इस तरह वह बराबर चले गये जब तक कि राजा की लड़की थकी नहीं। पर अब वह थक भी गई और उसे भूख भी लगी; तोते ने तब ऊपर वाले कौए को बुला कर पूछा कि कहीं उसे पानी का निशान भी दिखाई दिया कि नहीं। कौए ने कहा कि एक छोटा सा झरना दाहिनी तरफ़ को थोड़ी दूर पर एक चट्टान से गिर रहा है। फिर तोते ने कौओं को हुक्म दिया कि राजा की लड़की के वास्ते बन में से अच्छे २ फल चुन कर झरने पर लावे और राजा की लड़की का, हालांकि वह थकी हुई थी, अपने साथ झरने की तरफ़ ले चला। उन्हें थोड़े ही देर में पानी के गिरने की आवाज़ सुनाई दी वह, उसी तरफ को चले जिधर से वह आवाज़ आती थी और एक पत्थर की चट्टान के पास पहुंचे जिसमें से पानी की एक छोटी सी धारा एक बड़े गहरे और पथरीले खडु में गिर रही थी। राजा की लड़की ने खूब जी भर के पानी पिया और तोते ने भी पिया। तोता पानी पीकर घास पर, बैठ कौओं की राह देखने लगा। कौए भी जल्द आ पहुंचे। जितने उनसे चल सके, अंजीर और अंगूर साथ लाये। यह फल जब राजा की लड़की और तोते ने सब खा लिये, कौए बड़ी आसानी से पास ही से और ले आये। यों उन सभी ने मिलकर खूब अच्छी तरह खाना खाया। यह जगह ऐसी सुंदर और अलहदा थी कि उन्होंने वहां दूसरे रोज़ तक ठहरने का इरादा कर लिया। चिड़ियां राजा की लड़की के बिस्तर के लिये नर्म २ पत्ते चुन कर ले आई और राजा की लड़की ने भी इस काम में मशक्कत की और रात होने के पहले ही एक उमदा पलंग एक छप्परनुमा चट्टान के नीचे तैयार हो गया, जहां ओस और सर्दी से बचकर वह रात भर खूब आराम से सोई। तीनों पखेरू पास के एक पेड़ पर बसे, और बारी २ से रात भर पहरा देते रहे।
सुबह को उन सभों ने वहां अंजीरों और अंगूरों का कलेवा करके मामूली तौर से कूच फिर शुरू कर दिया। अब दोपहर के क़रीब जब कि वह कुछ देर तक चल चुके थे, आगे वाले कौए को एक आदमी उनकी तरफ़ आता नज़र आया, और कौआ राजा की लड़की को आगाह करने के लिये फ़ौरन चिल्लाने लगा। लड़की ने कौए की आवाज़ को सुना, पर उसका मतलब न समझा। लेकिन जब उसको अपनी तरफ़ ज़ोर से कांव कांव करते हुए आता देखा, लड़की ने जाना कि कुछ अंदेशा है और भट एक झाड़ी के पीछे छिप गई। आदमी के चले जाने पर वह फिर चिड़ियों से मिल गई, लेकिन उनके कहने का एक लफ्ज़ भी नहीं समझ सकती थी। आख़िर को उसे मालूम हुआ कि जादू की अंगूठी उसके पास नहीं है। अंगूठी उसकी पतली उंगली के लिये बहुत बड़ी होने से सुबह के चलने में कहीं रास्ते में बेमालूम गिर गई थी। उसने हाथ उठा कर तोते को जताया कि मुंँदरी नहीं है, इस बात से उन सब को बहुत अफ़सोस हुआ, और लड़की के रोने, तोते के चीखने और कौओं की कांव कांव से एक ग़मगीन राग उस जंगली जगह में सुनाई देने लगा। आख़िरश तोते ने राजा को लड़की को अपने पीछे २ आने का इशारा किया और तमाम काफ़िला वहां से लौट चला। रास्ते में बड़ी होशियारी से खोई हुई अंगूठी ढूंढ़ते जाते थे, मगर ढूंढ़ना बेफ़ायदा हुआ और वह उसी चश्मे पर पहुंच गये जहां से कि सुबह को कूच किया था।
