shabd-logo

भाग 22

10 अगस्त 2022

48 बार देखा गया 48

तोता एक धागे का छोटा गोला अपने पंजे में लेकर मीनार के जीने की बची हुई सिढ्डियों में सब से निचली सिड्ढी तक उड गया और धागे के ऊपर के सिरे को थाम कर गोला उसने नीचे को छोड़ दिया और साथ ही आप भी उसके पीछे उड़ता हुआ नीचे उतर गया और उसे पंजों से उठा कर राजा की लड़की के पास ले गया और उसे बता दिया कि उसमें से कितना खुल गया था जिससे मालूम हो गया कि सिड्ढी में कितनी लम्बी रस्सी लगेगी। दयादेई छज्जे में बैठ कर गली की तरफ़ देखने लगी कि जब राजा के अफ़सर उस घर की तलाशो के वास्ते आवे उसे मालूम हो जाय। लेकिन उन्हें बहुत से मकानों को पहले तलाशी लेनी थी और शाम का अंधेरा होने के पहले ही कोतवाल की बीबीं और राजा की लड़की ने रेशम की रस्सी से एक खासी काफ़ी लम्बी सिड्ढी बना ली जो इतनी मज़बूत थी कि लड़की का बोझा बरदाश्त कर सके। जैसे ही अंधेरा हुआ कोतवाल की बीबी और वह दोनों लड़कियांँ तोते के साथ पोशीदा तौर से बाग़ में गईं और वहां एक ऊंची जगह पर चढ़ गई जहां से कि मंदिर के खंडहर में पहुंच सकती थीं। जो कि बाग़ की चहारदीवार से बिलकुल मिला हुआ था। बाग़ में उन्हें एक लकड़ी की सिड्ढी मिल गई जिसके ज़रिये से वह बाग़ के बाहर उतर गई। तोते ने कौओं से पहले ही दिखवा लिया था कि बाग़ में कोई नहीं है और वह जगह सब तरह महफूज़ है। जब वह मीनार के नीचे पहुंचे राजा की लड़की ने रेशम की सिड्ढी जो कि उसने एक छोटी लकड़ी पर लपेट ली थी कौओं को दे दी और उन्हें उसे लेकर ऊपर उड़ जाने को कहा। दोनों कौओं ने दोनों सिरे लकड़ी के अपने पंजों में पकड़ लिये और ऊपर ले जाने की कोशिश की लेकिन हालां कि रेशम की रस्सी इतनी पतली थी सिड्ढी का एक बहुत छोटा बंडल बन गया था, तो भी उन बेचारी चिड़ियों के लिये वह बहुत भारी था इस से वह फटफटाती हुई नीचे आ पड़ीं। तोता उनको मदद देने चला, लेकिन वह ऐसा भद्दा उड़ने वाला था कि उन के बीच में आ गया और मुआमिला और भी बिगाड़ दिया। तब वह बड़े नाउम्मेद हो गये और बाग़ को लौटने ही को थे कि उन्हों ने एक बड़ी चीख़ ठीक अपने सिर के ऊपर सुनो और जो ऊपर को नज़र की तो देखा कि एक बड़ा परन्द बुर्ज की तरफ़ उड़ा जा रहा है और जाकर उसकी चोटी पर बैठ जाता है। वह परन्द एक डरावनी शकल का उल्लू था। उसे देख कर तोता बोला "तिलिस्माती अंगूठी कहां है, मुझे दो" और राजा की लड़की से अंगूठी को छीन कर झट उल्लू के पास पहुंचा और अंगूठी उसे छुला दी जिस से उल्लू बड़ी हैरत में आया। तोते ने तब उसे तेज़ी के साथ हाकि माना आवाज़ से रेशम की सिड्ढी को मीनार की चोटी के ऊपर ले जाने का हुक्म दिया। उल्लू हुक्म को फ़ौरन बजा लाया और फिर बड़े अदब से सिर झुका कर कहने लगा- "कुछ और हुक्म?" "कुछ नहीं, सिवा इसके कि तुम रात भर मीनार पर पहरा दो और अगर कोई ख़तरे की बात नज़र नावे तो फ़ौरन हम को आगाह कर दो" तोते ने इतना कह कर उसे वहां से बरखास्त कर दिया-तोता तब उस रस्सी की सिड्ढी को टूटे जी़ने के नीचे के हिस्से तक ले गया और वहां उसने उसका एक सिरा एक कील से जो वहां गड़ी हुई थी लपेट दिया और दूसरा सिस नीचे ज़मीन पर गिरा दिया। राजा की लड़की और उसकी साथिनें वहां खड़ी थीं, उनसे अब उसने बिदा लो और उस रेशमी सिड्ढी पर आहिस्ता २ चढ़ कर ऊपर पहुंच गई-और फिर सिड्ढी को ऊपर खींच लिया। उसकी दोस्त साथिनें उसे उसकी तीनों चिड़ियाओं के साथ वहां छोड़ कर अपने मकान को वापस गईं। राजा की लड़की यह न देख सकी कि वह जगह कैसी है, अपने लबादे से जो कि साथ लाई थी बदन लपेट कर पड़ रही और जल्द ही उसे नींद आ गई-

