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कसाईबाड़ा 33

13 दिसम्बर 2022

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लीवर खराब था। तो उसके लीवर को ट्रांसप्लांट किया गया। गलत हिस्सा संपूर्ण लीवर निकालकर, भाभी के लिवर का 60 परसेंट हिस्सा निकालकर गोपाल के लीवर की जगह जोड़ा गया था। अब इस नाकामयाबी का श्रेय दे रहे थे। किसको? कैंसर को- कैंसर हो रखा था संपूर्ण चेस्ट में! फैल गया था। तो कैसे ठीक होता है।
अरे मरदुदों!
पैसे के लालची खूनी दरिंदों!
दौलत के लालच में एक शुगर पेशेंट का ऑपरेशन किया। लिवर ट्रांसप्लांट जिसका शुगर हर वक्त 330 से 500 के करीब रहता है। उसको तो शरीर के ऊपरी हिस्से चमड़ी में भी कट लगाना मना है। तो फिर लिवर ट्रांसप्लांट का क्या अर्थ है?
जिस मरीज को दिन में दो बार इंसुलिन का डोज देकर भी शुगर नॉर्मल नहीं हो रहा हो- उसे तुम लोगों ने ऑपरेशन के टेबल में लिटा कर पेट चीर डाला। उसके लीवर को चेंज कर डाला।
सिर्फ रुपए पैसे के लालच में!?
अरे कसाईयों, खूनी हो तुम लोग। खूनी दरिंदों से बदतर हो, तुम तो इंसानी डॉक्टरी चोगे मे मरदूद हो। कसाई हो ।
और यह अस्पताल ऑपरेशन थिएटर!? कसाईबाड़ा है... कसाईबाड़ा!
यहां खुद इंसान अपनी मर्जी से- यहां लुटाने आता है ।और यह लोग इंसान कि इस अंधविश्वास का विश्वासघात करते हैं। यह सफेद चोंगे वाले।
इस वक्त गोपाल के मुंह से खाना अंदर जा नहीं रहा था। और पैखाना भी बिस्तर में लेटे लेटे निकल रहा था।
 उसकी आंखें ?उसकी आंखों में देखकर मैं घबरा जाता।
 सुन्नता ।जैसे मुर्दे की आंखें हों।
जब तक हुआ थोड़ा भी चल फिर सकता था। मियां बीवी में तकरार थी। गोपाल दो बातें ही बोल देता। भाभी चिढ़ जाती। जुबान फिरती न थी ।उसके कटाक्ष का जवाब नहीं देती ।मगर शिकायत और गिला जो था।
मुझसे कहती। पड़ोसी से जिक्र करते।
 बच्चे समझते थे। बच्चे अब छोटे नहीं थे ।बड़े बड़े थे।
 सानू सरकारी नौकर थी ।विवेक भी एमबीए कर चुका वेल एजुकेटेड हो चुका था। मैंने पूछा- था तुम क्यों सानू से तकरार करते हो? गालियां देते हो?
वह बड़ी दिलेरी से कहता- अपने बच्चों को गाली ना करूं तो किसे करूं!? और के बच्चे से करूं? किसी और के बच्चों  को गाली दूं- तो वह मुझे वक्सेंगे? नहीं ना! फिर!?

मैंने कहा- इसका अर्थ है, तुम्हें गाली देना अच्छा लगता है। उसे परेशान करना। बच्चों को परेशान करना, तुम्हें अच्छा लगता है! क्यों?

