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कसाईबाड़ा 10

19 नवम्बर 2022

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डॉक्टरों की मीटिंग बैठी हुई थी मेडिसिन से सर्जिकल मे ले जाते वक्त डॉक्टरों की खींचातानी के बीच में दश दिन गुजर गए थे। डॉक्टर शुगर कंट्रोल के लिए इंसुलिन चढ़ाते खाना वही देते जो साधारण व्यक्ति को खिलाया जाता।
उसे दिनभर खिलाया जाता। हर दूसरे घंटे खाना डॉक्टरों की मीटिंग। उसका ब्लड सैंपल हर रोज दिन में दो बार निकालते। इंसान की वजन 47 किलोग्राम रह गई थी। जबकि वह हाइट के किसी भी साधरण व्यक्ति का वजन 60 से 63 किलो के बीच रहना चाहिए था।मैं मेडिसिन के बारे में कुछ भी नालेज नहीं रखता था। 
मगर- बच्चों को पापा को दवा देते- देते जानकारी हासिल हो गई थी। उन्हें पता यह चला था।
 कि जो दवा  असम में रिफर करके दिया जाता था। हॉर्समे जो तत्व थे वही यहां भी दी जाती थी।
 खैर।
 उन्हें तो किसी तरह पापा ठीक ठाक चाहिए था ।सब कुछ टेस्ट और जांच हो चुकी थी। पता चला लीवर  खराब होता जा रहा है। डॉक्टरों का एक ग्रुप यही कहता लिवर लास्ट पोजीशन में है।
 इसे निकालना जरूरी है।
 मगर कुछ  डॉक्टरों का कुछ और मानना था। ऑपरेशन सफल करवाने के लिए शुगर कंट्रोल होना जरूरी था।
 शुगर कंट्रोल नहीं होगा तो ऑपरेट करना इंसानी जिंदगी से खेलने के बराबर होगा ।वरिष्ठ डॉक्टर -जिस पेशेंट के लिए हम डिस्कस कर रहे हैं !उस शख्सियत का लीवर ट्रांसप्लांट किया गया तो उसकी उम्र क्या रह जाएगी?

