मेरी नन्द मनीषा रामरक्खा फिजी यूनिवर्सिटी
में हिंदी की प्रोफेसर हैं उन्होंने फिजी में हिंदी साहित्य के उत्थान के लिए बहुत
काम किया .मुझे उनपर गर्व हैं . उनकी होली उत्सव पर लिखी कविता मुझे बहुत पसंद
आयीं मैने पाठकों के लिए शेयर की है .
होली सो होली
मनीषा
राम रक्खा
होली सो होली ..............2
आओ मिल कर खेलें होली ..2
मिलें प्रेम से रंग लगायें...2
खेलें कूदें धूम मचाएं ....2
शहर – शहर और गली – गली
होली सो होली .. आओ मिल कर खेलें होली ..2
रंगों का त्यौहार
निराला ...2
हर लाल पीला नारंगी .....2
खेलो इन रंगों से
होली ...2
होली सो होली ... आओ मिल कर खेलें होली..2
हर रंग प्रकृति का
सूचक ...2
धन वैभव का आधार
.....2
प्रकृति से सिखलाता
प्यार ..2
होली
सी होली ... आओ मिल कर खेलें होली ..2
लाल रंग से ऊर्जा
आती ...2
भर देता दिल में
उमंग ....2
होली की यह बात
निराली ..2
होली
सो होली ....... आओ मिल कर खेलें होली ..2
खेल खेल में है
सिखलाता ..2
पीला रंग ख़ुशी आशा
का ...2
यही बात सबको बतलानी
...2
होली सो होली ..... आओ मिल कर खेलें होली ..2
सीख हमें मिलती है
इससे ...2
मिल कर खाएं प्रेम
बढ़ायें
शुभ कर्मों से करें
कमाई
होली सो होली ......,आओ मिल कर खेलें होली ..2
होली का है पर्व
अनोखा ..2
मार्ग हमें यह
दिखलाता ..2
छोड़ बुराई करो भलाई
...2
होली सो होली ....
आओ मिल कर खेलें होली ..2
मौलिक रचना
रचनाकार
श्रीमती मनीषा राम
रक्खा
हिंदी प्रोफेसर
यूनिवर्सिटी आफ फिजी