*उनकी महफिल में खुशियां बरसती रहें
मेरा नादान दिल भी बहल जाएगा।
रोऊंगी ना याद करके, उनको कभी
तोड़कर मेरे दिल को वो पस्ताएगा।
उनकी महफिल में----------------।
*सज संवंर के जो निगलूं मैं उनकी गली
दीदारे हसरत को वो भी मचल जाएगा।
रोऊंगी ना , याद कर के, उनको कभी
तोड़ कर मेरे दिल वो पछताएगा,
उनकी महफिल में------------------।
*झूठी शान ओ शौकत में आकर कभी,
रोब अपना ना मुझको ,दिखाना सनम,
अलविदा कह के तुम को, कहूं फिर यही
उनकी महफिल में खुशियां बरसती रहें
मेरा नादान दिल भी----------------।
*कमजो़र मुझको हरगिज़ समझना नहीं,
दिले-फौलाद है, यह कोई शबनम नहीं
उनकी महफिल में खुशियां बरसती रहें
मेरा नादान दिल भी ---------------------।
* मौलिक रचना *
सय्यदा खा़तून--✍️️
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