 कोई भी तुम्हारा बच्चा किसी गलत रास्ते में नहीं है ।
फिर? गलत रास्ते में जाने का मैं इंतजार करूं? कि गलत रास्ते में जाएंगे -फिर गालियां करूं। पहले ही गाली करता रहूं- तो गलत रास्ते में जाएंगे ही नहीं !
मैं बोला -भाभी अलग से तुम्हारी शिकायत करती है!
इन लोगों की ..इन लोगों के लिए, तो मेरा शरीर बर्बाद हुआ। कभी बारिश न कहा, कभी दिन-रात न कहा, बस काम.. काम.. काम. बस काम।
  इन लोगों की जिंदगी अच्छी हो, इसलिए तो कितनी मेहनत की ।आयल इंडिया का काम तो तुम्हें पता है। कितना मेहनत का होता है। तुम्हारी भाभी रात 3:00 से उठकर खाना तैयार करने में लगती ।कभी समय से खाना नहीं ।कभी नींद पूरा होता नहीं ।मेहनत में कभी कमी न छोड़ी। बाथरुम लगता तब भी यही सोचता कि- कुछ देर में काम खत्म करू फिर बाथरूम जाऊं, और बाथरूम दबा कर रखता। फिर इस तरह सुबह से शाम हो जाता। पानी पीने का ख्याल तक नहीं हुआ था। घर से जो एक आध बोतल पानी ले जाते वह भी वापस आता।
मैं- फिर?
 फिर आकर दारु और मीट।
 मीट -दारू लड़खड़ाते कदमों से घर आते। दारू के नशे में चूर ।भाभी से फिर मीट बनवाते। खाना खाकर सोते-सोते रात का 12:00 बज जाता। फिर सुबह 4:00 बजे उठकर काम पर निकल जाता। यही न!?

मेरी जिंदगी को सही से सांस लेने का तक टाइम नहीं मिला! कहते वक्त उसकी आंखों में आंसू तैर रहे थे ।शरीर में बीमारियां बढ़ती गई- बढ़ती गई। फिर बीमारियों का घर होगया यह शरीर।
 बच्चों की जिंदगी ठीक हो इसलिए मेहनत में कमी नहीं रखी ।जिंदगी यूं ही गुजर गई। कुछ पता ही नहीं चला ।
मैं -तुमने सब कुछ पा लिया, 3 बच्चे,तीनों अच्छे संस्कार इन पे कूट-कूट कर भरी दिया। हीरे बनाया, तुमने जो अभी काम आ रहे हैं।

जब भी तुम्हारे इन बच्चों को देखता हूं ।सच में मुझे गर्व सा महसूस होता है। कलयुग के श्रवण कुमार है। यह बच्चे। मां-बाप को दिल से चाहने वाले। भगवान से मानने वाले ।यह बच्चे।

 किसके बच्चे इतने मां बाप पर जान छिड़कतें हैं ।सच में तुम खुश नसीब हो ,इसलिए नहीं कि बस इसलिए कि, मां-बाप के लिए प्यार ही प्यार है सम्मान है। रिस्पेक्ट है ।इनके दिल में।

गोपाल मायूस सा बोला -विवेक की नौकरी लगी नहीं है ,उम्र हो चली है।
मैं -विवेक के लिए, किस बात की चिंता है? किस लिए तुमने  दौलत इतना कमाई कर ली है ।कि उसे आइंदा जिंदगी में कुछ करने की आवश्यकता क्यों है !?कोई भी मरने के बाद दौलत छाती मे ले जाता है क्या?
 नहीं ना। फिर ज्यादा कमा कर क्या काम? उसकी जिंदगी है, उसे जैसे चाहे जीने दो!

गोपाल -अपने दिल की सारी मलाल सारी भड़ास मेरे से निकाल रहा था। बोला सानू की शादी तय ना हो सकी। सानू को किसी बेरोजगार के पल्ले तो बाध नहीं सकते। कुछ लोग आए थे, मगर बेरोजगार।
मैं- होगी! उसकी शादी भी होगी। इतनी प्यारी संस्कारी बच्ची है। कि किसी के घर में जाएगी उसका घर स्वर्ग सा बना देगी ।मेरा मतलब है खुशियां और प्यार से भर देगी। तुम ठीक हो जाओ फिर उसके लिए लड़की ढूढेंगे। अच्छा लड़का मिल ही जाएगा।
लगता था, गोपाल आज ही अपनी सारी दिल की बातें खत्म करना चाहता था।
मैं बोला- बस बातें बहुत कर लिया ।अब थोड़ा आराम कर लो ।बिस्तर को लेटा दूं?
 तभी नर्स आ गई थी।
 हाय !हाय कहती उसने गोपाल से हाथ मिला लिया था।
 यह प्राइवेट महंगे अस्पतालों का ग्लेमर था। बीमार पब्लिक को, मरीज को लुभाने का एक फंडा कह सकते हैं।
 ऐसे अस्पतालों में मरीज से प्यार से पेश आया जाता है ।क्योंकि मरीज के जेब को हल्का करना होता है।
 खैर ..!
गोपाल की हर सांसे मौत से तब्दीली की ओर बढ़ रही थी।
 कनक्लूजन यह था ,कि उसकी मौत की पृष्ठभूमि तैयार की जा रही थी। तभी क्या कभी क्या ।
मगर अंतिम सांस भी उन्हें दौलत दे जाएगा। उनको पता था।