32
रचनाएँ
तिलिस्माती मुँदरी
0.0
श्रीधर पाठक (११ जनवरी १८५८ - १३ सितंबर १९२८) प्राकृतिक सौंदर्य, स्वदेश प्रेम तथा समाजसुधार की भावनाओ के हिन्दी कवि थे। वे प्रकृतिप्रेमी, सरल, उदार, नम्र, सहृदय, स्वच्छंद तथा विनोदी थे। वे हिंदी साहित्य सम्मेलन के पाँचवें अधिवेशन (1915, लखनऊ) के सभापति हुए और 'कविभूषण' की उपाधि से विभूषित किया गया । श्रीधर पाठक सारस्वत ब्राह्मणों के उस परिवार में से थे जो 8वीं शती में पंजाब के सिरसा से आकर आगरा जिले के जोंधरी गाँव में बसा था। एक सुसंस्कृत परिवार में उत्पन्न होने के कारण आरंभ से ही इनकी रूचि विद्यार्जन में थी। छोटी अवस्था में ही इन्होंने घर पर संस्कृत और फ़ारसी का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया। उनकी नियुक्ति राजकीय सेवा में हो गई। सर्वप्रथम उन्होंने जनगणना आयुक्त रूप में कलकत्ता के कार्यालय में कार्य किया। उन दिनों ब्रिटिश सरकार के अधिकांश केन्द्रीय कार्यालय कलकत्ता में ही थे। जनगणना के संदर्भ में इन्हें भारत के कई नगरों में जाना पड़ा। इसी दौरान इन्होंने विभिन्न पर्वतीय प्रदेशों की यात्रा की तथा इन्हें प्रकृति-सौंदर्य का निकट से अवलोकन करने का अवसर मिला | इनकी रचनाये क्रमशः इस तरह हैं : मनोविनोद, एकांतवासी योगी, जगत सचाई सार धन विनय , गुनवंत हेमंत , वनाष्टक, देहरादून , गोखले गुनाष्टक सांध्य अटन इत्यादि।
1

तिलिस्माती मुँदरी भाग 1

10 अगस्त 2022
2
0
0

हरिद्वार से आगे उत्तर की तरफ़ पहाड़ों में दूर तक चले जाइये तो एक ऐसे मुक़ाम पर पहुंचियेगा जहां पानी की एक मोटी धारा, गाय के मुँह के मानिंद एक मुहरे की राह, बरफ़ के पहाड़ों से निकल कर बड़े ज़ोर और शोर

2

भाग 2

10 अगस्त 2022
0
0
0

यह सुन कर योगी ने कहा-"हां, मेरा एक काम है। मैं पहले कश्मीर का राजा था, पर मेरे दामाद ने मुझे गद्दी से उतार कर राज छीन लिया और मैं यहां योगी के भेस में छुपा हुआ हूं। मैं चाहता हूं कि मरने के पहले अपनी

