मॉ को खेत की मेड पर
डाली रोपते हुए खूब देखा है
दादी को पेड़ की सुरक्षा के लिए
बाड़ करते हुए अक्सर देखा है।
गॉव में पीपल को देवता का पेड़
बरगद को ईष्टों का आसरा
पैंया को नागर्जा का प्रतीक
मानते हुए कई पीढियों को देखा है।
घसियारी द्वारा जंगल में पेड़ों को
बेलों की झाड़ से अलग करते देखा
आम, अमरूद, लीची, जामुन, तिमला,
इन सब पेड़ों को लगाते हुए देखा है।
कुणजा को पूजा में चढाते हुए देखा
दूब को गोबर गणेश पर चढते देखा
केला को बेदी में लगते हुए देखा
कुलाई को गेट पर सजते हुए देखा।
चिपको आंदोलन को करीब से समझा है
पेड़ बच्चे समान होते हैं, मॉ से सुना है
बड़ बुजुर्गो को पेड़ की पूजा करते देखा है
पर्यावरण संरक्षण हर घर में होते देखा है।
आज अपने पूर्वजों से सबक सीखकर
कुछ पेड़ हमने भी अपने आस पास लगाये
पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी खुद ली
एक पेड़ की कीमत, सांस लेकर हम समझ पाये।
हरीश कंडवाल मनखी की कलम से।