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रचनाएँ
कसाईबाड़ा
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मेरे बचपन के दोस्त पराशर जो उक्त घटना के शिकार हुए ।जो खेल डॉक्टरों ने नामी-गिरामी अस्पताल मैं उनके साथ खेला। उनके परिवार के साथ दरपेश आए ।वह मेरा दोस्त ही नहीं था। बड़ा भाई था ।जिगर का टुकड़ा था। और उस इंसान के साथ अस्पताल के डॉक्टरों ने, डॉक्टरों के देखरेख में एक गेम खेला ।ऑपरेशन और मौत का घिनौना गेम! जिसमें उनकी मौत निश्चित थी ।मगर ऑपरेशन करना इसलिए जरूरी था- कि उसके छाती में ही 4000000 अटका हुआ था ।उसे निकालने के लिए घटनाक्रम को अंजाम दिया गया ।
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16 नवम्बर 2022
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वह दिन था और आज का दिन है- शुरुआत कहां से करूं !मैं वहा-पोह में था ।मैं चाहता था हर क्रियाकलाप का एक वीडियो  चित्रण करूं। मगर फिर सोचा कि मेरे दोस्त को लगेगा कि यह मेरी जिंदगी की घटनाक्रम को एक व्यापा

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16 नवम्बर 2022
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हां !कसाईबाड़ा ही कहा जाएगा! कसाई जानवर तथा पक्षियों को मारकर उसका मांस बेचते हैं ।लोगों को खिलाते हैं ।इंसानी भूख मिटाते हैं ।यह भी कसाईबाड़ा है। जिक्र करना बा मुश्किल पड़ जाता मुझे- अगर हालात से मैं

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17 नवम्बर 2022
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एक जानलेवा खेल।पौराणिक काल में वैद्य होते थे । वी आदतन विरक्त रहते थे । उन्हें न अपनी कमाई की फिक्र होती थी ।न हीं अपने स्थिति की। वे सिर्फ इंसान की भलाई के लिए काम करते थे। इंसान की निरोगिता&nb

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17 नवम्बर 2022
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जिंदगी का सफर।जिंदगी खुशनुमा इबादत सी हुई थी। पांच भाइयों में तीसरे नंबर का था। भाइयों का नंबर यह नंबर उसका लकी नंबर भी रहा। मगर मैं बचपन से लेकर अभी तक की घटनाओं का जिक्र करूंगा, तो मुझे दो तीन

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17 नवम्बर 2022
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मैं अभी अपने काम से शाहबाद ( बादली दिल्ली )के पास था। अचानक फोन आया भतीजी -दीपांजलि का! जिसे हम सभी घर में प्यार से सानू बुलाते थे। अभी फिलहाल तो बड़ी हो गई है ।मगर हमारे लिए तो वह फिर भी

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18 नवम्बर 2022
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जिंदगी को मौत के हवाले।गुवाहाटी मेडिकल अस्पताल का डॉक्टर जो थे। उन्होंने अपना पल्ला झाड़ लिया था ।कहा-भाई ऑपरेशन जरूरी है ।ऑपरेशन के बगैर जिंदगी बचनी नहीं है ।क्या ट्रांसप्लांट के बाद जिंदगी बच जाएगी

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18 नवम्बर 2022
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तभी दामाद जी इंटरनेट पर लिवर स्पेशलिस्ट तलाश करने लगे। तलाश करके उन्होंने बताया कि गंगाराम में एक डॉक्टर है- डॉक्टर सुधीर! जो लिवर ट्रांसप्लांट के माहीर स्पेशलिस्ट है ।फिर एक आद बार जमाई, फिर हमन