3

भाग 3

10 अगस्त 2022
0
0
0

कौओ ने उसे उसके नाना मे जो कहला भेजा था सब सुना दिया और तोते ने जिस तरह उसका राज छिन गया था सब बयान किया। राजा की लड़की सुन कर बहुत रोई और बोली-“ऐ परिन्दो, मुझे जैसे बने मेरे नाना के पास ले चलो, क्यों

4

भाग 4

10 अगस्त 2022
0
0
0

इसके थोड़े ही दिनों बाद राजा शिकार खेलने को पहाड़ों में चला गया और उसके जाने के दूसरे ही दिन कौओं ने तोते को ख़बर दी कि उन्होंने रानी के ख़ास गुलाम बब्बू को बाग़ में कुछ जड़ी बूटी उखाड़ कर इकट्ठा करते

5

भाग 5

10 अगस्त 2022
0
0
0

राजा की लड़की किसी तरह मुशकिल से ज़मीन से उठी और तोते के कहने पर कि इस मौके पर ज़रूर भाग चलना चाहिये उसके साथ दरवाजे की राह जो कि अब खुला हुआ था, बाहर निकल गई और सीढ़ियां उतर कर बाग़ में दाख़िल हुई, ज

6

भाग 6

10 अगस्त 2022
0
0
0

इस तरह वह बराबर चले गये जब तक कि राजा की लड़की थकी नहीं। पर अब वह थक भी गई और उसे भूख भी लगी; तोते ने तब ऊपर वाले कौए को बुला कर पूछा कि कहीं उसे पानी का निशान भी दिखाई दिया कि नहीं। कौए ने कहा कि एक

7

भाग 7

10 अगस्त 2022
0
0
0

जादू की अंगूठी हाथ आने से रानी बहुत खुश हुई। उसने छुटपन में इसका बहुत कुछ हाल सुना था। उसे मालूम था कि यह अंगूठी पेश्तर के ज़माने में गुरु गोरखनाथ के पास थी जिन्होंने कि इसकी ताक़त से तमाम चिड़ियों को

8

भाग 8

10 अगस्त 2022
0
0
0

रानी से जब छुट्टी पाई, कौए सीधे राजा की लड़की के कमरे की खिड़की का दौड़े, वहां उन्होंने तोते को पाया और उसे ज़हरीले, गोंद और अनारों का सब हाल सुना दिया। उन सभी को यकीन हो गया कि अब राजा की लड़की को दु

9

भाग 9

10 अगस्त 2022
0
0
0

सुबह को बब्बू देखने आया कि लड़की मरी या नहीं और उसे बड़ा तअज्जुब हुआ जब कि उसको ज़हर देने के बाद भी जीता पाया। वह वहां से चुपका ही लौट गया और रानी से जो कि उस वक्त बाग़ में अपनी खिड़की के नीचे अंगूठी

10

भाग 10

10 अगस्त 2022
0
0
0

तोते और माहीगीर ने अब इस बात का मंसूबा किया कि राजा को लड़की को बचाने की सब से अच्छी क्या तरकीब होगी। बुड्ढे ने कहा कि "मैं अपना जाल ठीक छज्जे के नीचे डाल दूंगा ताकि जिस वक्त लड़की गिराई जाय, उसी में

11

भाग 11

10 अगस्त 2022
0
0
0

सुबह को माहीगीर राजा की लड़की को झोपड़ी में बन्द छोड़ मछली पकड़ने चला गया और कौए महल की तरफ़ को यह देखने कि वहां क्या हो रहा है, उड़ दिये। वहां उन्होंने देखा कि बड़ी दौड़ धूप मच रही है। राजा की लड़की

12

भाग 12

10 अगस्त 2022
0
0
0

एक दिन राजा की लड़की फुलवाड़ी में अकेली खेल रही थी, उसने ऊपर को जो निगाह की तो देखा कि एक कंजरी बागीचे की नीची दीवार पर झांक रही है। जैसे ही उस औरत को मालूम हुआ कि मुझे लड़की ने देख लिया है उसने सिर झ

