इसके थोड़े ही दिनों बाद राजा शिकार खेलने को पहाड़ों में चला गया और उसके जाने के दूसरे ही दिन कौओं ने तोते को ख़बर दी कि उन्होंने रानी के ख़ास गुलाम बब्बू को बाग़ में कुछ जड़ी बूटी उखाड़ कर इकट्ठा करते देखा था जिनमें कई ज़हरीली बूटियां थीं। यह ख़बर सुनते ही तोता खिड़की की राह बाहर आ, बब्बू के करतब को देख, सीधा रानी के कमरे में चला गया और वहाँ छिप कर देखने लगा कि रानी क्या करती है। थोड़ी देर बाद वह देखता है कि बब्बू उन ज़हरदार पत्तियों को लाकर रानी के हाथ में दे देता है और रानी उनको काट कर एक देग़ची में रख अंगीठी पर उबालने को चढ़ा देती है; बाद इसके उसने देखा कि रानी ने एक बरतन में से थोड़ा सा आटा और कुछ मिठाई निकाल उबली हुई पत्तियों के अर्क में गूंध कर एक रोटी पोई और उसे आग पर सेक डाला। तोता यह देख कर वहां से चुपके से उड़ फ़ौरन राजा की लड़की के कमरे में पहुंचा जहां उसने दोनों कौओ को भी पाया और उनसे कहने लगा-“ऐ कौओ, अब देर करने का वक्त नहीं है, अगर राजा की लड़की अब यहां रहेगी तो उसे ज़रूर ज़हर दे दिया जायगा-रानी इस वक्त उसके लिये एक ज़हर की रोटी बना रही है। प्यारी बेटी!चलो यहां से अभी भाग चले" राजा की लड़की इस बात को सुनते ही बड़ी दहशत के साथ वहां से उठ कर दरवाज़े की तरफ दौड़ी, पर किवाड़ों में ताला लगा, था। खिड़की को देखा तो वह इतने ऊंचे पर थी कि लड़की का उसकी राह से निकलना नहीं हो सकता था। सिवा इसके खिड़की के सामने ही एक संतरी पहरा दे रहा था, लेकिन जब कि वह सब सोच विचार कर रहे थे कि क्या किया जाय, दरवाज़ा खुल गया और रानी रिकाबी में एक उमदा सी रोटी लिये हुए आ पहुंची। इस लिये कि रानी उनको न देख सके कौए उसके अन्दर आते ही खिड़की की राह से उड़ गये। रानी लड़की से बोली-“ऐ प्यारी, मैं तेरे खाने के लिए यह रोटी अपने हाथ से बना के लाई हूं" और इतना कह रोटी उसके आगे रख, दरवाजे का ताला बंद करके चली गई। रानी के चले जाने के बाद तोते ने झट कौओं को बुलाया और कहा कि "इस रोटी को दीवार के बाहर झील में गिरा दो"; कौओं ने वैसा ही किया। राजा की लड़की उस रोज़ दिन भर और रात भर उसी कमरे में बंद रही और उसके लिये खाना भी और कुछ न आया; लेकिन कौए उसके वास्ते कई तरह के फल और बहुत सी मेवा महल के बाग़ीचे से ले आये और लड़की और सब चिड़ियों ने मिल कर खूब अच्छी तरह ब्यालू की। सुबह होते ही रानी यह देखने को आई कि लड़की मर गई या नहीं और जब उसे जीता पाया निहायत गुस्से में आ उसके बाल खींच कर उसे मारने लगी और दोनों हाथों से गर्दन दबा कर गला घोटने का इरादा किया। इस हरकत को देख कर तोते ने क्या किया कि खिड़की की राह उड़कर सीधा उस जगह पहुंचा जहां पर रानी का छोटा बच्चा पालने में लेटा हुआ था और अंगीठी में से जो कि वहां जल रही थी एक जलती लकड़ी लेकर उस कमरे की खिड़की के परदे में आग लगा दी, और "आग लगी, आग लगी; पालने वाले घर में आग लग गई,” यों पुकारता हुआ राजा की लड़की के कमरे तक जा पहुंचा और महल के सब नौकर "आग, आग" चिल्लाने लगे। यह सब होने में इतनी थोड़ी देर लगी कि रानी राजा की लड़की का गला घोटने न पाई और उसे वहीं ज़मीन पर पड़ी हुई छोड़ अपने बच्चे को बचाने के लिये दौड़ी।