गुपतार डिक्लरेशन, आर्टिकल 370 की बहाली का गठबंधन?
डॉ शोभा भारद्वाज
पीडीपी अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती का का झुकाव सदैव पाकिस्तान की तरफ रहा है उनकी भाषा बदलती रहती है जब वह सत्ता में रहती हैउनकी भाषा अलग होती है सत्ता से हटते ही अलग तेवर दिखाती है .अब पाकिस्तान कमजोर पड़ता जा रहा है आये दिन पाकिस्तान की और से भेजे जाने वालें आतंकियों को हमारे सुरक्षा बल ढेर कर रहे हैं .14 महीने , मुक्त होने के बाद अपनी उपस्थिति दर्ज कराने एवं अपनी टूटती पार्टी को संगठित करने के लिए अब्दुल्ला पिता पुत्र से भी अधिक महबूबा मुफ़्ती बागी तेवर दिखाएँ . पीडीपी के साथ सरकार बनाने के बाद भाजपा समझ चुकी थी महबूबा मुफ़्ती बाहर से कुछ और अंदर से कुछ और हैं .अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटाए जाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटने के केंद्र के फैसले से पहले महबूबा मुफ्ती को हिरासत में लिया गया था. वह समस्त सुविधाओं के साथ हिरासत में रही .
रिहाई के बाद उनका ब्यान आया था उन्हें तब तक चुनाव लड़ने या राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा उठाने में कोई दिलचस्पी नहीं है जब तक पांच अगस्त को लागू किए गए संवैधानिक बदलाव वापस नहीं लिये जाते. देश के सम्मान में उठे हाथ ,हाथों में तिरंगा और जय हिन्द का घोष इनमें महबूबा मुफ्ती का तिरंगा लिए उठता हाथ नहीं है फ़र्क नहीं पड़ता .5 अगस्त 2019 को संसद द्वारा पास कानून धारा 370, 35 a को समाप्त कर दिया गया है .धारा 370 कश्मीरी लीडर शेख अब्दूल्ला के प्रभाव , नेहरू जी की जिद से राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद द्वारा जारी अध्यादेश द्वारा अस्थायी रूप से संविधान में जोड़ी गयी इसमें धारा 358 के अनुसार संविधान संशोधन के नियमों का पालन नहीं किया गया था जबकि डॉ अम्बेडकर कश्मीर को विशेष दर्जा देने के विरुद्ध थे . धारा 370 , 35 a की समाप्ति के बाद कश्मीर में पूरी तरह शांति थी दुःख उनको हुआ जिन्होंने सत्ता का आनन्द भोगा था ,अलगाववादियों ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को हवा देकर अपने घर भरे थे . जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख के निवासी विकास चाहते हैं केंद्र से आने वाला पैसा जन कल्याण में खर्च हो एवं आतंकवाद से छुटकारा मिले वह देश की मुख्य धारा से जुड़ना चाहते हैं .
नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल के घर की और जाने वाली सड़क का नाम गुपकार है. 2019 अगस्त के महीने के पहले हफ्ते में जम्मू-कश्मीर में हलचल दिखाई देने लगी थी अनुमान लगाया जाने लगा था कश्मीर में बड़ा बदलाव होने वाला है आर्टिकल 370 हटाने के प्रस्ताव पेश होने से ठीक एक दिन पहले यानी 4 अगस्त 2019 के दिन स्थानीयत दलों ने फारूक अब्दुल्ला के गुपकार रोड स्थित घर पर एक बैठक बुला कर सर्वसम्मती से गुपतार समझौते पर हस्ताक्षर किये इनमें नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस, जम्मू-कश्मीर पीपल्स कॉन्फ्रेंस, आवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस , भाकपा एवं माकपा प्रमुख दल थे. संयुक्त बयान में कहा गया जम्मू-कश्मीर की स्वायत्ता और उसे मिले स्पेशल दर्जे को बचाने के लिए एकजुट रहेंगे. गुपतार डिक्लरेशन के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला , पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ़्ती उपाध्यक्ष हैं .माकपा नेता एमवाई तारीगामी इसके संयोजक और पीपुल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद गनी लोन इसके प्रवक्ता बनाये गये .
सभी बड़े दलों के नेताओं की रिहाई कर बाद गुपकार समझौता-2 के लिए फिर से फारूक अब्दुल्ला के घर 22 अगस्त 2020 को जम्मू-कश्मीर के नेताओं ने बैठक बुलाई थी. जिसमें निर्णय लिया गया हम सभी लोग आर्टिकल 370, जम्मू-कश्मीर के संविधान और राज्य के दर्जे की वापसी के लिए समर्पित हैं. उन्हें राज्य का बटवारा स्वीकार नहीं है .
जम्मू कश्मीर में जिला विकास परिषद के 28 नवम्बर से चुनाव शुरू होने वाले हैं पीपल्स अलायन्स फार गुपतार डिक्लेरेशन में कांग्रेस ने शामिल होने की घोषणा की थी अब कांग्रेस ने स्पष्ट किया है वह वह देश की अखंडता , अस्मिता ,तिरंगे को कोई नुक्सान पहुंचाना एवं भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप स्वीकार नहीं करेगें लेकिन कांग्रेस जम्मू कश्मीर में प्रजातांत्रिक चुनाव की वह पक्षधर है इसलिए उनका दल जिला विकास परिषद का चुनाव लड़ रहा है आप है तो गुपतार की विचारधारा उनके एजेंडे का ही समर्थन कर रहे हैं . गृहमंत्री अमित शाह जी ने अपने बयान में कहा पीएजीडी कश्मीर समस्या का अंतर्राष्ट्रीयकरण करना चाहता है वैश्विक ताकतें कश्मीर के मामले में हस्ताक्षेप करें. सभी दल मिलकर गठबंधन बना कर भाजपा के विरुद्ध चुनाव लड़ना चाहते है .