ठ भुजायें हैं जिनकी,
करती भक्तों की दुखों का भंजन
चौथा नवरात्रा मॉ कुष्माण्डा
करते सब भक्ति भाव से पूजन।
भगवान स्कंद बाल रूप में
जिनके गोद में हैं विराजमान
कार्तिकेय की माता हैं
स्कंदमाता है उनका नाम
पुत्र प्राप्ति के लिए करते
भक्त जन आपका वंदन
पंचम नवरात्रा हैं आपको समर्पित,
पुष्प जल से होता पूजन।
उमा, गौरी, पार्वती,काली हेमावती
ं जिनके अनेकों स्वरूप
मॉ कात्यानी, भद्रकाली, तुम हो
आदि शक्ति दुर्गा की रूप
चण्ड मुण्ड, शुम्भ निशुम्भ
रक्तबीज महिषासुर किया मर्दन
षष्टम नवरात्रा आपका,
मॉ कात्यानी के रूप में होता पूजन।
मॉ पार्वती ने अपने शक्ति तेज से
काली रूप को जन्म दिया
मॉ दुर्गा ने हाथ में खड़ग,
लेकर रक्तबीज पर वार किया
मॉ काली ने रक्तबीज का रक्तं
लेकर खप्पर से रक्तपान किया
सातवा नवरात्रा हैं जिनका,
भक्तों ने भक्ति भाव से पूजन किया।
भगवान शंकर को पति स्वरूप में
पाने के लिए हजारों वर्ष तप किया
निराहार तपस्या करते करते काया
जिनकी दुबली रंग काला हो गया
तपस्या से प्रसन्न हो भोलेनाथ ने
पवित्र जल से उनको कांतिमय किया
मॉ गौरी के रूप मे होता पूजन,
सबने मॉ का आशीर्वाद प्रेमपूर्वक लिया।
अणिमा, गरिमा, महिमा लघिमा,
प्राप्ति प्राकाम्य, इशित्व और वशित्व
शिव शंकर ने प्राप्ति की जिनसे
अष्ट सिद्धियॅा, कहलाये अर्द्धनारीश्वर
चतुर्भुज रूप जिनका, सिंह है वाहन,
कमल पुष्प लिए बैठी कमलासन
सि़द्धीदात्री के रूप में पूजन होता है
जिनका, रखती सबका चित्त प्रसन्न।
दहशरा के दिन सीता रूप में
राम से रावण का वध करवाया
असत्य पर सत्य, बुराई पर अच्छाई की
जीत का उदाहरण दिखाया
राम पुरूषोत्तम, मर्यादा स्वरूप
जिनकां जनकल्याण के हैं वह देव
नवरात्रि में नव दुर्गा रक्षा करें,
कल्याण करें सबके हर हर महादेव।
हरीश कण्डवाल मनखी की कलम से