लीवर खराब था। तो उसके लीवर को ट्रांसप्लांट किया गया। गलत हिस्सा संपूर्ण लीवर निकालकर, भाभी के लिवर का 60 परसेंट हिस्सा निकालकर गोपाल के लीवर की जगह जोड़ा गया था। अब इस नाकामयाबी का श्रेय दे रहे थे। किसको? कैंसर को- कैंसर हो रखा था संपूर्ण चेस्ट में! फैल गया था। तो कैसे ठीक होता है।
अरे मरदुदों!
पैसे के लालची खूनी दरिंदों!
दौलत के लालच में एक शुगर पेशेंट का ऑपरेशन किया। लिवर ट्रांसप्लांट जिसका शुगर हर वक्त 330 से 500 के करीब रहता है। उसको तो शरीर के ऊपरी हिस्से चमड़ी में भी कट लगाना मना है। तो फिर लिवर ट्रांसप्लांट का क्या अर्थ है?
जिस मरीज को दिन में दो बार इंसुलिन का डोज देकर भी शुगर नॉर्मल नहीं हो रहा हो- उसे तुम लोगों ने ऑपरेशन के टेबल में लिटा कर पेट चीर डाला। उसके लीवर को चेंज कर डाला।
सिर्फ रुपए पैसे के लालच में!?
अरे कसाईयों, खूनी हो तुम लोग। खूनी दरिंदों से बदतर हो, तुम तो इंसानी डॉक्टरी चोगे मे मरदूद हो। कसाई हो ।
और यह अस्पताल ऑपरेशन थिएटर!? कसाईबाड़ा है... कसाईबाड़ा!
यहां खुद इंसान अपनी मर्जी से- यहां लुटाने आता है ।और यह लोग इंसान कि इस अंधविश्वास का विश्वासघात करते हैं। यह सफेद चोंगे वाले।
इस वक्त गोपाल के मुंह से खाना अंदर जा नहीं रहा था। और पैखाना भी बिस्तर में लेटे लेटे निकल रहा था।
उसकी आंखें ?उसकी आंखों में देखकर मैं घबरा जाता।
सुन्नता ।जैसे मुर्दे की आंखें हों।
जब तक हुआ थोड़ा भी चल फिर सकता था। मियां बीवी में तकरार थी। गोपाल दो बातें ही बोल देता। भाभी चिढ़ जाती। जुबान फिरती न थी ।उसके कटाक्ष का जवाब नहीं देती ।मगर शिकायत और गिला जो था।
मुझसे कहती। पड़ोसी से जिक्र करते।
बच्चे समझते थे। बच्चे अब छोटे नहीं थे ।बड़े बड़े थे।
सानू सरकारी नौकर थी ।विवेक भी एमबीए कर चुका वेल एजुकेटेड हो चुका था। मैंने पूछा- था तुम क्यों सानू से तकरार करते हो? गालियां देते हो?
वह बड़ी दिलेरी से कहता- अपने बच्चों को गाली ना करूं तो किसे करूं!? और के बच्चे से करूं? किसी और के बच्चों को गाली दूं- तो वह मुझे वक्सेंगे? नहीं ना! फिर!?
मैंने कहा- इसका अर्थ है, तुम्हें गाली देना अच्छा लगता है। उसे परेशान करना। बच्चों को परेशान करना, तुम्हें अच्छा लगता है! क्यों?
कोई भी तुम्हारा बच्चा किसी गलत रास्ते में नहीं है ।
फिर? गलत रास्ते में जाने का मैं इंतजार करूं? कि गलत रास्ते में जाएंगे -फिर गालियां करूं। पहले ही गाली करता रहूं- तो गलत रास्ते में जाएंगे ही नहीं !
मैं बोला -भाभी अलग से तुम्हारी शिकायत करती है!
इन लोगों की ..इन लोगों के लिए, तो मेरा शरीर बर्बाद हुआ। कभी बारिश न कहा, कभी दिन-रात न कहा, बस काम.. काम.. काम. बस काम।
इन लोगों की जिंदगी अच्छी हो, इसलिए तो कितनी मेहनत की ।आयल इंडिया का काम तो तुम्हें पता है। कितना मेहनत का होता है। तुम्हारी भाभी रात 3:00 से उठकर खाना तैयार करने में लगती ।कभी समय से खाना नहीं ।कभी नींद पूरा होता नहीं ।मेहनत में कभी कमी न छोड़ी। बाथरुम लगता तब भी यही सोचता कि- कुछ देर में काम खत्म करू फिर बाथरूम जाऊं, और बाथरूम दबा कर रखता। फिर इस तरह सुबह से शाम हो जाता। पानी पीने का ख्याल तक नहीं हुआ था। घर से जो एक आध बोतल पानी ले जाते वह भी वापस आता।
मैं- फिर?
