एक रोज़ जब कि दोनों लड़कियां दयादेई की मां के कमरे में बैठी हुई अपने सीने पिरोने के काम में लगी हुई थीं कोतवाल, जो राजा का दरबार करके लौटा था, वहां चला आया। उसके चिहरे पर उदासी और ग़म सा छाया हुआ था। उसकी बीबी ने दर्याप्फृ किया कि क्या माजरा है तो कहने लगा कि कश्मीर से एक बहुत बुरी ख़बर आई है-वह यह है कि अफ़वाह उड़ रहा है कि वहां के राजा की यकायक मौत हो गई है और रानी ने अपने छोटे बेटे को गद्दी पर बैठा के राज का इंन्तिज़ाम अपने हाथ में ले लिया है। बेचारी राजा की लड़की अपने बाप के मरने की ख़बर सुन कर बहुत रंजीदा और दुखी हुई और अपना ग़म छिपाने को कमरे के बाहर चली गई और उसे दिलासा देने के लिए दयादेई भी उसके पास उठ गई। थोड़े दिनों बाद जब कि कोतवाल की बीबी और यह दोनों लड़कियांँ कमरे की खिड़की के पास बैठी हुई थीं एक बड़ी भीड़ लोगों की गली में आती हुई नज़र आई और जब वह क़रीब आ पहुंची तो उन्होंने देखा कि ज़र्क बर्क कपड़े पहने हुए आदमियों का एक बड़ा गिरोह है, कुछ घोड़ों और ऊंटों पर सवार हैं और कुछ पैदल हैं। उनके दर्मियान एक सांडनी पर कि जिस पर ज़री की झूल पड़ी हुई थी वह बदसूरत बब्बू था जो कि इस वक्त ज़ेवर से सब तरफ़ लदा हुआ था। हाथ में उसके सुनहली लिफ़ाफ़े में बन्द एक ख़त था। राजा की लड़की को उसे देख कर बहुत दहशत हुई और वह छिप गई जब तक कि वह काफ़िला वहां से निकल न गया। उस रोज़ जब कोतवाल घर आया पहले दिन से ज़ियादा सुस्त और, रंजीदा मालूम होता था और जब उसकी बीबी ने पूछा कि यह काफ़िला क्या था तो कहाकि कश्मीर की रानी का एलची आया हुआ है, यह उसी की सवारी थी। रानी ने एक बहुत सख्त़ ख़त लाहौर के राजा को लिखा है कि वह खिराज यानी कर दे, वरना लाहौर पर चढ़ाई की जावेगी; और कहा कि राजा ने गुस्से से उस ख़त को फाड़ कर ज़मीन पर फेंक दिया और एलची को हुक्म दिया कि लाहौर से चला जावे। अब दोनों तरफ़ से लड़ाई की तैयारी हो रही है।
कोतवाल की बीबी और दोनों लड़कियाँ अक्सर खिड़की से, फ़ौज में शामिल होने के वास्ते जाती हुई पलटनों को देखा करती थीं। उस वक्त कभी कभी तोता भी उनके साथ रहा करता था, क्योंकि हालांकि वह बुड्ढ़ा हो गया था उसे सिपाहियों की पलटन देखने का बड़ा शौक था और जब वह पलटन के ढोल और झांझ की आवाज़ सुनता अपने परों को फुला लेता और खुशी के मारे चीख़ उठता। एक रोज़ सब से आख़िरी पलटन के निकल जाने के बहुत देर बाद जब कि वह सूनी गली को देख रहे थे तोता एक सुस्त आवाज़ से कहने लगा-“मैं चाहता हूं कि इन सबजंगी जवानों की जो कि हमारे वास्ते लड़ने को गये हैं कुछ ख़बर मालूम हो,” और फिर यकायक खुश होकर बोला-"आह, मैं कैसा बेवकूफ़ हूं कि कौओं को बिलकुल भूल गया, कौए आसानी से सब ख़बर ला सकेंगे" यों कह के फ़ौरन वहां से उड़ दिया और कौओं को ढूंढ कर उन्हें फ़ौज के पीछे, लड़ाई की ख़बर लाने को, रवाना किया।