गणपति बप्पा मोरया
डॉ शोभा भारद्वाज
कई वर्षों तक हम ईरान में परिवार सहित रहे दोनो बच्चे छोटे थे सोचने लगी यहीं बच्चे होश सम्भालेंगे, हमारे त्योहारों , पर्व एवं संस्कृति को जान नहीं पायेंगे हमारे आसपास कोई भारतीय हिन्दू परिवार नहीं रहता था | ईरान जाते समय मैं गणपति एवं सरस्वती माँ की संगममर की मूर्ति साथ ले कर गयी थी परदेस में गणपति जी का पूजन आसान था लेकिन विसर्जन करना मुश्किल था क्योंकिं गणपति संगमरमर के थे जबकि वहाँ हमारे घर से कुछ कदम पर रुद्खाना (पहाड़ी नदी) बहती थी उसके कल कल की ध्वनी साफ़ सुनाई देती थी | गणपति महोत्सव का इतिहास याद आ गया |मैं गणपति जी को बच्चों के साथ रुद्खाने लेकर जाती वहाँ उन्हें स्नान कराती, गणपति को नये वस्त्र में लपेट कर घर लाती चौकी पर उन्हें विराजमान कर देती उन दिनों वहाँ सर्दी पड़ने लगती है पेड़ पत्तो से विहीन हो जाते है फूल मिलने का सवाल ही नहीं था जोत जला कर उनका पूजन एवं आरती उतार कर भोग के लिए गर्म दूध एवं मेवे उनके सामने तश्तरी में रख देती | बच्चों को कहती आँखे बंद करो गणपति भोग लगाने आयेंगे बच्चे श्रद्धा भक्ति से हाथ जोड़ लेते परन्तु बीच में जरा सी आँखे खोल कर देखते गणपति आये या नहीं |
दोपहर को उनका भोग खीर, पूरी ,सब्जी ,रायता ,मीठा दहीं था मोदक बनाने का सामान उपलब्ध नहीं था मुझे बनाने भी नहीं आते थे हाँ आटे के लड्डू बनाती मेवों की कमी नहीं थी श्रद्धा से हम गणपति का भोग लगाने चार बजे के करीब अंगूर स्ट्राबेरी का भोग लगता रात को गणपति को भोजन परोसा जाता भोजन के साथ मीठा दूध का दलिया वहाँ मोटी जलेबिया भी मिलती थीं मैने भी बनानी सीख ली थी रात को सोने के समय केसर मिश्रित दूध का भोग लगा कर उनका शयन |सुबह गणपति रुद्खाने में स्नान के लिए ले जाये जाते फिर भोजन की दिन चर्या इस तरह गणपति तीन , चार दिन बिराजते उनकी विदाई से पहले रुद्खाने में स्नान करा कर पहले आरती फिर अनार का जूस हेजल नट अर्पित कर उनकी पुरानी जगह पर सजा देती |
मैने पूजा अपने ढंग से श्रद्धा भक्ति से की जैसा देश वैसा भोजन फिर हम तो ब्राह्मण है पूजा पद्धति हमीं बताते हैं| भारत से बच्चों के डाक्टर गुप्ता जी पत्नी सहित सन्नंदाज के अस्पताल में काम करने आये गणपति पूजा और भी अच्छी तरह होने लगी अब मेरे बच्चे भी दो से तीन हो गये जब हम गणपति जी को स्नान कराने लेकर जाते उन्होंने बच्चों को स्टील की प्लेट को डंडियों से बजाना सिखा दिया उनकी पत्नी तालियाँ बजाती चलती |एक दांतों के डाक्टर डाक्टर जैन अपनी बीबी दो बच्चियों सहित हमारे यहाँ रात रुकते गणपति पूजा के आखिरी दिन हिस्सा लेते | विश्व के अनेक देशों में भारतवंशी गणपति पूजन करते हैं फ्रांस में बकायद गणपति का जलूस निकलता है लोग उनके आगे भक्ति भाव से नाचते हैं |जापान में भगवान गणेश के करीब 250 मंदिर हैं। उनके देवता जिनकी जापानी पूजा करते हैं भगवान गणेश का ही एक रूप है।
अस्पताल कैम्पस में हमारा घर था | अस्पताल के समय मरीजो की भीड़ होती थी हमारा हिदी कारवाँ गणपति के साथ रुद्खाने की तरफ ताली और थाली बजाते जाते देख कर वहाँ के लोग हमे हैरान होकर देखते उनकी भाषा में ईद का अर्थ ख़ुशी है वह एक दूसरे को समझाते आगा डाक्टर के घर ईद है | एक लड़का आन्ध्रा प्रदेश से पढ़ कर आया था उसने समझाया हिन्द में अक्सर शादी अर्थात त्यौहार होते रहते है ,ख़ुशी से मनाये जाते हैं | कुछ ने सुना था काफिर जानवरों का कच्चा गोश्त खाते हैं उनकी धारणा हिलने लगी यहाँ हिंदी डाक्टर का परिवार अंडा तक नहीं खाता दूध पीते हैं मुझे अपनी संस्कृति दिखाने में बहुत आनन्द आता था जब हम भारत लौटे गणपति और सरस्वती माँ का प्रवास भी समाप्त हो गया |
