अन्धकार पर प्रकाश की विजयएक गाँव में एक डकैत रहता था जो हमेशा डकैती करता था उसका एक बेटा था जो पढ़ाई - लिखाई करता था और बहुत प्रखर बुद्धि का था,पढ़ाई, पूरी करने के बाद काम करने की तलाश करने के लिए निक
क्या जानना पर्वतों को कब पूजा जाएगा जब जरूरत होगी उनको तब पूछा जाएगा। रहो मौन ,स्थिर, शांत चित्त शिवाय सा होकर जब विषपान का समय होगा तब पू
जैसा मन में सोचोगे ,वैसा ही पाओगे।कोई अंधेरे में शांति पाता है, कोई भूत खोजते जाओगे।।बाहर के अंधेरे से ,मन का अंधेरा खतरनाक है। जो रहे मन के अंधेरे में,वह शर्मनाक है।अंधेरे से डरो मत , हिम्मत कर
अज्ञान है वे लोग जो आंखें होते हुए भी अंधे हैं।अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे,कभी बिना पंख उड़ते परिंदें है।अन्तर्मन में झांककर देखो ,तुम अंतर्यामी बन जाओगे।असलियत की जिंदगी से ,तुम सदा के लिए रूबरू हो ज
हम सभी मनुष्य है और इस पृथ्वी पर निवासरत है ।हमारे अलावा करोड़ो जीव जंतु का भी वास है । इसमे सर्वाधिक बुद्धिमान मानव ही है । बुद्धि के विकास के साथ हमने विज्ञान की मदद से रहन सहन,दुख,असुरक्षा पर विजय
नमस्कार मेरा नाम मनीष है और मेरी उम्र 30 साल है मेरी पुस्तक मेरी जिंदगी एक युद्ध के द्वारा मैं अपने साथ हुए इंसीडेंट को सभी के साथ बांटना चाहता हूं और मेरी कोशिश है मेरी कहानी सुनकर सबको कुछ सीखने को
गुजरात मोरबी पुल हासदा गुजरात में हुए हासदे में 90 से 120 लोग मारे गए करीब 150 से अधिक लोग घायल हो गए ।घायल हुए अब भी दम तोड़ रहे है ।मोरबी में मच्छू नदी का केबल गिरा करोड़ो की लागत से रंग रोगन पु
एकबार कलाम के विज्ञान के शिक्षक ने उन्हें अपने घर खाने पर बुलाया । इस बात से उन शिक्षक की पत्नी परेशान हो उठीं कि उनकी पवित्र रसोई में एक मुसलमान युवक को भोजन पर आमंत्रित किया गया है । उन्होंने कलाम क
अंधविश्वास अवधारणा एक,मन में यह जो पनपती है।बड़े बुजुर्ग जो सीखा गए,धारणा मन में बसती है।।अंधविश्वास से ज्ञान कमी,आंख मूंद कर करे विश्वास।करे आस्था से खिलवाड़,न पूरी हो कभी वह आस।।अंधविश्वास से
शीर्षक--ये अंधविश्वास नही हैहमारे देश में विश्वास को भी लोग अंधविश्वास मानते है, और आधुनिकता और विज्ञान तो और भी उन्हें जहर की भांति हमारे समाज में फैला दिया है।उन्हें क्या? पता उन अंधविश्वास में भी ज
जैसा कि कुछ ही दिनों पहले अमृतसर में हरमंदिर साहिब में एक व्यक्ति की पीटपीट कर हत्या कर दी गई। देखा जाये तो बिल्कुल ही गलत हुआ। इसके पष्चात कपूरथला में भी इसी प्रकार की घटनाएं सामने आई जिसमें सिक्खों
हां मैं आधा इंसान हूं।मेरे माता-पिता के बिना।जिनका खून मेरी रगों में उबल रहा।जिनका हर रंग में में रंगा हुआ।मैं छाया हूं उनके सपनों की।यह सबसे उच्च श्रेणी है अपनों की ।मैं उनके बिना अधूरी जी और जान हूं
जन्म से पहले ही मार दी जाती है, आखिर है उसका कसूर। वो खुशियों की लहर, वो जीवन का है नूर शदियों से देखा जाता है । बेटों की चाह में या तो कन्या भ्रूण हत्या करते है या जन्म लेते ही लड़कियों को मार द
एक बेटी का जन्म क्यों अभिशाप माना जाता है और बेटे का जन्म वरदान। ये कैसी सोच , ये कैसी मानसिकता? क्यों बेटी के जन्म से निराशा का मोहौल हो जाता है?क्या बेटी को इस संसार का सुख पाने का अधिकार नही ह
कई बार जो हम सोचते है और चाहते है । उससे उलट हो जाता है। जरूरी नहीं हम जो चाहे वहीं हो, इसके कई कारण होते है। कुछ कोशिश में कमी या फिर किस्मत भी कह सकते है। उस वक्त हौसला हारने के बजाय अपनी कमजोरियों
🤍💗🤍💗🤍💗🤍💗🤍💗🤍💗🤍💗🤍💗🤍💗🤍💗🤍💗🤍🌹🌹शाम की रौशनी में तुम.....इस तरह से याद आते हो🌹🌹🌹🌹जैसे चांद बीन रात का......कोई महत्व नहीं होता🌹🌹🌹🌹वैसे ही तुम्हे याद किए बिना.....मेरी कोई शाम
सखि, जब आदमी का गुरूर सातवें आसमान पर पहुंच जाता है तो आम आदमी ही इस गुरूर को तोड़कर ऐसे आदमी को सबक सिखाता है । लोकसभा उपचुनाव के परिणाम यही बता रहे हैं सखि । अभी हाल ही में तीन लोकसभा क्षे