फिर आकर दारु और मीट।
मीट -दारू लड़खड़ाते कदमों से घर आते। दारू के नशे में चूर ।भाभी से फिर मीट बनवाते। खाना खाकर सोते-सोते रात का 12:00 बज जाता। फिर सुबह 4:00 बजे उठकर काम पर निकल जाता। यही न!?
मेरी जिंदगी को सही से सांस लेने का तक टाइम नहीं मिला! कहते वक्त उसकी आंखों में आंसू तैर रहे थे ।शरीर में बीमारियां बढ़ती गई- बढ़ती गई। फिर बीमारियों का घर होगया यह शरीर।
बच्चों की जिंदगी ठीक हो इसलिए मेहनत में कमी नहीं रखी ।जिंदगी यूं ही गुजर गई। कुछ पता ही नहीं चला ।
मैं -तुमने सब कुछ पा लिया, 3 बच्चे,तीनों अच्छे संस्कार इन पे कूट-कूट कर भरी दिया। हीरे बनाया, तुमने जो अभी काम आ रहे हैं।
जब भी तुम्हारे इन बच्चों को देखता हूं ।सच में मुझे गर्व सा महसूस होता है। कलयुग के श्रवण कुमार है। यह बच्चे। मां-बाप को दिल से चाहने वाले। भगवान से मानने वाले ।यह बच्चे।
किसके बच्चे इतने मां बाप पर जान छिड़कतें हैं ।सच में तुम खुश नसीब हो ,इसलिए नहीं कि बस इसलिए कि, मां-बाप के लिए प्यार ही प्यार है सम्मान है। रिस्पेक्ट है ।इनके दिल में।
गोपाल मायूस सा बोला -विवेक की नौकरी लगी नहीं है ,उम्र हो चली है।
मैं -विवेक के लिए, किस बात की चिंता है? किस लिए तुमने दौलत इतना कमाई कर ली है ।कि उसे आइंदा जिंदगी में कुछ करने की आवश्यकता क्यों है !?कोई भी मरने के बाद दौलत छाती मे ले जाता है क्या?
नहीं ना। फिर ज्यादा कमा कर क्या काम? उसकी जिंदगी है, उसे जैसे चाहे जीने दो!
गोपाल -अपने दिल की सारी मलाल सारी भड़ास मेरे से निकाल रहा था। बोला सानू की शादी तय ना हो सकी। सानू को किसी बेरोजगार के पल्ले तो बाध नहीं सकते। कुछ लोग आए थे, मगर बेरोजगार।
मैं- होगी! उसकी शादी भी होगी। इतनी प्यारी संस्कारी बच्ची है। कि किसी के घर में जाएगी उसका घर स्वर्ग सा बना देगी ।मेरा मतलब है खुशियां और प्यार से भर देगी। तुम ठीक हो जाओ फिर उसके लिए लड़की ढूढेंगे। अच्छा लड़का मिल ही जाएगा।
लगता था, गोपाल आज ही अपनी सारी दिल की बातें खत्म करना चाहता था।
मैं बोला- बस बातें बहुत कर लिया ।अब थोड़ा आराम कर लो ।बिस्तर को लेटा दूं?
तभी नर्स आ गई थी।
हाय !हाय कहती उसने गोपाल से हाथ मिला लिया था।
यह प्राइवेट महंगे अस्पतालों का ग्लेमर था। बीमार पब्लिक को, मरीज को लुभाने का एक फंडा कह सकते हैं।
ऐसे अस्पतालों में मरीज से प्यार से पेश आया जाता है ।क्योंकि मरीज के जेब को हल्का करना होता है।
खैर ..!
गोपाल की हर सांसे मौत से तब्दीली की ओर बढ़ रही थी।
कनक्लूजन यह था ,कि उसकी मौत की पृष्ठभूमि तैयार की जा रही थी। तभी क्या कभी क्या ।
मगर अंतिम सांस भी उन्हें दौलत दे जाएगा। उनको पता था।
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