जादू की अंगूठी हाथ आने से रानी बहुत खुश हुई। उसने छुटपन में इसका बहुत कुछ हाल सुना था। उसे मालूम था कि यह अंगूठी पेश्तर के ज़माने में गुरु गोरखनाथ के पास थी जिन्होंने कि इसकी ताक़त से तमाम चिड़ियों को ताबे कर उन पर अपनी हुकूमत कायम कर ली थी। गोरखनाथ जी के मरने पर चिड़ियों ने अंगूठी को कहीं छिपा दिया था ताकि कोई दूसरा शख़्स उसके ज़रिये से उन पर अमल- दारी न कर सके। रानी ने अपने कमरे की खिड़की से देखा कि दो कौए बाग़चे में एक दरख़ की टहनी पर ग़मगीन बैठे हुए है (यह कौए वही थे जिनका ज़िक्र इस कहानी में शुरू से है) रानी ने उन्हें अंगूठी दिखा कर पास बुला लिया और हुक्म दिया कि वह झील के पार जो जंगल है वहां जांय, उसके भीतर एक बड़ी भारी पत्थर की चट्टान मिलेगी जिसकी कि चारों बग़लें बिलकुल सीधी हैं। इस चट्टान की जड़ पर एक अनार का दरख़ उगा हुआ है जिसकी पीड़ में एक मैंडक बन्द है। रानी ने कौओं से कहा कि वह इस पेड़ का एक अनार उसके वास्ते लावें और वह भी एक एक दाना उस फल का निगल जावें क्योंकि उसके दाने ज़हर मुहरे की खासियत रखते हैं, यानी उनके खाने से किसी किस्म का ज़हर असर नहीं करता, और अगर कौए उसके दाने न खायेंगे तो इसके बाद जो काम उनसे लिया जायेगा उसमें वह मर जायेंगे। वह काम यह है कि वह दोनों उस चट्टान की चोटी पर जायें, वहां एक ज़हर का दरख़ है, उसका गोंद लावें। कौए हुक्म के मुताबिक़ वहां से जंगल को उड़े और थोड़े ही अर्से में उस अनार के पेड़ पर पहुंचे जो कि चट्टान की जड़ में उगा हुआ था, उन्होंने अपनी चोंच से पेड़ की पीड़ में खोंटें मार कर उस पर कान लगाया तो उसके अन्दर मैंडक के बोलने की आवज़ सुनाई दी। तब उन्होंने उस अनार के चन्द दाने जो कि नीचे बिखरे हुए थे निगल लिये और एक २ फल साथ लेकर चट्टान की चोटी पर पहुंचे, जिसे उन्होंने सब्जी या जानवरों से बिलकुल खाली पाया और जिस पर कि उन चिड़ियों की ठटरियां और हड्डियां तमाम फैली हुई थीं जो कि चट्टान के ऊपर उड़ने में उस ज़हर के पेड़ की बू से मर गई थीं। चट्टान के सब से ऊंचे हिस्से पर कौओं ने देखा कि एक छोटा सा अधूरा उगा हुआ पेड़ है जिसकी छाल से एक स्याह रंग का गोंद टपक रहा है। एक कौए ने उसमें से थोड़ा सा गोंद ले लिया और मय अनारों के दोनों कौए महल की तरफ़ रवाना हुए। एक अनार उन्होंने महल के बाग़चे में एक झाड़ी के अन्दर गिरा दिया और दूसरा मय गोंद के जाकर रानी को दिया। रानी ने उसी दम अनार का एक दाना निगल लिया और एक दाना बब्बू को जो कि उसके पास था दिया, ताकि गोंद की बू से उसे ज़हर न चढ़ जाय। गोंद को रानी ने एक सोने की डिब्बी में बन्द करके रख लिया।