 हमारे पास आया है तो लिवर ट्रांसप्लांट के लिए ।उसकी पत्नी लीवर डोनेटर है ।

सब कुछ ठीक है। अगर लिवर ट्रांसप्लांट हम करते हैं ।तो भी इंसान 2 महीने से ज्यादा जिंदा नहीं रहेगा।
 इस लिवर ट्रांसप्लांट में डॉक्टर !डोनर का भी जीवन खतरे में होगा, सिविल आल्सो इन डेंजर।
 लिवर स्पेशलिस्ट- फिर ऑपरेशन का क्या मायने रह जाना है ।अस्पताल की बदनामी। हमारे प्रोफशन की बदनामी ।
सुधीर बोल -  पेशेंट आया है  सिर्फ हमारे लिए।  यहां अपने जीवित रहने की ईरादे से नहीं। हमें हमारे अस्पताल को हमारे जैसे डॉक्टर को संपन्न बनाने आया है ।उसके जेब से तो एक कौड़ी खर्च नहीं होना है ।सारा खर्च आयल इंडिया कर रही है। अगर हम ऑपरेट नहीं करते तब भी मरेगा। ऑपरेशन करते हैं जब भी मरेगा।
ऐसे पेशेंट हमारे लिए फ्रूटफुल होते हैं। एक अच्छा खासा रकम दे जाते हैं।
 जो यह समझते हैं -कि डॉक्टर ही भगवान है। वह कुछ दौलत का हिस्सा डॉक्टरों को दे जाते हैं।
 सिर्फ डॉक्टरों को नहीं -अस्पताल के बारे में सोचो ।
अस्पताल के कर्मचारियों के बारे में सोचो। अस्पताल के लिए भी हमारी जिम्मेदारी है।
 फिर यह अच्छा मौका है।
 अस्पताल में ऐसे दो चार परसेंट आते रहेंगे। और हम कौन होते हैं। उसे मना करने वाले।
 अस्पताल अस्पताल के स्टाफ सबकी रोजगार जुड़ी हुई है।
 डॉक्टर सुधीर -मगर यह गलत होगा! ऑपरेशन के बाद भी इंसान मुश्किल से 2 महीने जिंदा रहेगा ।
वरिष्ठ डॉक्टर- अगर हम पेशेंट के परिवार को यह बता देंगे कि ऑपरेशन के बाद भी मरीज सिर्फ 2 महीने का मेहमान है। तो वो ऑपरेशन से मुकर नहीं जाएंगे। वह यही कहेंगे कि वो ऑपरेशन करवाएंगें। दो-चार महीना और  जीवित रखें ।
और क्या भरोसा- ऑपरेशन के बाद भगवान की मर्जी से वह कुछ महिने और जिंदा रहे। यह तो है नहीं कि 2 महीने की डेडलाइन  है ।नहीं इंसान के अंदर की आत्मविश्वास भी कुछ चीज होती है ।जो उसे बनाए रखता है।
उसका शरीर का सारा सिस्टम खराब हो चुका है ।फिर आप्रेशन के बाद दवाओं के जोर से उसे मुश्किल से दो या ढाई महीना रखा सकते हैं। और मौत तो सभी की निश्चित है। यह आया है कुछ दे जाने के लिए ।आया है फिर लेने से इनकार क्यों!?
डॉक्टर सुधीर लिवर स्पेशलिस्ट- मगर इतना बड़ा रिस्क !?
आपको कुछ नहीं करना है ।बस ट्रांसप्लांट करना है।
 यह जिंदा तो रहने वाला पेशेंट है नहीं!
मगर डोनर का क्या!?
डोनर ,थोड़ी दिन दुखी रहेगी। फिर ठीक होगी। जिंदगी भर के लिए हमारी पेशेंट बनेगी। हम डॉक्टर नहीं व्यापारी है ।सिर्फ प्रोफेशनल है। प्रोफेशन है ।हमारे हाथ में आया हुआ दौलत को लात कम से कम अस्पताल नहीं मार सकता।
जो जाते-जाते दे रहा है -उसे अस्वीकार करके क्या मिलना ।जिंदगी और मौत हमारे हाथ में नहीं है ।
मगर पैसा कमाना पैसे निकलवा ना तो हमारे हाथ में है ना?
किसी जिंदा इंसान का पेट चीर कर पैसे निकालना !
 किसी जिंदा इंसान को -और लंबी जिंदगी का लालच देकर ,उसको उसके पल्ले से लाखों निकलवाना।
एक इंजीनियर जो होता है- वह परफेक्ट होता है !
मगर एक डॉक्टर जिंदगी भर प्रैक्टिशनर क्यों होता है ।इसलिए कि डॉक्टर कभी परफेक्ट हो ही नहीं सकता।
 डॉक्टर मानव शरीर के ऊपर प्रयोग करता है। दवाओं का प्रयोग और उसे उसके दर्द को क्योर नहीं करता। दबाता है ।सप्रेस करता है। बीमारियां वही की वही रहती है ।बस उससे होने वाले इफेक्ट्स को कम करता है। यही है एक एलोपैथी डॉक्टर का काम।
 अगर डॉक्टर विमार को खत्म कर दे तो उसकी आमदनी बंद हो जाती है ।जो इंसान जिंदगी भर के लिए उसका कस्टमर बन सकता था ।उसे खत्म कर देता है। फिर व्यापार कैसा!?
एक एलोपैथी डॉक्टर मरीज को अपना कस्टमर बनाए रखता है। डॉक्टर आदमी को जिंदगी भर बीमार रखता है ।डॉक्टर कभी किसी का भला कर ही नहीं सकता ।
डॉक्टर एक बीमारी को सबप्रेस करके दूसरी बीमारी पैदा करता है। यही नीति है ।यही एलोपैथी की नीति है ।वरना बड़े-बड़े अस्पताल बंद हो जाएं। तो बड़ी बड़ी यूनिवर्सिटी में ताला लग जाएं। डॉक्टर भगवान बन जाएं।
 फिर उसे तो मंदिर में बैठना चाहिए। एक डॉक्टर किसी का जीभ देखने का  सौ से लेकर उपर कुछ भी ले सकता है। फिर भी उसकी पैसे की भूख खत्म नहीं होती ।
कभी इसी जी करता है।
 कभी अल्ट्रासाउंड करवाता है ।
कभी एक्सरे करवाता है ।
सब साधन है फिर भी इंसान ठीक होता नहीं। एक बार आदमी एलोपैथी दवा के चक्कर   चक्कर में फंस जाए- तो फिर वह दवाई का गुलाम बन जाता है।
ड्रग एडिक्ट बन जाता है ।
तब तक के लिए जब तक मौत के हवाले ना हो जाए ।जब तक अंतिम सांस ना ले ले ।
अंतिम सांस लेने के बाद भी डॉक्टर छोड़ता कहां है ?
वेंटिलेशन का बहाना बनाकर आर्टिफिशियल सांसे चलवा कर, लाखों का व्यापार करता है। मरीज के रिश्तेदार खिड़की से बाहर दूर से देख कर ही खुश रहते हैं कि सांसे चल रही है। बंदा या बंदी जिंदा है।
 नहीं !
मगर वह मर चुका होता है। वेंटीलेशन में जाने के बाद 99 पॉइंट 99 लोग मर जाते हैं।
 मात्र .01% लोग जिंदा रहते हैं। फिर भी डॉक्टर के ऊपर इंसान विश्वास करता है। अपनी सबसे कीमती चीज जिंदगी डॉक्टर के हवाले करता है ।मगर डॉक्टर क्या करता है।
 प्रयोग ,टेस्ट, मरीज को पैसे कमाने का जरिया। मरीज एक इंसान ना होकर एक बकरा होता है। बकरा! जिसको डॉक्टर कहलाने वाले लोग हलाल करते हैं ।
इस सिलसिले में उसकी जान क्यों ना चली जाए। उन्हें मरीज के जिंदगी से बस इतना लेना होता है -कि कब तक उसमें से जूस निकाला जा सके! उससे पैसा ऐंठा जा सके।