इस वक्त शाम हो गई थी। कौए खाने को कुछ अंजीर और अंगूर ले आये और राजा की लड़की अपने पुराने बिस्तर पर लेट रही। वह बहुत रोई कि अब अपनी प्यारी चिड़ियों से बात नहीं कर सकती थी, लेकिन रोते २ जल्द ही नींद आ गई। सुबह होते ही वह फिर अंगूठी की तलाश में निकले, और जब कि उसकी खोज में लगे हुए थे कौओं ने देखा कि एक सिपाही एक पेड़ के नीचे पड़ा सो रहा है। एक कौआ दूसरे से कहने लगा “देख यहां एक आदमी लेटा हुआ है। जा, राजा की लड़की को ख़बरदार कर दे"। लेकिन इतने में “कौन जाता है" यों कहता हुआ सिपाही उठ खड़ा होता है और जैसे वह उठता है कौए उसकी उंगली पर जादू की मुँदरी चमकती हुई देखते हैं। जादू उसी दम अपना असर करता है और कौओं को सिपाही के सवाल का जवाब देना पड़ता है-"हम दो कमनसीब कौए हैं और आप के ताबेदार हैं"। सिपाही को उन चिड़ियों की बोली समझने से बड़ा तअज्जुब हुआ और उनसे पूछने लगा "तुम चिड़ियां होकर इस तरह बात क्योंकर कर सकते हो?" एक कौए ने जवाब दिया "साहब, आप की उंगली में एक जादू की अंगूठी है जिसके ज़ोर से आप हमारी बोली समझ सकते हैं और हम को मजबूरन आप के हर सवाल का जवाब देना पड़ता है"। “हां! यह बात है? अच्छा तो बतला किस राजा की लड़की का तू अभी जिक्र कर रहा था"। कौआ बोला “कश्मीर के राजा की लड़की का"। इस पर सिपाही कहने लगा “क्या खुब, उस लड़की के पकड़ने वाले को तो ५० अशर्फ़ी का इनाम है। क्या वह लड़की इस वक्त कहीं यहीं पर है?" बेचारे कौए राजा की लड़की को दुश्मन के कब्जे में लाना नहीं चाहते थे, मगर मुंँदरी के जादू के आगे बेकाबू थे। इसलिये उन्हें कबूल करना पड़ा कि लड़की पास ही है। सिपाही ने लड़की को झट ढूंढ कर पकड़ लिया, और उसके रोने और चिल्लाने पर कुछ भी ध्यान न दे, रास्ते में घसीटता हुआ ले चला। तीनों चिड़ियां बेचारी ग़मगीन आवाज़ करती हुई पीछे २ साथ हुई। थोड़े अर्से में वह झील केमकिनारे पहुंचे। उसमें इस वक्त एक कश्ती पड़ी थी। सिपाही ने राजा की लड़की को उसमें जबरदस्ती बैठा दिया और आप भी चढ़ लिया। तोता भी किसी तौर से नाव में घुस गया और एक तख्ते के नीचे छिप रहा। सिपाही ने लाव का खेना शुरू किया, कौए ऊपर उड़ते चले। वह सब महल के पीछे की खिड़की पर जा उतरे जिसका दर्वाज़ा सिपाही के खटखटाने पर बब्बू गुलाम ने फ़ौरन खोल दिया। गुलाम राजा की लड़की को दांत निकाल कर बुरी तरह देखने लगा और रानी के कमरे में ले गया। चिड़ियाँ महल के बाग़चे में छिप रहीं।
रानी ने सिपाही को वादा किया हुआ इनाम दिया और बब्बू से कहा कि लड़की को उसके कमरे में बन्द करके दुरवाज़ो और खिड़कियों के सामने पहरा बैठा दे ताकि लड़की फिर न भाग जावे। फिर वह सिपाही से पूछने लगी कि उसने लड़की को कैसे पाया, सिपाही ने, जिस तरह उसे जंगल में जादू की अंगूठी मिली थी जिसके जरिये से वह चिड़ियों की बोली समझने लगा था और जिस तरह उन्हीं चिड़ियों से लड़की का पता लगा था, सब सुना दिया।