सुबह के वक्त जब सूरज की किरनें दीवार के एक दरवाजे से उस कोठड़ी में पहुंची तब वह लड़की जागी और उसने देखा कि वह कोठड़ी छोटो और गोल है और उसके चारों ओर छज्जा है और एक तरफ़ उसके पत्थर के फर्श में ज़ीने में उतरने को रास्ता है जिससे कि वह वहां चढ़ी थी-वह छज्जे पर जाने से डरती थी क्योंकि वहां से दिखलाई दे सकती थी और कोतवाल की बीबी और तोते ने उससे कह दिया था कि अगर उसे वहां कोई देख लेगा तो अच्छा न होगा इस लिये उसे वहां पर लोगों की नज़र से बचना चाहिये। कौए खाने की तलाश में गये हुए थे और तोता राजा की लड़की के साथ कुछ कलेवा कर के कि जिसके वास्ते पहले दिन वह कुछ चीज़ें लेता आया था, बाग़ में यह देखने को उड़ गया कि वहां क्या हो रहा है। वहां उस वक्त बड़ा हंगामा हो रहा था-राजा के अफ़सर कोतवाल के घर में क़ीमती चीज़ों की तलाश कर रहे थे। कोतवाल ने अपने तमाम सोने चांदी के ज़ेवर, जवाहिरात, नक़दी और जो कुछ उसके घर में क़ीमती माल था सब उनके सामने रख दिया था, उसके घोड़े घुड़साल से मंगाये जाकर सामने खड़े किये गये थे और सारे गुलाम और लौंडियां आंगन में एक पंगत में खड़ी की गई थीं कि अफ़सर जिनको पसन्द करें ले जायं। जो कुछ उन्होंने ले जाने लायक समझा उसे इकट्ठा कर के वह जा रहे थे कि एक लौंडी उनमें से कि जिन्हें वह ले जा रहे थे अफ़सरों से कहने लगी-"अजी, एक और लौंडी इस घर में कहीं छुपी हुई है वह हम सब से ज़ियादा क़ीमती है लेकिन इनको वह बहुत पसन्द है इस लिये इन्होंने उसे छुपा दिया है"-अफसरों ने पूछा “उसका नाम क्या है?"-लौंडी ने जवाब दिया "उसे हम तोते वाली कहते हैं, क्योंकि उस के पास हमेशा एक वाहियात बुड्ढा तोता रहता हैं" और तोते की तरफ़ हाथ कर के कहा- देखो तोता वह है और तोते वाली भी ज़रूर कहीं नज़दीक ही होगी”–उस लौंडी ने यह सब जलन के मारे बता दिया था-कोतवाल अफ़सरों से कहने लगा-"मेरे यहां एक ऐसी लौंडी है तो सही, लेकिन मुझे मालूम नहीं वह कहां है, मेरा घर सारा खुला हुआ है तलाश कर लो"-यह बात सच थी कि उसे नहीं मालूम था कि राजा की लड़की उस वक्त़ कहां थी, उसकी बीबी ने उससे सिर्फ इतना ही कहा था कि वह एक महफूज़ जगह को चली गई हैं और ज़ियादा उसने सुनना नहीं चाहा था। अफ़सरों ने घर में उसे हर जगह तलाश किया लेकिन तलाशी फुजूल हुई। अख़ीर को उन्होंने कहा कि “वह भाग गई होगी और शायद जल्द ही पकड़ ली जायगी"-यों कहते हुए वह अपनी लूट का माल लेकर चले गये, सिवा चंद बुड्ढ़े गुलामों और लौंडियों के सारा असबाव और माल ले गये। जैसे ही वह चले गये दयादेई अपनी मां के पास दौड़ के बोली “ऐ मा, चांदनी अब तो आ सकती है?” उसकी मां ने जवाब दिया-"नहीं अभी वह जहाँ है वहाँ यहाँ से ज़ियादा बचाव से है-उसका यहाँ लाना तब तक मुनासिब नहीं जब तक कि दुश्मन की फ़ौज यहाँ से न चली जाय"-दयादेई यह सुन कर बड़ी उदास हुई, मगर कहने लगी-"अच्छा मुझे रोज़ रात को उसके पास हो आने दिया करो"-मां ने यह मंजूर कर लिया, लेकिन कहा कि जब कोई ख़तरा नज़र न आता हो तब तू ऐसा कर सक्ती है"। इसपर उसने जवाब दिया "अजी, वह प्यारी चिड़ियां निगहबानी रखेंगी, और हम पर यकायक हमला न हो सकेगा"-उसने तब राजा की लड़की को तोते के ज़रिये से एक रुक़्का भेजा कि "मैं अंधेरा होने पर तुझ से मिलने आऊंगी और साथ कुछ खाने की चीजें लाऊंगी"।