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रचनाएँ
कसाईबाड़ा
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मेरे बचपन के दोस्त पराशर जो उक्त घटना के शिकार हुए ।जो खेल डॉक्टरों ने नामी-गिरामी अस्पताल मैं उनके साथ खेला। उनके परिवार के साथ दरपेश आए ।वह मेरा दोस्त ही नहीं था। बड़ा भाई था ।जिगर का टुकड़ा था। और उस इंसान के साथ अस्पताल के डॉक्टरों ने, डॉक्टरों के देखरेख में एक गेम खेला ।ऑपरेशन और मौत का घिनौना गेम! जिसमें उनकी मौत निश्चित थी ।मगर ऑपरेशन करना इसलिए जरूरी था- कि उसके छाती में ही 4000000 अटका हुआ था ।उसे निकालने के लिए घटनाक्रम को अंजाम दिया गया ।
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16 नवम्बर 2022
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वह दिन था और आज का दिन है- शुरुआत कहां से करूं !मैं वहा-पोह में था ।मैं चाहता था हर क्रियाकलाप का एक वीडियो  चित्रण करूं। मगर फिर सोचा कि मेरे दोस्त को लगेगा कि यह मेरी जिंदगी की घटनाक्रम को एक व्यापा

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16 नवम्बर 2022
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हां !कसाईबाड़ा ही कहा जाएगा! कसाई जानवर तथा पक्षियों को मारकर उसका मांस बेचते हैं ।लोगों को खिलाते हैं ।इंसानी भूख मिटाते हैं ।यह भी कसाईबाड़ा है। जिक्र करना बा मुश्किल पड़ जाता मुझे- अगर हालात से मैं

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17 नवम्बर 2022
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एक जानलेवा खेल।पौराणिक काल में वैद्य होते थे । वी आदतन विरक्त रहते थे । उन्हें न अपनी कमाई की फिक्र होती थी ।न हीं अपने स्थिति की। वे सिर्फ इंसान की भलाई के लिए काम करते थे। इंसान की निरोगिता&nb

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17 नवम्बर 2022
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जिंदगी का सफर।जिंदगी खुशनुमा इबादत सी हुई थी। पांच भाइयों में तीसरे नंबर का था। भाइयों का नंबर यह नंबर उसका लकी नंबर भी रहा। मगर मैं बचपन से लेकर अभी तक की घटनाओं का जिक्र करूंगा, तो मुझे दो तीन