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19 नवम्बर 2022
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आप गोपाल के लिए लिवर डोनेट करेंगी?हां! भाभी ने जवाब दिया -"इसके बाद वे ठीक हो जाएंगे।"डॉक्टर से बात हो गई है?नहीं !अभी जब पानी ज्यादा भर गया तो यहां जो भी डॉक्टर मिला- उसी के हवाले हमने कर दिया।डॉक्टर

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19 नवम्बर 2022
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विवेक और भाभी और सानू सभी ने यही कहा था- कि हमें तो गंगाराम में इस खातिर भेजा गया ।कि यहां के स्पेशलिस्ट डॉक्टर है जो पापा की ऑपरेशन अर्थात ट्रांसप्लांट सफलतापूर्वक हो जाएंगी। और हम यहां बाबा के

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19 नवम्बर 2022
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डॉक्टरों की मीटिंग बैठी हुई थी मेडिसिन से सर्जिकल मे ले जाते वक्त डॉक्टरों की खींचातानी के बीच में दश दिन गुजर गए थे। डॉक्टर शुगर कंट्रोल के लिए इंसुलिन चढ़ाते खाना वही देते जो साधारण व्यक्ति को खिलाय

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24 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन की रात थी वह।रात के करीब 11:00 बजे डॉक्टर सुधीर ने विवेक को फोन लगाया। विवेक, सानू और मैं ऑपरेशन थिएटर के बाहर पहुंचे। पांचवी मंजिल पर जहां लीवर संबंधित ऑपरेशन हो रहा था।गार्ड़ने हमें याद

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25 नवम्बर 2022
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ऑपरेशन के दूसरे दिन।एक नई सुबह लेकर आई थी ।ऐसा लगता था जैसे आसमान में काले बादल मडरा तो रहते हैं मगर धूप चमक सी रही थी। माहौल कुछ सुहाना सुहाना सा लग रहा था।मैं दोपहर के समय आज धर्मशाला से निकल कर भाभ

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25 नवम्बर 2022
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थूक पर थूक।आदमी थुक पे थुक ता रहे , 4 मिनट में खा कार से खाकर निकलता रह। तो स्वस्थ हो कैसे पाएगा। खाना पचाने के लिए जो इंसान की जरूरत है ।वह तो निकला जा रहा है ।हर वक्त ।आदमी खाना कैसे पचा आएगा ।

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26 नवम्बर 2022
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विवेक फ्लैट में चला गया था।मैं गोपाल के पास घर गया था। गोपाल की स्थिति अभी भी ठीक नहीं थी।हर मिनट में उसकी खकार निकलती और थुक निकलता ।मैंने पेट के बारे में पूछा बताया- हल्का सा दर्द है !अभी दर्द काम ह

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4 दिसम्बर 2022
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ऑपरेशन के बाद---!फ्लैट में लौटने के बाद, दूसरी बार फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया था। दर्द था। पेट में, बहुत सारा दर्द था ।खाने में शायद कुछ कोताही बरती गई थी। डॉक्टर का मानना था।जबकि डॉ यह कह चुका

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4 दिसम्बर 2022
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एक बात मुझे डॉक्टर से पूछनी थी। यही बात मैं कह रहा था और भाभी भी यही सवाल कर रही थी। डॉक्टर से मुलाकात के लिए ₹2000 की पर्ची कटवानी थी ।जब 28-30 लाख खर्च किया तो फिर 2,000 की तो कोई बात नहीं थी।डॉक्टर

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4 दिसम्बर 2022
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एक सीक्रेट मीटिंग थी वह।सिर्फ गोपाल से रिलेटेड डॉक्टर थे ।उस मीटिंग पर नर्स कंपाउंडर तथा कोई भी आदर स्टाफ नहीं आ सकता था ।थोड़ी देर की मीटिंग थी ।गोपाल से संबंधित बातों को करना था। उसके हेल्थ चे

