कोतवाल ने झगड़े का फ़ैसला ऐन अपने मकान के नीचे गली में किया था। जैसे ही कि लड़की कंजरी को दी गई कोतवाल के घर से एक काली लौंडी ने आकर कंजरी से कहा कि कोतवाल की बीबी साहिबा उससे कुछ कहना चाहती हैं। कंजरी लड़की को लिये हुए लौंडी के साथ भीतर गई और कोतवाल की बीबी के सामने पेश हुई। बीबी छज्जे पर अपनी लड़की के साथ जो उमर में राजा की लड़की के बराबर थी बैठी हुई थी। उसकी लड़की ने राजा की लड़की को देख लिया था और उसकी सूरत पर लुभा कर अपनी मां से कहा था कि उसे ख़रीद ले। सौदा फ़ौरन हुआ। बीबी ने बहुत अच्छी क़ीमत लगाई और राजा की लड़की ने कोतवाल की बेटी और उसकी मां को सूरत शकल से इतना पसन्द किया कि कंजरी से कहा कि उसे उन्हीं के यहां बेच दे। कंजरी ने ऐसा ही किया और अपना रुपया लेकर रवाना हुई। और राजा की लड़की से कह गई कि "तू अच्छे लोगों के हाथों बिकी है और उनके यहां सुख से रहेगी"। उसके चले जाने के बाद दोनों लड़कियां छज्जे पर आके लोगों की भीड़ को जाते हुए देखने लगी कि तोता जो बाज़ार के दरवाज़े पर बैठा हुआ सब हाल देखता रहा था राजा की लड़की को छज्जे में देख उसके कंधे पर आ बैठा-कोतवाल की बेटी को यह देख कर बड़ा तअज्जुब हुआ, लेकिन राजा की लड़की ने जल्द तोते का सारा हाल सुना दिया और उसे अपने पास रखने की इजाज़त मांगी जो कि फ़ौरन मिल गई। दोनों लड़कियों में आपस में बहुत मुहबत हो गई और दोनों साथ, साथ बड़े सुख से रहने लगीं। एक ही साथ खेलती और खाती, एक ही सबक़ पढ़तीं, एक ही कमरे में सोती और हालांकि राजा की लड़की हक़ीक़त में कोतवाल की बेटी की लौंडी थी, उसके साथ बहन का सा बर्ताव किया जाता था। थोड़े दिनों के बाद राजा की लड़की ने अपना सारा असली किस्सा उसे सुना दिया, बल्कि तिलिस्माती मुँदरी का भेद भी बता दिया। एक मर्तबा रात के वक्त बाद खाने के तोते ने राजा की लड़की से कहा-“ऐ प्यारी, मैं समझता हूं कि बिहतर हो कि तेरे नाना को ख़बर कर दी जाय कि तू कहां है, वह तेरे लिए बहुत फ़िक्र करता होगा। कल सुबह मैं दोनों कौओं को जो रोज़ रात के वक्त पड़ौस के मंदिर के बुर्ज में आकर रहते हैं तेरे नाना के पास तेरी ख़बर देने को भेजूंगा और यह भी पुछवाऊंगा कि तेरा नाना तेरे लिये क्या चाहता है"। राजा की लड़की ने कहा “अच्छा" और दूसरे रोज़ सवेरे ही एक ख़त लिख कर तोते के हाथ दिया। तोते ने उसे कौओं के हवाले किया और ताकीद कर दी कि बहुत जल्द उसे गंगोत्री पर जाके बुड्ढ़े योगी को दें और उसका जवाब लावें। बुड्ढ़ा योगी अपनी दोहती के बाबत सचमुच, बहुत फ़िक्रमन्द हो रहा था और चाहता था कि किसी तरह उसकी खबर मिले कि एक रोज़ शाम को दोनों कौए उसे नज़र आये और उन्होंने उसे लड़की की चिट्ठी दी। योगी ने पढ़ कर उसका जवाब लिख दिया। और कौए अपनी थकावट दूर करने को वहां एक दिन ठहर कर लाहौर की जानिब को फिर उड़ दिये और सीधे उन दोनों लड़कियों के रहने के कमरे के अंदर दाख़िल हुए। योगी की चिट्ठी यह थी-
"मेरी प्यारी दोहती, तुझे मैं ने कभी नहीं देखा लेकिन तेरी मां के इस दुनिया से चले जाने से मैं तुझे दुचंद प्यार करता हूं। मुझे बड़ी खुशी हुई कि तू इतनी तकलीफ़ो और ख़तरों के बाद खुशहाल है और नेक शख्सों के साथ है। तेरे लिये शायद यही बिहतर होगा कि तू अपनी नौ-उम्र सहेली के साथ जहां अब है वहीं रहे। लेकिन अगर कभी कोई बात ऐसी हो जावे कि जिससे तू वहां न रह सके और जिसमें तुझे तेरा वफ़ादार तोता सलाह और मदद न दे सके तो मेरे पास फ़ौरन फिर ख़बर भेजना"। दोनों लड़कियां बड़ी खुशी से एक साथ रहने लगी और दोनों में बहुत मुहब्बत हो गई। कोतवाल और उसकी बीबी को भी लड़की का असली हाल मालूम हो गया कि वह एक राजा की बेटी है और वह उसके साथ निहायत मिहर्बानी और इज्ज़त से पेश आने लगे। लेकिन उन्होंने दोनों लड़कियों से कह दिया कि यह सारा हाल बिलकुल पोशीदा रक्खें ताकि कश्मीर की रानी को लड़की की ख़बर न हो जावे कि वह इस बेचारी के पीछे फिर पड़े। और यह मस्लहत समझी गई कि राजा की बेटी चांदनी के नाम से पुकारी जावे जिस नाम से कि वह लौंडी के तौर पर ख़रीदी गई थी। कोतवाल की बेटी का नाम दयादेई था।