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17 नवम्बर 2022
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मैं अभी अपने काम से शाहबाद ( बादली दिल्ली )के पास था। अचानक फोन आया भतीजी -दीपांजलि का! जिसे हम सभी घर में प्यार से सानू बुलाते थे। अभी फिलहाल तो बड़ी हो गई है ।मगर हमारे लिए तो वह फिर भी

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18 नवम्बर 2022
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जिंदगी को मौत के हवाले।गुवाहाटी मेडिकल अस्पताल का डॉक्टर जो थे। उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया था ।कहा-भाई ऑपरेशन जरूरी है ।ऑपरेशन के बगैर जिंदगी बचनी नहीं है ।क्या ट्रांसप्लांट के बाद जिंदगी बच जाएगी

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18 नवम्बर 2022
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तभी दामाद जी इंटरनेट पर लिवर स्पेशलिस्ट तलाश करने लगे। तलाश करके उन्होंने बताया कि गंगाराम में एक डॉक्टर है- डॉक्टर सुधीर! जो लिवर ट्रांसप्लांट के माहीर स्पेशलिस्ट है ।फिर एक आद बार जमाई, फिर हमन

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19 नवम्बर 2022
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आप गोपाल के लिए लिवर डोनेट करेंगी?हां! भाभी ने जवाब दिया -"इसके बाद वे ठीक हो जाएंगे।"डॉक्टर से बात हो गई है?नहीं !अभी जब पानी ज्यादा भर गया तो यहां जो भी डॉक्टर मिला- उसी के हवाले हमने कर दिया।डॉक्टर

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19 नवम्बर 2022
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विवेक और भाभी और सानू सभी ने यही कहा था- कि हमें तो गंगाराम में इस खातिर भेजा गया ।कि यहां के स्पेशलिस्ट डॉक्टर है जो पापा की ऑपरेशन अर्थात ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो जाएंगी। और हम यहां बाबा के

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19 नवम्बर 2022
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डॉक्टरों की मीटिंग बैठी हुई थी मेडिसिन से सर्जिकल मे ले जाते वक्त डॉक्टरों की खींचातानी के बीच में दश दिन गुजर गए थे। डॉक्टर शुगर कंट्रोल के लिए इंसुलिन चढ़ाते खाना वही देते जो साधारण व्यक्ति को खिलाय

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24 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन की रात थी वह।रात के करीब 11:00 बजे डॉक्टर सुधीर ने विवेक को फोन लगाया। विवेक, सानू और मैं ऑपरेशन थिएटर के बाहर पहुंचे। पांचवी मंजिल पर जहां लीवर संबंधित ऑपरेशन हो रहा था।गार्ड़ने हमें याद

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25 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन के दूसरे दिन।एक नई सुबह लेकर आई थी ।ऐसा लगता था जैसे आसमान में काले बादल मडरा तो रहते हैं मगर धूप चमक सी रही थी। माहौल कुछ सुहाना सुहाना सा लग रहा था।मैं दोपहर के समय आज धर्मशाला से निकल कर भाभ

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25 नवम्बर 2022
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थूक पर थूक।आदमी थुक पे थुक ता रहे , 4 मिनट में खा कार से खाकर निकलता रह। तो स्वस्थ हो कैसे पाएगा। खाना पचाने के लिए जो इंसान की जरूरत है ।वह तो निकला जा रहा है ।हर वक्त ।आदमी खाना कैसे पचा आएगा ।

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26 नवम्बर 2022
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विवेक फ्लैट में चला गया था।मैं गोपाल के पास घर गया था। गोपाल की स्थिति अभी भी ठीक नहीं थी।हर मिनट में उसकी खकार निकलती और थुक निकलता ।मैंने पेट के बारे में पूछा बताया- हल्का सा दर्द है !अभी दर्द काम ह

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4 दिसम्बर 2022
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ऑपरेशन के बाद---!फ्लैट में लौटने के बाद, दूसरी बार फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया था। दर्द था। पेट में, बहुत सारा दर्द था ।खाने में शायद कुछ कोताही बरती गई थी। डॉक्टर का मानना था।जबकि डॉ यह कह चुका

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4 दिसम्बर 2022
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एक बात मुझे डॉक्टर से पूछनी थी। यही बात मैं कह रहा था और भाभी भी यही सवाल कर रही थी। डॉक्टर से मुलाकात के लिए ₹2000 की पर्ची कटवानी थी ।जब 28-30 लाख खर्च किया तो फिर 2,000 की तो कोई बात नहीं थी।डॉक्टर