13

भाग 13

10 अगस्त 2022
0
0
0

राजा की लड़की बड़े सवेरे ही जाग गई और जब देखा कि कंजरी और उसके बालक जो उसके देरे में सोये थे अभी नहीं उठे हैं और देरे का दरवाज़ा भी खुला है तो आहिस्ता पैर रखती हुई बाहर निकल आई और चाहा को भाग जाऊं पर

14

भाग 14

10 अगस्त 2022
0
0
0

अख़ीर को वह जंगल की हद के पास एक पेड़ के नीचे बैठ गई और वहां बैठी हुई जिस तरफ़ से आई थी उस तरफ़ को देख रही थी कि उसे ऐसा मालूम हुआ कि एक अजीब सूरत की चिड़िया उसकी तरफ़ उड़ती हुई आ रही है। ज्योंही वह न

15

भाग 15

10 अगस्त 2022
0
0
0

उस रात को सोने के पेश्तर वह कंजरी जंगल में से कुछ पत्ते तोड़ लाई और उन्हें एक बरतन में उबाल डाला और उनके अर्क़ से राजा को लड़की का चिहरा और बाहे और टांगे धो दी जिससे कि उसका रंग ठीक कंजरों का सा गंदुस

16

भाग 16

10 अगस्त 2022
0
0
0

दूसरे दिन उन्होंने उस बन को छोड़ एक बयाबान में पैर रक्खा और उसी रास्ते दिन भर चले। वहां कोई जानवर या पेड़ न मिला, क्योंकि वह बड़ा भारी रेत का मैदान था जिसे रेगिस्तान कहते हैं और जाबजा ऊंट और घोड़ों की

17

भाग 17

10 अगस्त 2022
0
0
0

दूसरे रोज़ सुबह को कंजरी उसे शहर के अंदर ले गई। तोता बदस्तूर उसके बाजू पर बैठा हुआ साथ गया। बहुत सी गलियों में गुज़रते हुए वह वहां पहुंचे जहां कि लौंडी-गुलामों का बाज़ार था। उस जगह बहुत से गुलाम एक बड

18

भाग 18

10 अगस्त 2022
0
0
0

उस बेचारी बच्ची को जब वह इस तरह पर गैरों के हाथ में छोड़ दी गई बहुत डर और रंज हुआ और ज़मीन के ऊपर दूसरे गुलाम बालकों के साथ ऐसी जगह बैठ गई जहां उसपर हर एक की नज़र न पड़े। तोते को उसने गोदी में बैठा के

19

भाग 19

10 अगस्त 2022
0
0
0

कोतवाल ने झगड़े का फ़ैसला ऐन अपने मकान के नीचे गली में किया था। जैसे ही कि लड़की कंजरी को दी गई कोतवाल के घर से एक काली लौंडी ने आकर कंजरी से कहा कि कोतवाल की बीबी साहिबा उससे कुछ कहना चाहती हैं। कंजर

20

भाग 20

10 अगस्त 2022
0
0
0

एक रोज़ जब कि दोनों लड़कियां दयादेई की मां के कमरे में बैठी हुई अपने सीने पिरोने के काम में लगी हुई थीं कोतवाल, जो राजा का दरबार करके लौटा था, वहां चला आया। उसके चिहरे पर उदासी और ग़म सा छाया हुआ था।

21

भाग 21

10 अगस्त 2022
0
0
0

इस के तीसरे दिन शाम को दोनों कौए खिड़की की राह भीतर आ दाख़िल हुए। थके हुए और डरे हुए से थे। राजा की बेटी ने उन्हें कुछ खाने को और पानी पीने को दिया। खा कर और सुस्ता कर, जो कुछ उन्होंने देखा था उसका बय

22

भाग 22

10 अगस्त 2022
0
0
0

तोता एक धागे का छोटा गोला अपने पंजे में लेकर मीनार के जीने की बची हुई सिढ्डियों में सब से निचली सिड्ढी तक उड गया और धागे के ऊपर के सिरे को थाम कर गोला उसने नीचे को छोड़ दिया और साथ ही आप भी उसके पीछे

