तोते और माहीगीर ने अब इस बात का मंसूबा किया कि राजा को लड़की को बचाने की सब से अच्छी क्या तरकीब होगी। बुड्ढे ने कहा कि "मैं अपना जाल ठीक छज्जे के नीचे डाल दूंगा ताकि जिस वक्त लड़की गिराई जाय, उसी में आ जाय" और उसे डूबने से बचाने के लिये जो तजवीज़ सोची गई वह यह थी कि माहीगीर ने एक पुराने जाल से बहुत से काग (यानी एक निहायत हल्की लकड़ी के छोटे २ टुकड़े जो कि अकसर जालों में लगाये जाते हैं) निकाले और तोते और कौओं से कहा कि "इन को एक एक करके राजा की लड़की के पास ले जाओ और उससे कहो कि इनके छोटे २ हिस्से कर के एक डोरी में पिरो लेवे और फिर उस डोरी को अपने बदन पर चारो तरफ़ इस तौर से लपेट ले कि उसकी एक जाकट बन जाय। इस जाकट के बाइस राजा की लड़की का बदन पानी के ऊपर तैरता रहेगा, बावजूद उस पत्थर के जो कि रानी और बब्बू को उसकी गर्दन से बांधने का मंसूबा करते हुए तुमने सुना है"। सिवा इसके माहीगीर ने एक और भी हिफाज़त का काम किया कि एक तेज़ चाकू तोते के ज़रिये से राजा की लड़की के पास पहुंचा दिया और कहला भेजा कि वह उसे अपनी आस्तीन के अन्दर छिपा रखे और अपनी गर्दन से पत्थर काटने के काम में लावे।
जब यह तजवीज़ तै हो गई, तोता मय जादू की अंगूठी और काग के टुकड़े के राजा की लड़की के पास पहुँचा और कौए भी जितने काग उनसे चल सके लेकर उसके पीछे हुए और वह तीनों वफ़ादार चिड़ियां लड़की के पास कागों के पहुंचाने में बराबर लगी रहीं जब तक कि उसके पास उतने काग हो गये जितने दरकार थे। राजा की लड़की ने कागों को काट २ कर एक मज़बूत डोरी में पिरो लिया और फिर माहीगीर ने जैसा कहला भेजा था वैसा ही किया, यानी उनको अपने बदन से खूब लपेट लिया और ऊपर से कुर्ती पहन ली। जब यह सब हो चुका शाम का अंधेरा चारों तरफ़ छा गया था और बब्बू ने आकर राजा की लड़की से कहा "मेरे साथ आओ"।
बब्बू राजा की लड़की को हाथ पकड़ कर बाग़ के रास्ते झील के ऊपर वाले छज्जे पर ले गया। बाग़ में होकर जब वह दोनों जा रहे थे उसने एक बड़ा पत्थर उठा कर एक रूमाल में लपेट लिया और जब वह छज्जे पर पहुंचे झट वह रूमाल राजा की लडकी की गर्दन में बांध दिया और साथ ही मुंह पर हाथ रख दिया ताकि लड़की चिल्ला न सके और बस उसे उठा कर झील में गिरा दिया। लेकिन वह इसके लिये पेश्तर ही से तैयार थी। जिस वक्त कि बब्बू ने उसे नीचे गिराने को उठाया उसने एक लमहे में चाकु से रूमाल को काट डाला और पत्थर और वह दोनों पानी में एक साथ ही गिरे। पत्थर तो झील की थाह में चला गया मगर राजा की लड़की अपनी ज़ाकट की बदौलत पानी की सतह पर तैरती रही। इस वक्त बिलकुल अंधेरा था। बब्बू ने जो उसके गिरने की आवाज़ सुनी और उसके बाद पूरी ख़ामोशी देखी समझा कि लड़की झील की तह में दाख़िल हुई और रानी को अपनी बदकारी का हाल सुनाने चला गया। उधर ऐन छज्जे के नीचे माहीगीर अपनी कश्ती लिये छुपा हुआ था और उसका जाल ऐसे तौर से फैला हुआ था कि जो चीज़ छज्जे से गिरे उसी के अन्दर आ जावे। पर जो उसने पानी में आवाज़ सुनी आहिस्ता से जाल खींचना शुरू किया और थोड़े ही अर्से में तैरती हुई राजा की लड़की को कश्ती पर लाकर उसमें बैठा लिया और वहां से चुपके ही नाव को अपनी झोपड़ी तक ले जाकर लड़की को उसके अन्दर पहुंचा दिया। उसे वह एक छोटे से कोठे में ले गया जहाँ कि एक आराम का बिस्तर उसके लिए सजा हुआ था और जहाँ कि तोता और दोनों कौए पहले ही से पहुंच गये थे। यह वफ़ादार चिड़ियां अंधेरे में राजा की लड़की के साथ छज्जे तक आई थीं और जब उन्होंने देख लिया कि लड़की कश्ती में साफ़ पहुंच गई वह वहां से उड़ कर माहीगीर की झोपड़ी में आ गई थीं। राजा की लड़की फ़ौरन बिस्तर पर चली गई क्योंकि उसके कपड़े सब भीग गये थे और ज्यों ही वह विस्तर पर पहुंची माहीगीर उसके वास्ते एक रिकाबी में कुछ रोटी और मछली खाने को ले आया जिसमें से थोड़ी आप खा कर और थोड़ी सी अपनी तीनों चिड़ियों को दे कर राजा की लड़की सो रही।