गणपति उत्सव का इतिहास -गुलामी की जंजीरों से जकड़ी भारत की दुखी ,सोई ,अवसाद ग्रस्त जनता में चेतना का संचार कैसे किया जाये ? कांग्रेस के गर्म दल के नेता श्री बाल गंगा धर तिलक ने कांग्रेस के नरम पंथी नेताओं के विरोध के बाद भी गणेशोत्सव प्रारम्भ किया पहले गणपति पूजा परिवार तक सीमित थी घर में मनाये जाने वाले धार्मिक पर्व को राजनीतिक रंग देने की सफल कोशिश की | 1893 में गणपति पूजन धार्मिक कर्मकांड न रह कर समाज को संगठित करने , हर जाति वर्ग , समुदाय को जोड़ने , छुआछूत को दूर करने ,जन जागरण का माध्यम एवं ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध एक हथियार बन गया पेशवाओं के पूज्य देवता गणपति महाराष्ट्र में घर से बाहर लाये गये उनका धूमधाम से सामूहिक पूजन किया गया | श्री गणपति राष्ट्रीय एकता के प्रतीक बन गये ब्रिटिश साम्राज्य की नीव हिलाने में महत्वपूर्ण योगदान था |
उन दिनों अस्पृश्यता चरम सीमा पर थी, अब सभी जाति के लोगो को देव पूजन का अवसर मिला सबने देव दर्शन किये और गणेश प्रतिमा के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया , उत्सव् के बाद जब प्रतिमा को वापस मंदिर में स्थापित करने (जैसा की पेशवा करते थे मंदिर की मूर्ति को आँगन में रख के सार्वजानिक पूजा और फिर वापस वही स्थापना) पर विचार हुआ तब तय किया गया कि पूजा गृह की मूर्ति बाहर न निकाली जाए। पार्थिव गणेश बनाये जाय फिर उनका समारोह पूर्वक विसर्जन किया जाए। तब से मूर्ति का विसर्जन शुरू हो गया महाराष्ट्र के अलावा आन्ध्राप्रदेश कर्नाटक , मध्यप्रदेश उत्तर भारत , गुजरात और दिल्ली में गणेशोत्सव धूम धाम से मनाया जाता है
श्री गणेश की पौराणिक जन्म कथा पर अनेक कथायें प्रचलित है | उनकी हर शुभ कार्य में प्रथम पूजा की जाती |
वेद व्यास महाभारत कथा लिखना चाहते थे लेकिन उनके लिए एक साथ सोचना एवं लिखना कठिन था बुद्धि की तीब्रता का कलम साथ नहीं दे रही थी वह चाहते थे वह धारा प्रवाह बोलते रहें दूसरा लिपि बद्ध करता रहे उन्होंने श्री गणेश का स्मरण किया वह प्रकट हुए उन्होंने महाभारत कथा को लिखना स्वीकर कर लिया लेकिन उनकी शर्त थी वह निरंतर लिखते रहेंगे जैसे ही आपका भाव प्रवाह रुकेगा वह आगे नहीं लिखेंगे |श्री महर्षि वेदव्यास नें शर्त स्वीकार कर ली लेकिन गणपति से प्रार्थना की वह हर श्लोक को समझने के बाद यदि लिखे अतिशय कृपा होगी | गणेश जी ने उनकी विनय स्वीकार कर ली | वेदव्यास निरंतर महाभारत कथा के एक –एक प्रसंग को लिखवा रहे थे जहाँ लगता था उन्हें सोचना पड़ेगा वह श्लोक की भाषा को दुरूह कर देते थे| गणेश जी वचन बद्ध थे वह निरंतर लिखने के साथ हर श्लोक पर विचार कर रहे थे जहां श्लोक की ग्रामर में उलट फेर लगता विवश होकर सोचने लगते थे वेद व्यास तब तक अगले प्रसंग की तैयारी कर लेते |महाभारत की समाप्ति पर वेद व्यास ने गणपति से पूछा आप पूरी कथा लिखने के दौरान एक शब्द भी नहीं बोले गणपति ने उत्तर दिया महाभारत की अमर गाथा लिखना महान कार्य था अपनी समस्त शक्तियों का संचय कर ध्यान लगा कर मैने ग्रंथ लिखा है | यही लगन एकाग्रता हर विद्यार्थी का धर्म है |दस दिन तक निरंतर लिखते रहने से गणपति त्रस्त हो गये उन्हें वेद व्यास ने ठंडे जल से स्नान कराया था |
गणपति विसर्जन से पहले उनसे अनुरोध किया जाता है वह अगले वर्ष फिर से उनके घर पधार कर दर्शन दें बप्पा के विदा होते ही उदासी छा जाती है अगले वर्ष फिर उनके पधारने का इंतजार किया जाता है | दिवाली पूजन के अवसर पर गणपति लक्ष्मी दूसरी तरफ सरस्वती के साथ विराजते हैं आज के युग में विद्यार्थी सरस्वती ज्ञान की देवी के माध्यम से लक्ष्मी की प्राप्ति के इच्छुक रहते हैं |
गणपति की दोनों मूर्तियों के चित्र मैने विकीपीडिया के लिए भेजे थे उन्होंने स्वीकार कर ली