अख़ीर को वह जंगल की हद के पास एक पेड़ के नीचे बैठ गई और वहां बैठी हुई जिस तरफ़ से आई थी उस तरफ़ को देख रही थी कि उसे ऐसा मालूम हुआ कि एक अजीब सूरत की चिड़िया उसकी तरफ़ उड़ती हुई आ रही है। ज्योंही वह नज़दीक आई उसने देखा कि वह एक चिड़िया नहीं है, बल्कि तीन चिड़ियों का झुंड है और जब वह और भी पास आ गई तो मालूम हुआ कि उसका प्यारा बुड्ढा तोता और दोनों कौए हैं। कौए एक लकड़ी के दोनों सिरों को अपने पंजों से पकड़े हुए थे और तोता उसे बीच में अपनो चोंच में थामे हुए था, यों कुछ उस लकड़ी के सहारे और कुछ अपने परों की मदद से वह बुड्ढा पखेरू अच्छी तरह उड़ा चला आ रहा था। ज्योंही ये चिड़ियां लड़की के इतनी पास आ गई कि उसकी आवाज़ सुन सके वह उन्हें पुकारने लगी और जब तोते ने उसका बोल सुना लकड़ी को छोड़ दिया और लड़की की तरफ ज़ोर से उड़ा और उसके कंधे पर बैठ गया और बार बार बोसा लेने लगा-कौओं ने भी लकड़ी गिरा दी और नीचे आकर एक झाड़ी पर जा बैठे जहां कि कुत्ता न पहुंच सके और राजा की लड़की से फिर मिलने की खुशी जाहिर की। उन्होंने सब कह सुनाया कि किस तरह जंगल के कबूतर ने माहीगीर के घर पर जाकर लड़की का संदेशा दिया और फिर किस तरह वह फ़ौरन वहां से उड़ कर रास्ते में जो चिड़ियां मिलीं उनसे पूछते हुए कि कहीं राजा की लड़की को तो नहीं देखा बग़ैर बहुत दिक्कत के उसके पास आ पहुंचे। और कहा कि जब हम चलने लगे बुड्ढा माहीगीर समझ गया कि लड़की की तलाश में जाते हैं और बालों की लट जो तूने भेजी थी उसने ले ली और उससे समझा कि तू जीती है और हिफ़ाज़त से है।
जब वह इस तरह प्यार के साथ अपनी चिड़ियों से बातें। कर रही थी, उसने देखा कि कंजरों के दो बालक जो कि उससे उम्र में कुछ बड़े थे और चुपके से उसके पीछे पीछे पाकर झाड़ियों की आड़ में छिप रहे थे यकायक झपट कर निकल आये और उन्होंने झट तोते को पकड़ लिया और उसे लेकर अपने देरों की तरफ़ दौड़ चले और चिल्लाते जांय कि एक तोता पकड़ा है। राजा की लड़की उनके पीछे पीछे रोती हुई और तोते को मांगती हुई दौड़ी पर उन्होंने कुछ ध्यान न दिया। लेकिन जैसे ही वह देरों के पास पहुंचे और कंजर लोग देखने को दौड़े कि क्या बात है तोते ने उनकी उंगलियों को अपनी चोंच से काटना शुरू किया, यहां तक कि उन्हों ने उसे छोड़ दिया और वह उड़ कर एक पेड़ पर जहां कि वह पहुंच न सकें जा बैठा। कंजरी ने पूछा क्या है? राजा की लड़की ने कहा कि "वह तोता मेरा है और मेरा पता लगाता हुआ मेरे पास आया है-इन लड़कों ने वह मुझसे छीन लिया है," और इतना कह कर खूब रोने लगी-और कहा कि “सिर्फ़ यह तोता ही मेरा दुनियां में एक दोस्त है" और मिन्नत की कि वह उसे मिल जाय। इस पर बढ़िया बोली-"अच्छा, अगर तू अच्छी तरह रहेगी और रंज न करेगी कि जिस्से उमदा और मोटी ताज़ी मालूम पड़े जब कि हम तुझे लाहौर में बेचने के लिये ले जायं तो तेरा तोता तुझको मिल जायगा"- फिर उसने उन बालकों से कह दिया कि वह तोते से न बोलें तब तोता पेड़ से उतर आया और लड़की के साथ रहने लगा। दोनों कौए हमेशा क़रीब ही कहीं बने रहते थे कि ज़रूरत पड़ने पर काम आवें।