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4 दिसम्बर 2022
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एक सीक्रेट मीटिंग थी वह।सिर्फ गोपाल से रिलेटेड डॉक्टर थे ।उस मीटिंग पर नर्स कंपाउंडर तथा कोई भी आदर स्टाफ नहीं आ सकता था ।थोड़ी देर की मीटिंग थी ।गोपाल से संबंधित बातों को करना था। उसके हेल्थ चे

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5 दिसम्बर 2022
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गोपाल की जिद तेज हो गई थी।मुझे जाना है -घर जाना है!डॉक्टर सुधीर- मगर अभी आप ठीक हुए नहीं है ;जनाब !बस 15 दिन बाद हम आपको चलने लायक कर देंगे ,फिर आप घर चले जाना।गोपाल- घर का मतलब यहां जहां बच्चे ठहरे ह

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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6 दिसम्बर 2022
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उस दिन मैं सुबह 11:00 बजे के करीब उनके फ्लैट में पहुंच गया था। यह सोच कर- कि आज दिनभर इनके पास रहूंगा, और रात होने से पहले निकल चलूंगा। इंसान की अपनी प्राइवेसी भी होती है। इंसान की अपनी लाइफ

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6 दिसम्बर 2022
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विवेक पापा के जीद पर उन्हें घर ले आया था। मगर तीसरे दिन के बाद वह मुश्किल हुआ जा रहा था ।अचानक पेट का दर्द बढ़ गया था। पेट का दर्द क्यों बड़ा? क्या वजह थी, कि पेट में दर्द बढ़ने लग गया

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7 दिसम्बर 2022
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शायद..?क्यों? मैं बयां करना उचित नहीं समझता था! जो गोपाल अपने बच्चों से दरपेश आता था। खैर.. मैं उन खोए हुए हुए यादों को, बिखरे हुए सपनों को, फिर से समेटकर मूर्त रूप देना नहीं चाहता था। कि बच्चों

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7 दिसम्बर 2022
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मैं जब भी गोपाल के पास पहुंचता ,गोपाल मुझसे अपने पांव दबवाता। मैं भी बड़ी खुशी- खुशी उसके पाव दबाने लग जाता। गोपाल के शरीर को तेल लगाकर मसाज करता । मगर मुझे एहसास सा होता था जा रहा था। अभी शरीर

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8 दिसम्बर 2022
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सबके चेहरे में मायूसी सी थी। गोपाल, विवेक, सानू ,भाभी सभी बोलते तो भी मुझे लगता था ।जैसे दिल में बहुत बड़ा वजन रखकर बोल रहे हो ।दिल का बोझ बढ़ता जा रहा था। जैसे दिल भी सोच सोच कर धड़क रहा था

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8 दिसम्बर 2022
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गोपाल गोपाल सानू को लेकर दुखी था।इसलिए कि अभी तक उसने सानू के लिए अच्छा लड़का ढूंढ पाया था। शादी नहीं करा पाया था। इसके लिए अच्छे लड़के लोकल लड़के नहीं मिले। 2-4 आए थे और सानू ने उन्हें नापसंद कर

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8 दिसम्बर 2022
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विवेक भी खौफ जदा था ।अब पापा बिस्तर में ही गंदगी छोड़ने लगे हैं। उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि कब लैट्रिन उतर गई ।फिर उसे साफ करते बच्चे फिर सभी मिलकर उसे करवट लीटाने की कोशिश करते ।और साफ करते।

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9 दिसम्बर 2022
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धीरे धीरे मौत का साया गोपाल की ओर बढ़ रहा था। गोपाल को भी एहसास था ।अब मैं शायद ठीक ना हो पाऊं। गोपाल- तुमने लिवर डोनेट क्यों किया? इसी लिवर के ऑपरेशन से मैं ज्यादा परेशान हो गया हूं!भाभी- हम आप

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10 दिसम्बर 2022
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पल- पल हर एक घड़ी गोपाल की जिंदगी की डोर ढीली पड़ती जा रही थी। गोपाल की आंखें सफेद सी बढ़ती जा रही थी ।आंखों में होने वाली लाली खत्म थी। जिस्म यूं भी पहले दिन से सुजता हुआ जा रहा था ।वह कभी ठीक हो कि