23

भाग 23

10 अगस्त 2022
0
0
0

सुबह के वक्त जब सूरज की किरनें दीवार के एक दरवाजे से उस कोठड़ी में पहुंची तब वह लड़की जागी और उसने देखा कि वह कोठड़ी छोटो और गोल है और उसके चारों ओर छज्जा है और एक तरफ़ उसके पत्थर के फर्श में ज़ीने मे

24

भाग 24

10 अगस्त 2022
0
0
0

क़रीब २ सारे दिन राजा की लड़की अपनी कोठड़ी ही मैं रही, कभी तोते से बात चीत कर लेती थी, कभी सीने लगती थी, और कभी एक किताब जो अपने साथ ले गई थी पढ़ने लगती थी। अख़ीर को उसने एक उकसा हुआ सा पत्थर कोठड़ी क

25

भाग 25

10 अगस्त 2022
0
0
0

यह सब वक्त राजा की लड़की ने मीनार के ऊपर उस छोटी कोठड़ी ही में अपनी तीनों चिडियाओं के साथ गुज़ारा। वह अक्सर कौओं के ज़रिये से बातों और संदेशे के रुक्के दयादेई के पास भेजा करती थी और दयादेई अपने सोने क

26

भाग 26

10 अगस्त 2022
0
0
0

वह लौंडिया बराबर दौड़ती ही गई जब तक कि उस मकान में न पहुंची जहां कि उसके साथ के लौंडी गुलाम बन्द थे और वहां पहुंच कर दरबान से कहा कि उसे गुलामों के दारोग़ा के पास ले चले; जब वह दारोग़ा के पास पहुंची द

27

भाग 27

10 अगस्त 2022
0
0
0

राजा की लड़की मीनार में जहां कि काली लौंडी उस के हाथ पैर बांध कर उसे पड़ा छोड़ गई थी सिपाही का जो न मिली उसका किस्सा यों है-जिस वक्त वह बेबसी की हालत में कोठड़ी के अन्दर पड़ी हुई थी उसे उस सूराख़ में

28

भाग 28

10 अगस्त 2022
0
0
0

ने फ़ौरन वैसा ही किया-उल्लू और उल्लन की टांगों को ज़ोर से थाम कर छज्जे से झट कूद पड़ी और परों की बड़ी फट फटा हट के साथ झाड़ी की मुलायम शाखो पर बगैर ज़रा भी चोट लगे जा पड़ी, वहां पर उसने उनकी टांगे छोड

29

भाग 29

10 अगस्त 2022
0
0
0

 तो मैं भी तेरे साथ चलता हूं, मगर मुझे कौओं से कह आने दे कि वह दोनों इसी खंडहर के आस पास रहें ताकि अगर जरूरत पड़े तो मिल सके। कौओं को इस तरह हिदायत करके तोता लड़की के लबादे के अन्दर आ दबका और वह उसी व

30

भाग 30

10 अगस्त 2022
0
0
0

दोनों लड़कियों को इस मुसीबत में सिर्फ़ यह एक तसल्ली का बाइस था कि दोनों एक ही कोठड़ी में रक्खी गई थीं। कोठड़ी बहुत छोटी थी और उसमें सिर्फ़ एक खिड़की थी जिसमें होकर तोता आ जा सकता था। इस खिड़की से तोता

31

भाग 31

10 अगस्त 2022
0
0
0

इस तरह वह कई दिनों तक सफ़र करते रहे ओर अख़ीर को कश्मीर से एक रोज़ के रास्ते पर पहुंचे। यहां फ़ौज ठहर गई और रानी मय अपने तमाम दरबारियों के, अपनी फ़तहयाब फ़ौज को लेने के लिये और यह देखने के लिये कि लूट

32

भाग 32

10 अगस्त 2022
0
0
0

महाराज तब लौंडी गुलामों की तरफ़ मुखातिब हो कर पूछने लगे “मेरी प्यारी दोहती कहां है?" उसी वक्त राजा की लड़की उनके पैरों पर आकर गिर पड़ी। उन्होंने उसे उठा कर छाती से लगा लिया और बोसे लिये, फिर उसे अपने

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए