अरब इजरायल संघर्ष एवं समझौते
डॉ शोभा भारद्वाज
इजरायल की कुल जनसंख्या 80 लाख
है यह दुनिया का अकेला यहूदी राष्ट्र है यहाँ महिलाओं के लिए भी सेना में भाग लेना
अनिवार्य है उनकी वायु सेना विश्व में चौथे नम्बर पर है. इजरायल की
लड़कियां खूबसूरत है लेकिन नाजुक नहीं. इजरायल के निर्माण से पहले सुनिश्चित कर
लिया गया था कि इजरायल डिफेंस फोर्स में महिलाओं की भर्ती भी होगी 18 साल की उम्र तक सभी यहूदी इजरायल के नागरिकों के लिए आर्मी ज्वायन करना
जरूरी है पुरुषों के साथ महिलायें भी युद्ध के मोर्चे में जाती हैं .इसमें फाइटर
पायलट, पैदल सेना के अधिकारी, नौसेना
के कैप्टेन इत्यादि का पद महिलाओं के लिए खुला है. 1969 में
गोल्डा मायरा को इजरायल के प्रधानमंत्री के रूप में चुना गया था इन्हें आयरन लेडी
कहा जाता था .
इजरायल पश्चिमी एशिया का छोटा सा राज्य है
यह भूमध्यसागर के किनारे स्थित है इसके उत्तर में लेबनान उत्तर पूर्व में सीरिया
(सीरिया अब खंडहर बन कर नष्ट हो रहा है) दक्षिण पूर्व में मिश्र है पश्चिम में जॉर्डन एवं फिलिस्तीन का वेस्ट बैंक इलाका है ,चारो और से यहूदी राज्य इस्लामिक देशों से घिरा हुआ है.
इजरायल के निर्माण के बाद इजरायल को अरब देशों ने मान्यता नहीं दी 14 मई 1948 नये राज्य के
उदय के साथ उस पर संकट के बादल मंडराने लगे दोनों राज्यों के बीच सीमा रेखा का
निर्धारण नहीं हुआ था, इजरायल
कमजोर स्थिति में था अत :अरब राज्यों ने उचित समय समझ कर इजरायल को उखाड़ने की
कोशिश की मिश्र , जोर्डन ,सीरिया,लेबनान और इराक की संयुक्त
सेनाओं ने अगले दिन 15 मई को इजरायल पर हमला बोल दिया सउदी अरब की सेना ने भी मिस्र का
साथ दिया यहीं से “अरब
इजरायल संघर्ष ” की
शुरुआत हो गयी जो अब तक जारी है यमन भी युद्ध
में शामिल हुआ, लगभग एक वर्ष के बाद युद्ध विराम की घोषणा हुई 1949 में जोर्डन और इजरायल के बीच एक समझौते द्वारा सीमा विवाद सुलझाने
की कोशिश की गयी जोर्डन नदी के पश्चिमी इलाके वेस्ट बैंक पर जोर्डन का और गाजा
पट्टी पर मिश्र का कब्जा हो गया ग्रीन लाइन
के नाम से सीमा का निर्धारण किया गया . संघर्ष का कष्ट सबसे अघिक फिलिस्तानियो को भुगतना पड़ा सात लाख फिलिस्तीनी विस्थापित हो गये उन्हें तम्बुओं में रहना पड़ा इजरायल के कब्जे में बड़ा क्षेत्र आ गया .
अरबों
एवं मिश्र के राष्ट्रपति श्री नासिर ने इजरायल को मान्यता नहीं दी थी उससे युद्ध
करने के लिए सोवियत यूनियन से युद्धक हथियार खरीदने का समझौता किया जिसमें टैंक और
युद्धक विमान भी शामिल थे
. इस
क्षेत्र में शीत युद्ध की शुरूआत हो चुकी थी पहले ऐसे फिदायीन तैयार किये
जिन्होंने इजरायल के भीतर जाकर सार्वजनिक स्थानों पर बम विस्फोट किये .
स्वेज
नहर विवाद , 1936 में हुई बीस वर्षीय संधि के अनुसार ब्रिटिश सेनायें वहाँ रहती थी
श्री नासिर ने संधि का फिर से नवीनी करण करने से इंकार कर स्वेज नहर का राष्ट्रीय
करण कर दिया विरोध में इजरायली सेना ने
मिश्र पर हमला कर सिनाई क्षेत्र पर कब्जा कर लिया उनका साथ ब्रिटेन और फ़्रांस के बम
वर्षक विमानों ने भी दिया . संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद के सामने
इस मामले की सुनवाई से पहले ही इज़राइल ने 29 अक्तूबर को
मिस्र पर हमला बोल दिया था पहले ब्रिटेन हमले के विरुद्ध था उसने इज़राइल और मिस्र
को चेतावनी दी, लेकिन दो दिन बाद ही वह मिस्री हवाई अड्डों
पर हमले में इज़राइल का साथ देने लगा.सुरक्षा परिषद के हस्ताक्षेप से युद्ध बंद कराया गया इजरायल को विजित
क्षेत्रों से पीछे हटना पड़ा नेहरू जी ने स्वेज संकट को टालने की भरपूर कोशिश की थी
अब स्वेज नहर आवागमन के लिए सबके लिए खोल दी गयी.
1966 - 67 ,ईराक सउदी अरब, सीरिया अल्जीरिया जोर्डन एवं लेबनान ने
संगठित हो कर इजरायल पर हमला किया इजरायल से छ: दिनों के युद्ध में अरबों को मुहँ
की खानी पड़ी . इजरायल की वायु सेना ने कमाल कर दिखाया
मिश्र की वायु शक्ति को हवाई हमले से पहले ही जमीन पर खत्म कर दिया . इजरायल की थल सेना ने तेजी से हमला कर मिश्र की गाजा पट्टी और सिनाई पर
कब्जा कर लिया , सीरिया से
गोलन पहाड़ियाँ और जोर्डन के वेस्ट बैंक पर इजरायल ने कब्जा कर लिया .
अक्टूबर 1973 में इजिप्ट और सीरिया ने इजरायल पर तब
हमला किया जब वह अपना त्यौहार योम किप्पूर मना रहे थे लेकिन दोनों हारे ही नहीं
नुकसान भी उठाना पड़ा .
1977 के चुनाव
में लेबर पार्टी हार गयी बदली सरकार से मिलने अनवर सादात ने स्वयं इजरायल की यात्रा कर
समझदारी का कदम उठाया, वह समझ
गये थे इजराइल के साथ शान्ति समझौता करना
ही उचित है जिससे
इजरायल ईजिप्त समझौते की नीव पड़ी अत: कैम्प डेविड समझौता हुआ इजरायल भी जानता था
निरंतर युद्ध उसकी आर्थिक स्थिति को खराब कर रहे हैं लेकिन अनवर सादात की आर्मी
परेड के दौरान हत्या के बाद हुस्ने मुबारक मिश्र के राष्ट्रपति बने उन्होंने भी
समझौते पर चलने का फैसला किया .1980 में इजरायल ने येरूस्लम को अपनी
राजधानी घोषित किया इससे अरब समुदाय में नाराजगी फैल गयी . इराक में परमाणु संयत्र बनाया जा रहा
था इजरायल को भय था यदि इराक परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट बन गया इजरायल के लिए
खतरा बन जाएगा अत :7 जून 1981 में इजरायल ने उसे तबाह कर तत्कालीन
राष्ट्रपति सद्दाम हुसेन के मंसूबों पर पानी फेर दिया .
1967 से 1987 में इजरायल द्वारा कब्जाये गये क्षेत्र
के बीस वर्ष पूरे हो चुके थे अत : कब्जे के खिलाफ एक जन आन्दोलन की शुरूआत हुई
शुरू में गांधी वादी तरीका अपनाया गया हड़ताले, इजरायली वस्तुओं का बहिष्कार किया गया
लेकिन बाद में भीड़ उग्र रूप धारण कर इजरायली सेना पर पथराव करने लगी इजरायल की दमन प्रक्रिया की तस्वीरे मीडिया ने विश्व को दिखलाई इससे
फिलिस्तीनियों के प्रति सहानुभूति की लहर पैदा होने लगी .अनेक विकसित देशों के बुद्धिजीवियों ने फिलिस्तीनियों का समर्थन किया अमेरिकन
राष्ट्रपति रीगन के प्रयत्नों के परिणाम स्वरूप अरब देशों के प्रतिनिधि और इजरायल
ने साथ बैठ कर समझौता किया एवं पीएलओ अरब
संगठन को मान्यता दी गयी पीएलओ ने भी इजरायल को मान्यता दे कर 1967 से पहले की सीमा को स्वीकार कर लिया
इसे ओस्लो समझौता कहते हैं .
आज भी यह
क्षेत्र अशांत है किसी न किसी बात पर झगड़ा बढ़ जाता है अरब मान कर चलते है इजरायल
में किसी भी दल की सरकार क्यों न हो एक सीधा मुक्का मारते है दूसरा दल ग्लोब पहन
कर काफी कठिनाईयों के बाद फिलिस्तीन को 2012 नबम्बर को संयुक्त राष्ट्र संघ में गैर
सदस्य पर्यवेक्षक का दर्जा मिला
कुछ अरब
देश समझ रहे है इजरायल से युद्ध करने से अपनी हानि होगी अत :यूएस राष्ट्रपति ट्रंप की उपस्थिति में संयुक्त अरब अमीरात ( यूएई) एवं इजरायल के बीच द्विपक्षीय शान्ति समझौता हुआ इस पर बहरीन ने भी हस्ताक्षर किये समझौते को अब्राहम एकॉर्ड का नाम दिया गया . इजरायल
की राजधानी येरुशलम में अल- अक्सा मस्जिद सहित अनेक ऐतिहासिक स्थान है जिनका इस्लाम धर्म में विशेष
महत्व है समझौते के अनुसार अब यहाँ दुनिया के मुसलमान जियारत कर सकेंगे इसके बदले इजरायल फिलिस्तीन के वेस्ट बैंक इलाके में
अपनी दावेदारी छोड़ने के लिए तैयार
हो गया है दोनों अरब देशों के साथ अब औपचारिक कूटनीतिक
संबंध शुरू हो जाएंगे , तीनों देश एक दूसरे की सहमति से
दूतावासों की स्थापना करेंगे . इजरायल को बाजार चाहिए अत : अब उसका कारोबार इन
देशों से बढ़ेगा . यूएई एवं बहरीन को टेक्नोलॉजी
की जरूरत है दोनों देशों के लिए लाभ का सौदा है
. सऊदिया ने इजरायल एवं यूएई के विमानों को अपने क्षेत्र से उड़ने की इजाजत दे दी
लगता है और भी अरब देश इजरायल से संबंध जोड़ेंगे . समझौता ट्रम्प की विदेश नीति का सफल कदम माना
जाएगा . अरब दुनिया समझ रही है इजरायल राज्य को उखाड़ा नहीं जा सकता अत : कूटनीतिक तौर पर आपसी समझौते
से शांति की स्थापना संभव है जबकि
बहरीन में शिया समाज का बाहुल्य है शासक
सुन्नी है .
. डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने घोषणा पत्र में
येरुसलम को इजरायल की राजधानी बनाने वायदा किया था . 14 मई 2018 इजरायल की 70वीं
वर्ष गाँठ के अवसर पर येरुशलम को इजरायल की राजधानी घोषित कर अमेरिकी
दूतावास को तेल अवीव से हटाने की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश
दिया फैसले का व्यापक रूप से विरोध होने लगा .
अब्राहम
एकार्ड समझौते का टर्की ,ईरान एवं कतर ने विरोध किया . टर्की अपने पुराने गौरव औटोमन
एम्पायर के सपने में जी रहा है, शिया ईरान ? इस्लामिक सरकार की स्थापना के बाद से इस्लामिक दुनिया का लीडर बनने की चाह
लिए हैं . 1980 में ईरान इराक के युद्ध के समय क़ुद्स
फ़ोर्स का गठन किया गया जिसका अर्थ था येरुशलम सेना द्वारा येरुशलम की रिहाई ,सीधे लड़ाई सम्भव नहीं है इसलिए छद्म रूप में मिडिल ईस्ट में शिया प्रभावित
क्षेत्रों में अपना प्रभाव बढ़ा कर समाज को
क्रान्ति के लिए उकसाया जाये . स्वर्गीय सुलेमानी 1998 से क़ुद्स सेना के गुप्त अभियानों के संचालक थे लेबनान के हिजबुल्ला, यमन के हूती विद्रोहियों को उनका साथ मिला लेकिन अरब शन्ति एवं विकास के इच्छुक हैं .
इजराइल आज तक आतंकवाद के साये में जी रहा अत: गाजा पट्टी से हमास को समाप्त करने
के लिए कृत संकल्प है .टर्की पाकिस्तान हमास का समर्थन कर रहे हैं विश्व के राष्ट्र
शान्ति चाहते हैं .