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10 दिसम्बर 2022
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मौत!?मौत की ओर हर इंसान सरक रहा है। हर इंसान का अगला कदम मौत की ओर होता है ।इंसान और मौत का गहरा रिश्ता है। एक न एक दिन उसकी आगोश में समाना ही है। मगर इंसान को इस धरती पर परमेश्वर ने जीने के

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12 दिसम्बर 2022
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सानू अपने पापा की कैंसर होने की बात को लेकर ज्यादा डिक्लेअर डिस्टर्ब हो गई थी।मैं महसूस कर रहा था ।उसकी आवाज में थर्रा हट थी। जब वह मुझसे इस बारे में बात कर रही थी।मैंने पूछा- किस स्टेज में है?स

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12 दिसम्बर 2022
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अगला दिन था।सुबह नाश्ता करके मैं और भाभी भोपाल से मिलने के लिए चले गए थे। रूम सिंगल सा ले रखा था। फिर भी डॉक्टर यहां एक एक एटेन्डेन्ट से ज्यादा रहने की इजाजत नहीं देते। फिर भी हम चले गए थे ।इस व

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13 दिसम्बर 2022
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लीवर खराब था। तो उसके लीवर को ट्रांसप्लांट किया गया। गलत हिस्सा संपूर्ण लीवर निकालकर, भाभी के लिवर का 60 परसेंट हिस्सा निकालकर गोपाल के लीवर की जगह जोड़ा गया था। अब इस नाकामयाबी का श्रेय दे रहे थे। कि

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13 दिसम्बर 2022
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अब भाभी को भी बताना जरूरी था डॉक्टर कैंसर का इफेक्ट बता रहे हैं ।और बताया गया था।पहले लिवर में कैंसर बताकर ट्रांसप्लांट करवाया अब चेस्ट में ही कैंसर बता रहे हैं। भाभी का यह कह भी रो-रोकर हाल बुरा था।

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14 दिसम्बर 2022
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धीरे -धीरे मौत के साए गोपाल पर हावी होते गए थे। मौत अपने नाखूनों को तेज कर के लंबे-लंबे राक्षसी दांत बाय गोपाल की ओर बढ़ रही थी।हम मूकदर्शक बने देखने के अलावा और कुछ भी नहीं कर सकते थे।डॉक्टरों क

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14 दिसम्बर 2022
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वेंटीलेशन के लिए सभी डॉक्टर जोर देने लगे। अगर कुछ होता है तो ,हम जिम्मेदार नहीं है। अब अंतिम अवस्था में भी वेंटिलेशन के अंदर डालकर ।पैसा अशूली का घिनौना खेल खेला जाने वाला था।जिस डॉक्टर ने ल

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14 दिसम्बर 2022
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मैं राजू और विवेक रात भर अस्पताल की वेटिंग रूम में रूक गये थे।विवेक ने कुछ भी नहीं खाया था। 2 दिन हो गए थे ।अब उसका चेहरा लगता था -जैसे चेहरे को अभी-अभी पानी से धो आया हो। भी गवाह आसुओं से भीगा

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15 दिसम्बर 2022
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परिवार के कुछ और सदस्य आ गए थे।वक्त!? गोपाल के पास न था ।बस अब तो शरीर का मिट्टी में तब्दीली का इंतजार था। कब डॉक्टर खबर करें कि अब गोपाल नहीं रहा!ऐसा इंतजार!? लंबा होता है ।जानलेवा ..जानलेव

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15 दिसम्बर 2022
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एक नायाब कहानी का अंत हो चला था। नहीं नहीं में आंसुओं का बाध टूट सा गया था। अस्पताल को अब भी आस थी ।कि दो चार लाख झाड़ जाते। जाते -जाते तुम मौत का हिसाब किताब कर जाते !नहीं ..नहीं में

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15 दिसम्बर 2022
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गोपाल का अंत!गोपाल का अंत ऐसा होगा सोचा न था। यूं सभी बीमारियों का जखीरा लिए ,लंबी-लंबी सांसे भरेगा। आंखों में पथराई आंसुओं में वह मुझ में यूं जी लेगा, सोचा ना था।अगला दिन भी मर्म से भरा था।भाभी जी रह

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