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5 दिसम्बर 2022
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गोपाल की जिद तेज हो गई थी।मुझे जाना है -घर जाना है!डॉक्टर सुधीर- मगर अभी आप ठीक हुए नहीं है ;जनाब !बस 15 दिन बाद हम आपको चलने लायक कर देंगे ,फिर आप घर चले जाना।गोपाल- घर का मतलब यहां जहां बच्चे ठहरे ह

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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5 दिसम्बर 2022
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एंटीबायोटिक की मात्रा कम कर दी गई थी। शक्ति के लिए खाने से रिकवरी करने की बात कही थी । प्रोटीन डाइट ज्यादा से ज्यादा करने का न्यूट्रिशन ने चार्ट सा बना कर दिया था। चार्ट देखकर मुझे लगने लगा था इत

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6 दिसम्बर 2022
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उस दिन मैं सुबह 11:00 बजे के करीब उनके फ्लैट में पहुंच गया था। यह सोच कर- कि आज दिनभर इनके पास रहूंगा, और रात होने से पहले निकल चलूंगा। इंसान की अपनी प्राइवेसी भी होती है। इंसान की अपनी लाइफ

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6 दिसम्बर 2022
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विवेक पापा के जीद पर उन्हें घर ले आया था। मगर तीसरे दिन के बाद वह मुश्किल हुआ जा रहा था ।अचानक पेट का दर्द बढ़ गया था। पेट का दर्द क्यों बड़ा? क्या वजह थी, कि पेट में दर्द बढ़ने लग गया

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7 दिसम्बर 2022
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शायद..?क्यों? मैं बयां करना उचित नहीं समझता था! जो गोपाल अपने बच्चों से दरपेश आता था। खैर.. मैं उन खोए हुए हुए यादों को, बिखरे हुए सपनों को, फिर से समेटकर मूर्त रूप देना नहीं चाहता था। कि बच्चों

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7 दिसम्बर 2022
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मैं जब भी गोपाल के पास पहुंचता ,गोपाल मुझसे अपने पांव दबवाता। मैं भी बड़ी खुशी- खुशी उसके पाव दबाने लग जाता। गोपाल के शरीर को तेल लगाकर मसाज करता । मगर मुझे एहसास सा होता था जा रहा था। अभी शरीर

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8 दिसम्बर 2022
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सबके चेहरे में मायूसी सी थी। गोपाल, विवेक, सानू ,भाभी सभी बोलते तो भी मुझे लगता था ।जैसे दिल में बहुत बड़ा वजन रखकर बोल रहे हो ।दिल का बोझ बढ़ता जा रहा था। जैसे दिल भी सोच सोच कर धड़क रहा था

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8 दिसम्बर 2022
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गोपाल गोपाल सानू को लेकर दुखी था।इसलिए कि अभी तक उसने सानू के लिए अच्छा लड़का ढूंढ पाया था। शादी नहीं करा पाया था। इसके लिए अच्छे लड़के लोकल लड़के नहीं मिले। 2-4 आए थे और सानू ने उन्हें नापसंद कर

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8 दिसम्बर 2022
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विवेक भी खौफ जदा था ।अब पापा बिस्तर में ही गंदगी छोड़ने लगे हैं। उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि कब लैट्रिन उतर गई ।फिर उसे साफ करते बच्चे फिर सभी मिलकर उसे करवट लीटाने की कोशिश करते ।और साफ करते।

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9 दिसम्बर 2022
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धीरे धीरे मौत का साया गोपाल की ओर बढ़ रहा था। गोपाल को भी एहसास था ।अब मैं शायद ठीक ना हो पाऊं। गोपाल- तुमने लिवर डोनेट क्यों किया? इसी लिवर के ऑपरेशन से मैं ज्यादा परेशान हो गया हूं!भाभी- हम आप

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10 दिसम्बर 2022
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पल- पल हर एक घड़ी गोपाल की जिंदगी की डोर ढीली पड़ती जा रही थी। गोपाल की आंखें सफेद सी बढ़ती जा रही थी ।आंखों में होने वाली लाली खत्म थी। जिस्म यूं भी पहले दिन से सुजता हुआ जा रहा था ।वह कभी ठीक हो कि

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10 दिसम्बर 2022
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मौत!?मौत की ओर हर इंसान सरक रहा है। हर इंसान का अगला कदम मौत की ओर होता है ।इंसान और मौत का गहरा रिश्ता है। एक न एक दिन उसकी आगोश में समाना ही है। मगर इंसान को इस धरती पर परमेश्वर ने जीने के

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12 दिसम्बर 2022
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सानू अपने पापा की कैंसर होने की बात को लेकर ज्यादा डिक्लेअर डिस्टर्ब हो गई थी।मैं महसूस कर रहा था ।उसकी आवाज में थर्रा हट थी। जब वह मुझसे इस बारे में बात कर रही थी।मैंने पूछा- किस स्टेज में है?स

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12 दिसम्बर 2022
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अगला दिन था।सुबह नाश्ता करके मैं और भाभी भोपाल से मिलने के लिए चले गए थे। रूम सिंगल सा ले रखा था। फिर भी डॉक्टर यहां एक एक एटेन्डेन्ट से ज्यादा रहने की इजाजत नहीं देते। फिर भी हम चले गए थे ।इस व

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13 दिसम्बर 2022
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लीवर खराब था। तो उसके लीवर को ट्रांसप्लांट किया गया। गलत हिस्सा संपूर्ण लीवर निकालकर, भाभी के लिवर का 60 परसेंट हिस्सा निकालकर गोपाल के लीवर की जगह जोड़ा गया था। अब इस नाकामयाबी का श्रेय दे रहे थे। कि

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13 दिसम्बर 2022
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अब भाभी को भी बताना जरूरी था डॉक्टर कैंसर का इफेक्ट बता रहे हैं ।और बताया गया था।पहले लिवर में कैंसर बताकर ट्रांसप्लांट करवाया अब चेस्ट में ही कैंसर बता रहे हैं। भाभी का यह कह भी रो-रोकर हाल बुरा था।

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14 दिसम्बर 2022
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धीरे -धीरे मौत के साए गोपाल पर हावी होते गए थे। मौत अपने नाखूनों को तेज कर के लंबे-लंबे राक्षसी दांत बाय गोपाल की ओर बढ़ रही थी।हम मूकदर्शक बने देखने के अलावा और कुछ भी नहीं कर सकते थे।डॉक्टरों क

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14 दिसम्बर 2022
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वेंटीलेशन के लिए सभी डॉक्टर जोर देने लगे। अगर कुछ होता है तो ,हम जिम्मेदार नहीं है। अब अंतिम अवस्था में भी वेंटिलेशन के अंदर डालकर ।पैसा अशूली का घिनौना खेल खेला जाने वाला था।जिस डॉक्टर ने ल

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14 दिसम्बर 2022
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मैं राजू और विवेक रात भर अस्पताल की वेटिंग रूम में रूक गये थे।विवेक ने कुछ भी नहीं खाया था। 2 दिन हो गए थे ।अब उसका चेहरा लगता था -जैसे चेहरे को अभी-अभी पानी से धो आया हो। भी गवाह आसुओं से भीगा

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15 दिसम्बर 2022
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परिवार के कुछ और सदस्य आ गए थे।वक्त!? गोपाल के पास न था ।बस अब तो शरीर का मिट्टी में तब्दीली का इंतजार था। कब डॉक्टर खबर करें कि अब गोपाल नहीं रहा!ऐसा इंतजार!? लंबा होता है ।जानलेवा ..जानलेव

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15 दिसम्बर 2022
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एक नायाब कहानी का अंत हो चला था। नहीं नहीं में आंसुओं का बाध टूट सा गया था। अस्पताल को अब भी आस थी ।कि दो चार लाख झाड़ जाते। जाते -जाते तुम मौत का हिसाब किताब कर जाते !नहीं ..नहीं में

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15 दिसम्बर 2022
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गोपाल का अंत!गोपाल का अंत ऐसा होगा सोचा न था। यूं सभी बीमारियों का जखीरा लिए ,लंबी-लंबी सांसे भरेगा। आंखों में पथराई आंसुओं में वह मुझ में यूं जी लेगा, सोचा ना था।अगला दिन भी मर्म से भरा था।भाभी जी रह

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